जनसंख्या एवं आर्थिक विकास - Population And Economic Development.

   


 देश की जनसंख्या तथा आर्थिक विकास का घनिष्ट सम्बन्ध है। आर्थिक विकास के अन्तर्गत देश की राष्ट्रीय आय, प्रति व्यक्ति आय, रहन सहन का स्तर, उत्पादन की दशा, रोजगार व्यवस्था आदि सम्मिलित है।आर्थिक विकास के लिए पाँच साधनों की आवश्यकता होती है। भूमि, श्रम, पूँजी, प्रबन्ध एवं उद्यम। उत्पादन शक्ति के उन पाँच साधनों में मानव शक्ति विकास का महत्वपूर्ण साधन है। मानव शक्ति से श्रम, प्रबन्ध एवं उद्यम उत्पादन के तीन साधन तो प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त है जबकि पूँजी का सम्बन्ध भी मानव से ही है। अतः स्पष्ट है कि जनसंख्या तथा विकास में घनिष्ट सम्बन्ध है। यदि देश में जनशक्ति अधिक है तो देश श्रम के क्षेत्र में धनी होगा तथा देश धनी होगा। परन्तु ऐसा नहीं है।     

विकासशील देशों के लिए ये हानिकारक है। जब जनशक्ति की अधिकता होगी तो भूमि, साधन सीमित होने के कारण मानव शक्ति बढ़ती जायेगी, फलस्वरूप् प्रति व्यक्ति उत्पादन कम होता जायेगा। खाद्य समस्या बढ़ेगी, बेरोजगारी फैलेगी, राष्ट्रीय आय में वृद्धि नहीं होगी अर्थात् प्रति व्यक्ति आय में कमी होगी, वस्तुओं की माँग अधिक होने के कारण कीमतें बढ़ेंगी तथा मुद्रा स्फीति पर बुरा असर पड़ेगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विकासशील देशों के लिए जनसंख्या वृद्धि घातक है।