इतिहास एवं राजनीति विज्ञान में अंतर - Difference between History and Political Science

इतिहास एवं राजनीति विज्ञान में अंतर - Difference between History and Political Science

इतिहास एवं राजनीति विज्ञान में अंतर - Difference between History and Political Science

इतिहास एवं राजनीति विज्ञान एक दूसरे से धनिष्ठ रूप से संबंधित होते हुए भी एक-दूसरे से कुछ भिन्नता लिए हुए भी हैं।


प्रो. बार्कर (Barker) के शब्दों में यद्यपि इतिहास तथा राजनीति विज्ञान की सीमाएं प्रारंभ से अंत तक समान है परंतु वास्तव में ये दोनों भिन्न तथा स्वतंत्र हैं। इन दोनों विज्ञानों में निम्नलिखित उत्तर प्रमुख है।





अध्ययन पद्धति का अंतर:-


 इतिहास का अध्ययन वर्णनात्मक पद्धति के आधार पर किया जाता है, क्योंकि इसमें पटनाओं का क्रमबद्ध रूप से किया जाता है, जबकि राजनीति विज्ञान में पहले विषयवस्तु अर्थात् अध्ययन सामग्री का चयन किया जाता है। तत्पश्चात् पर्यवेक्षात्मक और वि पद्धति के आधार पर अध्ययन सामग्री का अध्ययन किया जाता है।


क्षेत्र का अंतर :- तुलनात्मक रूप से इतिहास का क्षेत्र राजनीति विज्ञान की अपेक्षा बहुत अधिक विस्तृत रूप लिए हुए है। इतिहास मनुष्य के भूतकालीन जीवन के विविध पक्षों जैसे राजनैतिक, धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक सभी पहलुओं का अध्ययन करता है।






उद्देश्य का अंतर :-


इतिहास का उद्देश्य घटनाओं को उनके मूल रूप में तथा अमिक रूप में प्रस्तुत करना है, किंतु अमुक घटना का भविष्य में क्या परिणाम होना चाहिए इस बात की जानकारी हमें इतिहास से नहीं मिलती अर्थात् 'भविष्य में क्या होना चाहिए इस बात से इतिहास संबंध नहीं रखता जबकि इसके विपरीत राजनीति विज्ञान काल की तानो अवस्थाओं भूत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन करता है। अतः हम कह सकते हैं कि इतिहास का अध्ययन यथार्थ पर आधारित है, जबकि राजनीति विज्ञान का अध्ययन आदर्शात्मक है। निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि इतिहास तथा राजनीति विज्ञान एक दूसरे से घनिष्ठ रूप से इतने जुड़े हुए हैं कि उनके सीमा क्षेत्र कहीं एक-दूसरे को छूते और कहीं कहीं एक दूसरे का अतिक्रमण करते हैं। लेकिन फिर भी दोनों विषय अलग-अलग हैं।



मानवीय कार्य व्यापार इतिहास की प्रमुख विषयबस्तु सभी विषय मानव समाज को समझने के लिए आवश्यक है, अतः इतिहास मानवीय व्यवहार को प्रभावित करने वाले विभिन्न विषयों से सहायता प्राप्त करता है। पुरातत्व विज्ञान, भूगोल, घनिष्ठत इतिहास से सहसंबंधित है एवं राजनीतिशास्त्र को तो इतिहास की रीढ़ कहा गया है। पुरातात्विक स्त्रोतों एवं भौगोलिक जानकारी के बिना प्रामाणिक इतिहास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भौगोलिक परिस्थितियों मानवीय कार्य व्यापार को प्रभावित करती है। इतिहास के अध्ययन में मानचित्र एवं भौगोलिक क्षेत्रों की जानकारी आवश्यक है मानवविज्ञान तो इतिहास का ही एक अंग है। मानव की शारीरिक संरचना एवं सामाजिक संबंधों








के निर्माण के विविध सोपानों को मानवविज्ञान एवं समाजशास्त्र अध्ययन द्वारा स्पष्ट किया जाता है| आज की राजनीति कल का इतिहास बनेगी एवं अतीत की राजनीति ही आज का इतिहास है यह वाक्य इतिहास एवं राजनीतिशास्त्र के सहसंका को दर्शाता है। जहाँ तक इतिहास का अर्थशास्त्र के साथ सहसंबंध का प्रश्न है तो हमें इसका उत्तर सर जॉन सीले के इस कथन में मिलता है कि अर्थशास्त्र के बिना इतिहास नीव रहित है एवं इतिहास के बिना अर्थशास्त्र फलविहीन निष्कर्षः पुरातत्व विज्ञान, भूगोल, मानवविज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र इतिहास के साथ घनिष्ट हैं।