संप्रेषण में बाधक तत्व - communication barrier
संप्रेषण में बाधक तत्व - communication barrier
स्रोत और प्राप्तकर्ता के मध्य चलने वाले संप्रेषण से प्रतिकूल परिस्थितियों, अनुपयुक्त वातावरण तथा बाधा डालने वाली बातों के कारण ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिनके परिणामस्वरूप संप्रेषण अपनी प्रभावशीलता खो बैठता है और धीरे-धीरे उसकी संपूर्ण लड़ी ही टूट जाती है। ऐसे सभी तत्व जो संप्रेषण प्रक्रिया में बाधक सिद्ध होते हैं, उन्हें संप्रेषण के बाधक कहा जाता है।
संप्रेषण में बाधक तत्व निम्नलिखित हैं-
रुचि का अभाव : स्रोत तथा प्राप्तकर्ता ये दोनों ही संप्रेषण के मुख्य आधार हैं। अगर किसी कारणवश इन दोनों में से किसी एक की भी रुचि तथा इच्छा संप्रेषण प्रक्रिया में नहीं होती तो संप्रेषण की लड़ी अप्रभावी होकर टूट जाती है और इस दृष्टि से रुचि की कमी एक काफी शक्तिशाली बाधा के रूप में संप्रेषण पर अनुचित प्रभाव डालती है।
संप्रेषण सामग्री की कमियाँ : संप्रेषण सामग्री अगर प्राप्तकर्ता की रुचि तथा आवश्यकताओं के अनुकूल नहीं है अथवा वह उसकी योग्यताओं तथा क्षमताओं के अनुकूल नहीं है तो संप्रेषण का प्रवाह रूक सकता है। इसके अतिरिक्त संप्रेषण सामग्री से संबंधित ऐसी और भी बातें हैं जो संप्रेषण में काफी बाधक सिद्ध हो सकती हैं:
• जो कुछ संप्रेषित किया जा रहा है वह ऐसा हो सकता है कि जिसके कई अर्थ निकाले जा सकते हैं।
• संप्रेषण सामग्री व्यवस्थित नही होती तथा विचारों में तारतम्य नहीं होता है। कई बार विरोधी बातें या विचार प्रेषित कर दिये जाते हैं, जिससे प्राप्तकर्ता को उचित अनुक्रिया कर संप्रेषण को बनाये रखने में कठिनाई होती है।
संप्रेषण माध्यम की कमियाँ : स्रोत तथा प्राप्तकर्ता के बीच संप्रेषण चालू रखने के लिये संप्रेषण माध्यम सेतु का कार्य करता है अगर सेतु कमजोर तथा अक्षम है तो आदानप्रदान नहीं हो पाएगा। जिस भाषा में आप बोल रहे हैं, जिन संकेतों का आप प्रयोग कर रहे हैं अगर प्राप्तकर्ता को उनकी समझ नहीं है तो फिर संप्रेषण कार्य शुरू ही कैसे हो पायेगा। इसी तरह प्राप्तकर्ता समझ तो गया, परन्तु उसमें इतनी भाषा या संकेतात्मक योग्यता नहीं है कि वह अपने विचार आप तक पहुँचा सके तो भी संप्रेषण का क्रम बिखर जाएगा।
प्राप्तकर्ता सम्बन्धी कमियाँ : संप्रेषण में कई बार प्राप्तकर्ता और उससे संबंधित कमियाँ ही आड़े आ जाती हैं। इसमें पर्याप्त रुचि का अभाव, उचित योग्यता व क्षमता का अभाव, संप्रेषण माध्यम सम्बन्धी कमियाँ आदि तो हो ही सकती हैं। इसके अतिरिक्त संप्रेषण के समय वह जिस शारीरिक या मानसिक स्थिति से गुजर रहा है उसका भी प्रभाव संप्रेषण में बाधा बनकर खड़ा हो सकता है।
वातावरणजन्य कमियाँ: जिस वातावरण और परिस्थिति में संप्रेषण की प्रक्रिया चल रही है उसका अनुकूल न होकर बाधक होना भी संप्रेषण में प्रभावहीनता तथा बिखराव ला सकता है। संप्रेषण में बाधा डालने वाले वातावरणजन्य तत्व निम्न हो सकते हैं
• मौसम की प्रतिकूलता जैसे बहुत अधिक गर्मी, वर्षा, ठंड, आँधी, तूफान आदि ।
• सुविधाओं का अभाव जैसे प्रकाश, वायु, पानी, बिजली, बैठने या खड़े होने सम्बन्धी उचित स्थान का अभाव
• शोरगुल एवं सम्प्रेषित सामग्री को ग्रहण करने के लिये आवश्यक ध्यान देने में बाधा डालने वाले अन्य तत्व जैसे एक ही साथ कई संदेशों का प्रसारण तथा एक ही साथ कई बातों पर ध्यान देने को मजबूर करने वाली वातावरण जन्य परिस्थितियाँ आदि ।
• संप्रेषण में भाग लेने वाले अन्य साथियों का असहयोग प्रतिस्पर्धा पूर्ण व्यवहार ।
• आवश्यक उत्साह, अभिप्रेरणा तथा प्रोत्साहन का अभाव
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