भारत का राजनीतिक इतिहास - Political History of India

भारत का राजनीतिक इतिहास - Political History of India

 भारत का राजनीतिक इतिहास - Political History of India

यह इतिहास की एक महत्वपूर्ण शाखा है। शुरू के इतिहासकारों ने इसे विशेष महत्व दिया था। राजनीतिक संस्थाएँ समाज का वह रंगमंच होती हैं जहाँ महापुरुषों के कार्यों का प्रदर्शन होता है और जिनको ए. एल. राउज ने इतिहास की रीढ़ माना है। इसे इतिहास की एक महत्वपूर्ण शाखा भी कहा गया है। आधुनिक युग में इसको सूक्ष्म इतिहास' इंगित करते हैं। इसमें महापुरुषों के कार्य एवं उपलब्धियों का उल्लेख रहता है जो भावी इतिहास के निर्माण में सहायक होता है। उनसे वर्तमान को प्रकाश तथा भविष्य को मार्ग दर्शन मिलता है। राजनीतिक इतिहास के बिना किसी भी इतिहास का ज्ञान अपूर्ण समझा जाता है और अब तो वह समय भी आ गया है जब राजनीतिक इतिहास में जनसामान्य की भूमिका का अध्ययन किया जाना अपरिहार्य होगा जिसे वर्तमान काल में आम आदमी का इतिहास कहा गया है। राज्य, राष्ट्र और राष्ट्रीयता के हेतु से भी राजनीतिक इतिहास का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसे पोलिटिकल हिस्ट्री' कहते हैं।





प्राचीन काल में यूनानियों ने राजनीतिक इतिहास से इतिहास लेखन आरंभ किया तथा बाद में कई सदियों तक इसी विषय पर प्रमुख रूप से लेखन किया जाता रहा यह समीकरण ही बन गया था कि इतिहास राजनीतिक जीवन का आलेख है। इसलिए सीले जैसा प्रसिद्ध ब्रिटिश इतिहासकार इतिहास यानी पूर्वकालीन राजनीति जैसी इतिहास की सहज सरल परिभाषा करता है। राजनीति मनुष्य के जीवन का प्रमुख अंग है। समाज सुव्यवस्था के लिए कानूनों की जरूरत होती है। उन्हें बनाने वाली एवं उन पर अमल करने वाली प्रशासकीय संस्थाओं की जरूरत होती है, राज्य व्यवस्था की जरूरत होती है। राज्य व्यवस्था सुव्यवस्थित चलने के लिए शासक जरूरी होता है, चाहे फिर वह राजा हो, प्रधान मंत्री हो अथवा राष्ट्रपति हो। कानूनों का परिपालन न होने पर दंडित करने के लिए न्याय संस्था की जरूरत होती है। शासकों द्वारा किए गए निर्णयों का पारित कानूनों का परिणाम नागरिकों के जीवन पर परिणाम स्वरूप सामाजिक जीवन पर होता है। इसके अलावा राजनीति में होने वाली घटनाओं षड्यंत्र सत्तांतरों राजनीतिक जीवन में ईर्ष्या, संघर्ष इत्यादि बातें भी रोचक होती है। इस दृष्टि से राजनीतिक जीवन का महत्त्व अविवादास्पद है। पूर्वकालीन सामाजिक जीवन को प्रस्तुत करते समय उन दिनों कौन शासक था उसकी नीतियाँ क्या थी और कैसी तय होती थी, नीतियों पर अमल किस तरह और किस व्यवस्था के तहत होता था, इस पर विचार अनिवार्य होता है। इसलिए राजनीतिक जीवन का, राज्य व्यवस्था का राज्य संस्था का इतिहास जान लेने की जिज्ञासा स्वाभाविक थी। इसी तरह महान व्यक्तियों के कार्यों का


आलेख भी चित्ताकर्षक होता है। उससे उद्बोधन होता है, प्रेरणा मिलती है। इसलिए इतिहासकार इस क्षेत्र की ओर मुड़े और सामान्य पाठक वर्ग को भी यह क्षेत्र रोचक लगा।









इतिहास लेखन के लिए विश्वसनीय प्रमाण जरूरी होते हैं। राजनीतिक इतिहास लेखन के लिए इस तरह के प्रमाण मिलना आसान होता है। इसके लिए मूल स्वरूप के लिखित साधन बड़े पैमाने पर प्राप्त होते हैं। जैसे कि राजा के दरबार में शासकीय कामकाजों की प्रविष्टियाँ राष्ट्रों के बीच का पत्रव्यवहार प्रशासकीय कार्यों के प्रतिवेदन, विधि मंडल के कामकाज के प्रतिवेदन आदि मूल लिखित दस्तावेज अभिलेखागारों में व्यवस्थित रूप से इकट्ठा रखे होने से उनका परिशीलन करना आसान होता है। प्रकाशन की सुविधा के कारण मूल दस्तावेजों के संग्रह प्रकाशित हुए हैं। मराठों के इतिहास के अध्ययन के लिए शिवाजीकालीन दस्तावेज पेशवों के कार्यालयों के दस्तावेज तथा महत्वपूर्ण मराठा सरदारों के दस्तावेज उपलब्ध हैं। भारत के स्वतंत्रता समर के विषय में दस्तावेजों का प्रचंड भंडार प्रकाशित है। इसके अलावा सार्वजनिक जीवन के नेताओं के निजी पत्रव्यवहार भी राजनीतिक इतिहास के बेहतर साधन होते हैं। ये सभी दस्तावेज सरकारी अभिलेखागारों में तथा कुछ निजी संस्थाओं में, मिसाल के तौर पर पुणे के भारत इतिहास संशोधक मंडल दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल ग्रंथालय में अभिरक्षित है। प्राचीन इतिहास के अध्ययन के लिए आवश्यक पुराने हस्तलिखित दस्तावेज तथा मुद्राएँ शिलालेख, ताम्रपत्र आदि साधन कुछ संस्थाओं में सुरक्षित मिलते हैं। इससे राजनीतिक इतिहास के लेखक का कार्य आसान हो जाता है।