प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री की खोज - Discovery of source material for ancient Indian historiography

प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री की खोज - Discovery of source material for ancient Indian historiography

प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री की खोज - Discovery of source material for ancient Indian historiography

स्रोत सामग्री की खोज से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि वह स्रोत सामग्री किस काल के इतिहास के लिए खोजी जा रही है। विभिन्न कालखंडों के इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री भी अलग अलग होती है। प्राचीन भारत का इतिहास लिखने हेतु हमें पुरातात्विक स्रोतों की खोज करनी होती है। यद्यपि प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन के लिए साहित्यक स्रोतों की भी खोज आवश्यक है मगर उनकी प्रामाणिकता की जाँच पुरातात्विक स्रोतों से करनी होती है। पुरातात्विक स्रोतों के तहत आने वाली खोत सामग्री में इन काल में निर्मित स्मारक, भवन, दुर्ग, स्तंभ, गुफाएँ, मंदिर, मूर्तियाँ, खिलौने, पाषाण उपकरण, धात्विक अवशेष, शैल चित्र अभिलेख, मुहरें, मनके, भूर्ज (भोज) पत्रावलियाँ, ताइ पोथियाँ, काष्ट अवशेष, अस्थि उपकरण, शंख उपकरण व चूड़ियाँ इत्यादि आते हैं। इस पुरातात्विक सामग्री की खोज में एक इतिहासकार के पास अतीत की परतों में झाँक सकने वाली पारदर्शी इतिहास दृष्टि की आवश्यकता होती है। पुरातात्विक स्रोत सामग्री की खोज कोई आसान कार्य नहीं है इसके लिए एक इतिहासकार को पुरातत्व विज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है।







पुरातात्विक स्रोतों में अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अभिलेख पाली, प्राकृत एवं संस्कृत भाषा में हैं। इन स्रोतों की खोज के लिए इतिहासकार को पाली, प्राकृत एवं संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। सिक्के भी प्राचीन भारतीय इतिहास की महत्वपूर्ण स्रोत सामग्री हैं। मुद्राशास्त्र का ज्ञान इस सोत सामग्री की खोज में सहायता करता है।


प्राचीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोतों में धार्मिक एवं लौकिक साहित्य आता है। ये स्रोत: भी अधिकांशतः संस्कृत भाषा में ही है। कुछ बौद्ध साहित्य पाली में है। अतः साहित्यिक स्रोतों की खोज में संस्कृत एवं पाली भाषा का ज्ञान आवश्यक है।







धार्मिक साहित्य के तहत वैदिक साहित्य पुराण, ब्राह्मण ग्रंथ बौद्ध एवं जैन साहित्य आता है। लौकिक साहित्य के तहत विभिन्न नाटक, कथा साहित्य एवं महाकाव्य आते हैं। इनमें चाणक्य का अर्थशास्त्र, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, दण्डी का दशकुमार चरित, भास का स्वप्नवासवदत्तम् शूद्रक का मृच्छकटिकम, कालिदास के ग्रंथऋतुसंहारम् कुमारसंभवम् मेघदूतम्, विक्रमोर्वशीयम्, मालविकाग्निमित्रम्, राष्ट्रवंशम् बाण का हर्षचरित एवं कल्हण की राजतरंगिणी आदि प्रमुख हैं।


साहित्यिक स्रोतों में चूंकि कल्पना के तत्व अधिक होते हैं अतः इनकी तुलना पुरातात्विक स्रोतों से कर प्रामाणिक इतिहास लिखा जा सकता है।