इतिहास लेखन में स्रोत सामग्री का महत्व - Importance of source material in historiography

इतिहास लेखन में स्रोत सामग्री का महत्व - Importance of source material in historiography

इतिहास लेखन में स्रोत सामग्री का महत्व - Importance of source material in historiography

इतिहास लेखन का प्रमुख आधार स्रोत सामग्री है। बिना स्रोतों का उपयोग लिए इतिहासकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता। इतिहास साहित्य से स्रोतों के महत्व के कारण ही पृथक है। साहित्यकार कल्पना का उपयोग कर सृजन करता है वहीं इतिहास में कल्पना का कोई स्थान नहीं है। इतिहासकार इतिहास का सृजन स्रोतों के आधार पर करता है। स्रोत इतिहास लेखन के लिए महत्वपूर्ण है। आज इतिहास में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का उपयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिक इतिहास लेखन में स्रोतों का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।


इतिहास लेखन में स्रोतों से भी अधिक स्रोतों की प्रामाणिकता महत्वपूर्ण है। प्रामाणिक स्रोत के आधार पर लिखा इतिहास स्थायी होता है। यदि स्रोत के उपयोग से पूर्व उसकी प्रामाणिकता की जाँच न की जाए तो वह इतिहास कभी भी गलत साबित हो सकता है। यही कारण है कि साहित्यक स्रोत की तुलना में पुरातात्विक स्रोत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। साहित्यिक स्रोत का उपयोग करने से पूर्व इसकी प्रामाणिकता की जाँच पुरातात्विक स्रोतों की सहायता से की जाती है।


प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन में पुरातात्विक स्रोतों का महत्व साहित्यक स्रोतों से अधिक है।


मध्यकालीन भारतीय इतिहास लेखन में साहित्यक स्रोत अधिक महत्वपूर्ण है। आधुनिक भारतीय


इतिहास लेखन में अभिलेखागारीय स्रोतों का महत्व अन्य स्रोतों से अधिक है।


अपनी प्रगति की जाँच करें प्रश्न क्र 1. इतिहास लेखन में स्रोतों का क्या महत्व है?