अनुवाद के प्रकार - Type of Translation

अनुवाद के प्रकार - Type of Translation


अनुवाद कार्य में अनुवादक की भूमिका अहम होती हैं और दरअसल अनुवाद की पूरी प्रक्रिया में उसे अलग-अलग भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं मूलपाठ का विश्लेषण करते हुए वह पाठक की भूमिका में होता है। अंतरण करते हुए द्विभाषिक विद्वान की भूमिका में और अनूदित पाठ या पुरर्नरचना प्रस्तुत करते हुए लेखक की भूमिका में अनुवाद कई प्रकार का होता है। अनुवाद के प्रकारों का विभाजन दो तरह से किया जा सकता है। पहला अनुवाद की विषयवस्तु के आधार पर और दूसरा उसकी प्रक्रिया के आधार पर उदाहरण के लिए विषयवस्तु के आधार पर साहित्यानुवाद कार्यालयी अनुवाद, विधिक अनुवाद, आशुअनुवाद, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुवाद, वाणिज्यिक अनुवाद आदि। प्रक्रिया के आधार पर शब्दानुवाद, भावानुवाद, सारानुवाद तथा यांत्रिक अनुवाद।


विषयवस्तु तथा प्रक्रिया के आधार पर अनुवाद के प्रकार






एक पत्रकार के लिए इन सभी प्रकारों की सामान्य जानकारी रखना ज़रूरी है क्योंकि इनकी मूल विषयवस्तु अकसर ( समाचार का आधार होती है। पत्रकारिता में हर प्रकार के अनुवाद का आवश्यकतानुरूप प्रयोग होता है। 


साहित्यानुवाद – 

पत्रकारिता में एक पक्ष साहित्यिक पत्रकारिता का है। कला और साहित्य किसी भी समाज की पहचान बनाते हैं। किसी भी देश और समाज को जानने के लिए वहाँ के साहित्य को पढ़ना-परखना जरूरी होता है। युगीन परिस्थितियों का अंकन साहित्य में होता है। उदाहरण के लिए मक्सिम गोर्की का कथासहित्य तत्कालीन रूस में हुई क्रांति और जनसंघर्ष का जीवन्त दस्तावेज़ है, उसका अनुवाद करते हुए हम पात्रों या स्थानों आदि के नाम बदलते हुए उसका भारतीयकरण नहीं कर सकते क्योंकि भारतीय स्थितियाँ तत्कालीन रूस से बिल्कुल भिन्न थीं। इसी तरह किसी नोबेल विजेता यूरोपीय सहित्यकार से सम्बन्धित हिंदी समाचार बनाया जा रहा है तो पत्रकार को उस साहित्यकार के परिवेश और युगीन स्थितियों का हिंदी में जस का तस उल्लेख करना होगा क्योंकि उसके साहित्य में उसके देश और समाज की स्थितियों का दस्तावेज़ है, भारत का नहीं। 


कार्यालयी अनुवाद - 

कार्यालयी अनुवाद से आशय प्रशासनिक पत्राचार तथा कामकाज के अनुवाद का है। जैसा कि विदित है स्वतंत्रता के पश्चात संविधान ने हिंदी को राजभाषा बनाने का संकल्प तो लिया पर कुछ राजनीतिक और सामाजिक दुविधाओं के चलते वह आज तक कार्यरूप नहीं ले सका। आज राजभाषा के मसले पर भारत में द्विभाषिक नीति लागू है। जिस अंग्रेजी को संविधान ने दस साल में राजभाषा के रूप में पदच्युत करने का प्रारूप दिया था, वह आज भी अपने स्थान पर किंचित भिन्न रूप में डटी हुई है। हर राज्य को अपनी राजभाषा निर्धारित करने की स्वतंत्रता संविधान ने दी थी और राज्यों ने उसके अनुरूप राजभाषा का निर्धारण किया भी है किन्तु संघीय सरकारों से उसके प्रशासनिक कार्यव्यहार अंग्रेज़ी में ही होते हैं। हिंदी है लेकिन अंग्रेजी भी है और राज्यों के प्रकरण में उनकी अपनी राजभाषाएँ भी हैं। ऐसी स्थिति में अनुवाद की उपयोगिता और महत्व उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है। सभी जानते हैं कि प्रशासनिक शब्दावली का अपना एक विशिष्ट रूप है जो बहुधा अंग्रेज़ी से अनुवाद पर आधारित होता है। पारिभाषिक शब्द इसी प्रकार की प्रशासनिक शब्दावली का एक प्रमुख हिस्सा हैं। एक पत्रकार के लिए सरकार के कामकाज पर आधारित समाचार बनाते समय इस शब्दावली की सामान्य जानकारी का होना अनिवार्य है। अनेक संसदीय शब्दों का हिन्दी में प्रचलन इसी शब्दावली के आधार पर हो गया है। 


