मध्यकालीन भारतीय इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री की खोज - Discovery of Source Materials for Medieval Indian Historiography

मध्यकालीन भारतीय इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री की खोज - Discovery of Source Materials for Medieval Indian Historiography

मध्यकालीन भारतीय इतिहास लेखन हेतु स्रोत सामग्री की खोज - Discovery of Source Materials for Medieval Indian Historiography

मध्यकालीन भारतीय इतिहास लेखन की स्रोत सामग्री की खोज हेतु इतिहासकार को संस्कृत के साथ-साथ अरबी एवं फारसी भाषा का ज्ञान आवश्यक है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोतों का स्वरूप प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों से भिन्न है। जहाँ प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोतों में पुरातात्विक स्रोत महत्वपूर्ण है वहीं मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोतों में साहित्यिक स्रोत अधिक महत्वपूर्ण है।






मध्यकालीन भारतीय इतिहास के अधिकांश स्रोत अरबी फारसी एवं तुर्की भाषा में हैं। जहाँ प्राचीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोतों में कल्पना के तत्वों की अधिकता है वहीं मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोतों में कल्पना के तत्व कम एवं ऐतिहासिक तत्व अधिक है। यूनान एवं रोम के बाद इस्लामी इतिहास लेखन का विकास हुआ। अरबों, गजनी एवं गोरी के आक्रमण के समय एवं पश्चात् मुस्लिम इतिहासकार भारत आए। इन मुस्लिम इतिहासकारों ने अरबी एवं फारसी भाषा में इतिहास लेखन का कार्य संपन्न किया।


जे. एन. सरकार ने मुस्लिम इतिहास लेखन को तीन चरणों में विभाजित किया है। अरबों का संपर्क एवं संघर्ष का काल (7वीं से 10वीं शताब्दी)


प्रथम चरण द्वितीय चरण तृतीय चरण


: सल्तनत काल (11 वीं से 16वीं सदी)


मुगलकाल (16वीं से 18वीं सदी)


प्रथम चरण में अरबों के समय भारत आए इतिहासकारों का नाम आता है। उदाहरण के लिए। अल-बालाजूरी (Al-Baladhuri) ने अपनी कृति फुतूह-अल-बुल्दान में सिंध विजय का वर्णन किया






सल्तनत कालीन ग्रंथों में अलबरूनी की कृति 'किताब-उल हिंद', मिन्हास-उस-सिराज की कृति बाकात-ए-नासिरी अमीर खुसरो की कृतियाँ खजाइन-उल-फुतूह', 'तुगतुकनामा', "मिफता-उल-फुतूह', 'किरान-उस-सादेन', 'आशिका' एवं 'एजाज-ए-खुशरबी, जियाउद्दीन बनीं की कृति— 'तारीख-ए-फिरोजशाही' एवं 'फतवा-ए-जहाँदारी इसामी की 'फुतूह-उस-सालातीन', इब्न बतूता की किताब-उल-रेहला', फिरोजशाह तुगलक की फुतुहात एफिरोजशाही', याद्या बिन अहमद सरहिंदी की कृति 'तारीख-ए-मुबारकशाही', अहमद यादगार की कृति 'तारीख-ए-सलातीनी 


अफगना' (Tarikh-i-Salatin-i-Afghaniyah) इत्यादि प्रमुख हैं। उक्त स्रोतों में से इतिहासकार को अपने वर्ण्य विषय की स्रोत सामग्री खोजनी होती है। इनमें मिन्हास उस सिराज की 'तबाकात-ए-नासिरी एवं जियाउद्दीन बनीं की कृति 'तारीख ए फिरोजशाही सल्तनत कालीन इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत ग्रंथ है। सल्तनत काल में कुछ विदेशी यात्री भी भारत आए। विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य में अधिकांश विदेशी यात्री आए। इन विदेशी यात्रियों मार्को पोलो, इब्न बतूता, अफनासी निकीतिन, अब्दुरंजाक, निकोलो कोन्ती, डोमिनगो पाएस (Domingo Paes) आदि के यात्रा वृतातों में भी इतिहासकार को अपने वर्ण्य विषय की स्रोत सामग्री खोजनी होती है।


मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोतों के तृतीय चरण में मुगलकालीन इतिहास के स्रोत आते हैं। मुगलकालीन ऐतिहासिक स्रोतों में बाबर कुत- बाबरनामा', गुलबदन बेगम कृत 'हुमायूँनामा', मिर्जी मुहम्मद हैदर दोगलत (Mirza Muhammad Haidar Dughlat) कृत तारीख-ए-रशीदी', ख्वान्दमीर कृत 'कानून-ए-हुमायूँ, अबुलफजत की कृतियाँ- 'अकबरनामा' एवं 'आइन-ए-अकबरी, अब्दुल कादिर बढायूँनी कृत 'मुंतखान-उत्त-तवारीख निजामुद्दीन अहमद कृत तबकात ए अकबरी', जहाँगीर कृत 'तुजुक-ए-जहाँगीरी' मुहम्मद कासिम हिंदुशाह फरिश्ता की कृति- 'तारीख ए-फरिश्ता', मुहम्मद काजिम बिन मुहम्मद अमीन कृत 'आलमगीरनामा' मुहम्मद सकी मुस्तैद खान कृत– 'म आसिर-ए-आलम-गौरी भीमसेन कायस्थ कृत 'नुस्खा-ए-दिलखुश', खाफी खान कृत ''मुतखाब-उल-लुबाब' आदि प्रमुख है।






इनके अलावा मुगलकाल में भी कई विदेशी यात्री-पीटर मुडी (Peter Mundy), जीन वैप्टिस्ट टैबर्नियर (Jean-Baptiste Tavernier), निकोलो मनूची (Niccolao Manucci) फ्रॉसिस बर्नियर (Francois Bernier) आदि के यात्रा वृतांत भी मुगलकालीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत हैं।


उक्त मुगलकालीन स्रोतों में से इतिहासकार अपने वर्ण्य विषय के अनुरूप स्रोत सामग्री खोजनी पड़ती है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोत विपुल मात्रा में उपलब्ध है। इतिहासकार संस्कृत अरबी एवं फारसी भाषा के ज्ञान का उपयोग कर वांछित स्रोत सामग्री की खोज कर सकता है।