वैयक्तिक समाज कार्य में उपचार की मुख्य प्रविधियाँ - Social Case Work Treatment Methods.


(1) अन्वेषण-अन्वेषण द्वारा दोनों कार्य, उपचार तथा तथ्यों का संकलन, किए जाते हैं। कार्यकर्ता घनिष्ठतम संबंध स्थापित करके सेवार्थी की समस्या की तह में प्रविष्ट होता है। वह स्वयं वार्तालाप के माध्यम से अपनी समस्या के कारणों  जान लेता है अतः उसे स्वयं सान्त्वना प्राप्त होती है। 

(2) परिस्थितियों में सुधार एवं परिवर्तन - सेवार्थी बाह्य परिस्थितियों की जटिलता के कारण समायोजन नहीं कर पाता है। कार्यकर्ता इस विधि द्वारा उसके वातावरण में परिवर्तन  लाता है तथा तनाव-पूर्ण स्थिति को कम करता है। 

(3) आलम्बन-कार्यकर्ता अहम् शक्ति के विकास एवं वृद्धि में सेवार्थी को साहस दिलाता है। उसमें आशा का संचार करता है तथा उस पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है। 

(4) शिक्षण-कार्यकर्ता सेवार्थी को समय एवं आवश्यकतानुसार शिक्षा प्रदान करता है जिससे समस्या के विषय में उसे ज्ञान होता है। 

(5) निर्देशन-कार्यकर्ता को कभी-कभी किसी विषय पर सेवार्थी को निर्देशन भी देना होता है। 

(6) तादात्मीकरण-कार्यकर्ता सेवार्थी की भावनाओं के संबंध स्थापित करता है। सेवार्थी उसको अपना हितैषी समझने लगता है और इससे समस्या के समाधान में सहायता मिलती है। 

(7) स्वीकृति-कार्यकर्ता सेवार्थी को जैसा वह है वैसा ही स्वीकार करता है। वह उसका आदर करता है। वह पाप से घुणा, पापी से नही’ का सिद्धांत अपनाता है, जिसका परिणाम यह होता है कि सेवार्थी स्पष्ट रूप से सच्चाई बता कर राहत प्राप्त करता है। 

(8) प्रोत्साहन-कार्यकर्ता सेवार्थी को समस्या के समाधान में प्रोत्साहन देता है। (9) पुष्टीकरण- वह यथार्थ विचारों का पुष्टीकरण करता है जिससे विश्वास जाग्रत होता है। 

(10) सामान्यीकरण-सेवार्थी कभी-कभी अपने को इतना दोषी ठहराता है कि उसकी सभी क्रियाएँ उसके इस विचार से प्रभावित हो जाती है और उसका जीवन नरक बन जाता है। कार्यकर्ता इस विधि द्वारा उसको बताता है कि वही केवल ऐसा नहीं है बल्कि बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने इसी प्रकार के कार्य किए हैं। 

(11) व्याख्या- व्याख्या द्वारा कार्यकर्ता सेवार्थी के भ्रमों को दूर करता हैं और उसको वास्तविकता से परिचित कराता है। 

(12) पुनः विश्वासीकरण - कार्यकर्ता सेवार्थी में विश्वास पैदा करता है कि उसकी समस्या का समाधान संभव है और उसमें शक्ति का विकास करके समाधान किया जा सकता है। 

(13) स्पष्टीकरण-सेवार्थी को कार्यकर्ता उसकी समस्या के कारणों से अवगत कराता है। प्रभावशील कारकों के विषय में बताता है और उसके व्यवहार को स्पष्ट करता है। फलतः सेवार्थी स्वयं अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। 

(14) प्राख्या-अर्धचेतन स्तर की समस्याओं और कारणों पर कर्ता प्रकाश डालता है और स्पष्ट करता है।

 (15) सलाह-सेवार्थी को कार्यकर्ता वहाँ सलाह देता है जहाँ उसका सलाह की आवश्यकता का अनुभव होता है। 

(16) सहयोग-कार्यकर्ता सेवार्थी को सहयोग प्रदान करता है। कालिस के अनुसार उपचार दो प्रकार का होता है। पहले प्रकार के उपचार के अन्तर्गत वे क्रियाएँ आती हैं जिनके द्वारा कार्यकर्ता स्वयं प्रयास करके सेवार्थी के पर्यावरण में सुधार करता है। दूसरे प्रकार के उपचार के अन्तर्गत विशेषकर वे मनोवैज्ञानिक क्रियाएँ आती हैं जिन्हें साक्षात्कार के माध्यम से प्रयोग करते हुए कार्यकर्ता सेवार्थी को अपने प्रयासों के द्वारा स्वयं में परिवर्तन लाकर समस्याओं को हल करने के योग्य बनाने में मदद करता है।