विधिक अनुवाद - 

न्यायपालिका संविधान में वर्णित लोकतंत्र के तीन स्तम्भों में एक है। समाचारपत्रों में न्याय और उससे जुड़ी प्रक्रिया से सम्बन्धित अनेक समाचार होते हैं। हिंदी को राजभाषा बनाए जाने के संकल्प के बावजूद उच्च तथा उच्च न्यायालय का सारा कामकाज अंग्रेजी में ही होता है। सारे निर्णय और अभिलेख अंग्रेजी में होते हैं और न्यायालय की कार्यवाही भी अंग्रेजी में ही सम्पन्न होती है। एक पत्रकार के लिए जरूरी हो जाता है कि हिंदी में समाचार बनाते हुए वह विधिक शब्दावली का तकनीकी रूप से सही अनुवाद करने की क्षमता रखता हो। 


आशु अनुवाद - 

यह एक रोचक प्रक्रिया है। अंग्रेजी में सामान्य रूप से इसे Interpretation कहते हैं। जब कोई ऐसा राजनेता देश में आता है जिसे अंग्रेज़ी भी न आती होती हो हमारे देश के राजनेताओं के साथ उसकी वार्ता Interpreter की सहायता से ही सम्भव हो पाती है। Interpreter वह व्यक्ति होता है जो आंगतुक की भाषा का एक तुरत और सरल अनुवाद मौखिक रूप से हमारे राजनेता के सम्मुख प्रस्तुत करता है और हमारे राजनेता की भाषा का आगंतुक राजनेता के सम्मुख वह एक ऐसा भाषिक मध्यस्थ है जिस पर यह उत्तरदायित्व होता कि वह वार्ता को तकनीकी रूप से शतप्रतिशत सही सम्भव बनाए। पत्रकारिता में आशुअनुवाद के कुछ और भी आयाम हो सकते हैं। जैसे फोन पर किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से की जा रही वार्ता को तुरत अपने समाचार के लिए हिंदी में अनुवाद करके लिखते जाना।


वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुवाद -

जाहिर है कि हमारा मौजूदा समय विज्ञान और तकनीक का युग है। विज्ञान के बहुआयामी विकास ने मानव जीवन की गतिविधियों ही नहीं, वरन उसके जीवनमूल्यों को भी कई स्तरों पर बदल दिया है। समाचारपत्रों में विज्ञान और तकनीक से सम्बन्धित गतिविधियों के कई समाचार होते हैं और उनके लिए जरूरी होता है कि पत्रकार को वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली की पर्याप्त जानकारी हो, जिसके अभाव में अनुवाद हास्यास्पद और विचित्र हो सकता है। Rail या Train को हिंदी में लौहपथगामिनी जैसे विचित्र और हास्यास्पद अनुवाद की जगह रेल या ट्रेन ही लिखना अनुवादक के हित में होगा। Computer के लिए कम्प्यूटर ही लिखना होगा इसी तरह हिंदी संगणक की जगह कैलक्यूलेटर शब्द का ही प्रयोग होता है।


