सुधारात्मक सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य के उद्देश्य - Purpose of corrective social Case work
सुधारात्मक सामाजिक वैयक्तिक सेवा कार्य के दो प्रमुख उद्देश्य हैं :
(1) व्यक्ति के विचलित व्यवहार एवं दृष्टिकोण में ऐसी सहायक प्रक्रिया द्वारा परिवर्तन लाना जो उसके व्यक्तिगत एवं सामाजिक समायोजन में अधिकतम सहायक सिद्ध हो।
(2) अपराधी व्यक्ति के पर्यावरण एवं परिस्थितियों में परिवर्तन तथा संशोधन द्वारा अनेक प्रकार के निरोधात्मक एवं सुधारात्मक साधनों की उपलब्धि कराके परिवर्तन लाना जो उसमें अपराधिकता को जन्म देती है।
सामाजिक वैयक्तिक कार्यकर्ता की भूमिका :- सुधारात्मक कार्य में कार्यकर्ता अन्य सुधार कार्यकर्ताओं, मनोवैज्ञानिकों, मनोचिकित्सकों के साथ मिलकर कार्य करता है। वह सुधार टोली का एक अभिन्न सदस्य होता है। उसका कार्य अन्य कार्यकर्ताओं के अन्तर सम्बन्धों तथा उसके विशिष्ट ज्ञान पर निर्धारित भूमिका पर निर्भर करता है।
सुधार कार्यकर्ताओं की इस टोली में समाज कार्यकर्ता की निम्न भूमिकाएँ हो सकती हैं :
(1) अपराधी के बारे में जाँच पड़ताल करके उसकी सामाजिक अवस्था तथा अपराधी की दशाओं के बारे में ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत करना जिससे अपराधी सुधार संस्थाओं के अधिकारी किसी निश्चित सुधारवादी निर्णय पर पहुँच सकें।
(2) सेवार्थी (अपराधी) का उस प्रकार से पर्यवेक्षण करना जिससे वह आत्म नियंत्रित होकर अवैधानिक व्यवहार न करें।
(3) सेवार्थी (अपराधी) की सामाजिक तथा वैधानिक मजबूरियों को दूर करने में सहायता करना तथा उसके व्यवहार, सामाजिक आदर्शों के अनुकूल बनाना।
(4) उन सभी अधिकारियों के साथ व्यावसायिक सम्बन्ध स्थापित करना जो सेवार्थी के वर्तमान सामाजिक वैधानिक स्तर से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सम्बन्धित हैं।
(5) वैयक्तिक सेवा कार्य तथा सामूहिक सेवा कार्य की विधियों का इस प्रकार से प्रयोग करना जिससे सेवार्थी (अपराधी) कानूनी तथा प्रशासनिक नियमों का पालन अपने हित को ध्यान में रखकर कर सके।
(6) अपराधी ,सुधार संस्था के अन्य कर्मचारियों के साथ सहयोग एवं समन्वयपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखना तथा संस्था के समस्त सुधार सम्बन्धी निर्णयों में अपने मत को रखना।
(7) अपराधी-सुधार संस्था के सुधारात्मक कार्यक्रम को सुदृढ़ बनाना।
(8) सुधारात्मक समाज कार्य के ज्ञान में वृद्धि करने के लिए प्रयत्न करना।
अपराधियों की मनोवृत्ति में परिवर्तन लाने के लिए वैयक्तिक सेवा कार्य की अत्यन्त आवश्यकता है।
फ्रीडलैण्डर, ने निम्न प्रकार से इसके महत्व को स्पष्ट किया है : पुनर्स्थापन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सुधार संस्थाओं में वैयक्तिक सेवा कार्य आवश्यक है। हमने इस बात को माना है कि अनेक सुधार संस्थाओं में पुनर्स्थापन के उद्देश्य की प्राप्ति पूरे रूप से सम्भव नहीं हो पाई है परन्तु फिर भी कारागार तथा बाल सुधार संस्थाओं के संवासियों के लिए वैयक्तिक सेवा कार्य की आवश्यकता को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है। कारागारों तथा अन्य प्रकार की वयस्क एवं बाल सुधार संस्थाओं में संवासियों को मनोसामाजिक सहायता की आवश्यकता अपने दैनिक जीवन में पड़ती रहती है।
मॉडल प्रिजन मैनुअल में अपराधी सुधार संस्थाओं में नियुक्त सामाजिक कार्यकर्ताओं की निम्न भूमिकाओं का वर्णन किया गया है। :-
(1) संवासी का साक्षात्कार करना तथा उसके परिवार एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के साथ सम्बन्ध स्थापित करके उसके चरित्र, व्यवहार, अपराध की दशाओं तथा सामाजिक आर्थिक जीवन की पृष्ठभूमि के बारे में सम्पूर्ण सूचना उपलब्ध करना।
(2) संवासी की समस्त संस्थागत समस्याओं का स्पष्टीकरण करना तथा उनके समाधान की योजना निर्मित करना।
(3) संवासियों के वर्गीकरण कार्यक्रम में संस्था के अधिकारियों के संवासी के व्यक्तित्व एवं व्यवहार की विशेषताओं को बताकर संवासी को उन कार्यक्रमों में लगाने का प्रयत्न करना जिससे उन संवासी को लाभ पहुँच सकता है।
(4) संवासी तथा प्रशासन कार्यकर्ताओं के मध्य उपयुक्त प्रकार के सहयोगपूर्ण सम्बन्धों की स्थापना करने में मदद पहुँचाना,तथा परिवार के सदस्यों को समय-समय पर वांछित सहायता प्रदान करना।
(5) संवासी को अपनी मुक्ति के लिए तैयार करना तथा उनको उन समस्याओं से अवगत कराना जो मुक्ति के बाद उत्पन्न हो सकती हैं परन्तु जिनका समाधान ढूँढ़ा जा सकता है।
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