वाणिज्यिक अनुवाद - 

यह क्षेत्र व्यापार के साथ-साथ प्रमुखतः बैकिंग व्यवसाय का है। सभी को विदित है कि समूचे विश्व की संचालक शक्ति अब पूँजी हो चली है। भूमंडलीकरण और विश्वग्राम जैसी उत्तरआधुनिक अवधारणाएँ प्रकारांत से इसी के गिर्द घूमती हैं। भूमंडल अब शीतयुद्ध के दौर से बाहर आकर एकध्रुवीय हो चला है, जिसका संचालन दुनिया के कुछ विकसित देशों के गुट के हाथ में है। इन स्थितियों में पत्रकारिता पर भी इस तरह की उत्तरआधुनिक अवधारणाओं का प्रभाव देखा जा सकता है। पत्रकारिता खुद भी एक पेशेवर संस्था है, भारत में जिसका सम्बन्ध कुछ बड़े व्यापारिक घरानों से है। आम आदमी के जीवन में बाजार का स्थान अब निश्चित है और समाचारपत्रों में इस आशय के समाचारों की भरमार होती है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के समाचारों का निर्माण अकसर सम्बन्धित विषयवस्तु के अनुवाद द्वारा ही सम्भव हो पाता है। इस तरह के अनुवाद की अपनी शब्दावली होती है, जिसकी प्राथमिक जानकारी पत्रकार को होना जरूरी है। आम आदमी के जीवन में बैंकिंग का भी एक निश्चित महत्व है। बैंकिंग के क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग मुख्य रूप से दो स्तरों पर होता है, एक राजभाषा के स्तर पर और दूसरा जनभाषा के स्तर पर हिंदी को राजभाषा के रूप में सम्मान दिलाए जाने के कुछेक औपचारिक प्रयासों में बैंकों द्वारा हिंदी के प्रयोग पर जोर दिए जाने की नीति शामिल हैं। दरअसल मामला राजभाषा का न होकर जनभाषा का है। बैंकों को अपनी पहुँच जनता तक बनानी होती है और इसके लिए वे हिंदी के इस्तेमाल पर बल देते हैं। हर बैंक में चूँकि महत्वपूर्ण मसौदे अंग्रेज़ी में ही तैयार किए जाते हैं लेकिन जनता तक उन्हें पहुँचाने के लिए उनका सरल हिंदी अनुवाद अनिवार्य होता है, फलतः हर बैंक में हिंदी अधिकारी तैनात किए गए हैं। एक पत्रकार के लिए यह सब जानना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि उसे बैंको द्वारा समय-समय पर जारी की जानेवाली ऋणयोजनाओं पर समाचार बनाने होते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर बैंक की ऋण सम्बन्धी नीतियों और उतार-चढ़ाव की जानकारी भी उसे पाठकों तक सरल और सही रूप में पहुँचानी होती है। 


शब्दानुवाद - 

इस तरह के आदर्श अनुवाद में प्रयास किया जाता है कि मूल भाषा के प्रत्येक शब्द और अभिव्यक्ति की इकाई (पद पदबंध, मुहावरा लोकोक्ति, उपवाक्य अथवा वाक्य आदि) का अनुवाद लक्ष्य भाषा में करते हुए मूल के भाव को संप्रेषित किया जाए। दूसरे शब्दों में अनुवाद न तो मूल पाठ की किसी अभिव्यक्त इकाई को छोड़ सकता है और न अपनी ओर से कुछ जोड़ सकता है। अनुवाद का यह प्रकार गणित, ज्योतिष विज्ञान और विधि साहित्य के अधिक अनुकूल होता है। 


भावानुवाद -

इस प्रकार के अनुवाद में भाव, अर्थ और विचार पर अधिक ध्यान दिया जाता है लेकिन ऐसे शब्दों, पदों या वाक्यांशों की उपेक्षा नहीं की जाती जो महत्वपूर्ण हों। ऐसे अनुवाद से सहज प्रवाह बना रहता है। पत्रकार अक्सर इसका सहारा लेते हैं।


सारानुवाद - 

यह आवश्यकतानुसार संक्षिप्त या अति संक्षिप्त होता है। भाषणों, विचार गोष्ठियों और संसद के वादविवाद की विशद विषयवस्तु के सार का अनूदित प्रस्तुतीकरण इसी कोटि का होता है। विस्तृत प्रकरणों में अकसर पत्रकार पूरी विषयवस्तु का अनूदित सार तैयार कर उसे ही समाचार रूप में प्रस्तुत करता है। 


यांत्रिक अनुवाद - 

आधुनिक समय में कम्प्यूटर की सक्षमता और हमारी उस निर्भरता उत्तरोत्तर बढ़ती गई है। आज ऐसे साफ्टवेयर उपलब्ध हैं जो दो या अधिक भाषाओं बीच अनुवाद करने की क्षमता रखते हैं। गूगल ने ऑनलाइन अनुवाद की सुविधा भी दी है। इन सारी तकनीकी उपलब्धियों के बीच हमें यह भी समझ लेना होगा कि इसकी कुछ निर्णायक सीमाएँ भी हैं। अनुवाद करने वाले साफ्टवेयर अकसर कोरा शब्दानुवाद करते हैं और उनमें वांछित अर्थबोध की प्राप्ति नहीं हो पाती। यानी इस तरह के अनुवाद पर भाषायी पुनर्गठन के स्तर पर आवश्यक स्तर की प्राप्ति के लिए काफी काम करना होता है। अतः शब्दातरण के लिए इस तरह का यांत्रिक अनुवाद काम का हो सकता है लेकिन पूरी वाक्यरचना के स्तर पर यह बहुधा असफल सिद्ध हुआ है। हाँ, लिप्यन्तरण के क्षेत्र में कम्प्यूटर साफ्टवेयर्स ने हमारी बहुत सहायता की है।