मुगलकालीन इतिहास के प्राथमिक स्रोत - Primary sources of Mughal history

मुगलकालीन इतिहास के प्राथमिक स्रोत - Primary sources of Mughal history

मुगलकालीन इतिहास के प्राथमिक स्रोत - Primary sources of Mughal history

सल्तनतकाल की तुलना में हमें मुगलकाल में इतिहास के स्रोत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। जहाँ बाबर (1526-1530 ई.) ने बाबरनामा एवं जहाँगीर (1605-1627) ने तुजुक-ए-जहाँगीरी' के नाम से अपनी आत्मकथाएँ लिखीं वहीं अकबर (1558-1605) एवं शाह (1627-1658) ने अपने काल का इतिहास लेखबद्ध कराया। इससे पता चलता है कि मुगल मुल्तान इतिहास लेखन के प्रति कितने जागरूक थे। मुगलकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है


हुमायूँनामा


हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम ने इस कृति का सृजन किया। इस ग्रंथ में हमें


तत्युगीन राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ तत्युगीन सांस्कृतिक स्थिति एवं महिलाओं की स्थिति विषयक महत्त्वपूर्ण स्रोत सामग्री प्राप्त होती है।


अकबरनामा


1- अकबर के कहने पर उसके मित्र एवं दरबारी इतिहासकार अबुलफजल 'अकबरनामा' ग्रंथ का लेखन किया। 'आइन-ए-अकबरी' इसी ग्रंथ का एक भाग है। आइन-ए अकबरी' में अकबर के काल की छोटी-से-छोटी जानकारी भी मिलती है इसीलिए इस ग्रंथ को अकबर कालीन गजेटियर कहा जाता है।


3. पादशाहनामा शाहजहाँ के कहने पर अब्दुल हमीद लाहौरी ने पादशाहनामा' के रूप में शाहजहाँ कालीन इतिहास लिखा


औरंगजेब कालीन इतिहास की जानकारी के मूलस्रोतों में मुहम्मद काजिम बिन मुहम्मद अमीन की कृति 'आलमगीरनामा' खाफी खान की कृति 'मुंतखाब-उत्त-सुबाब एवं ईश्वरदास नागर की कृति फतुहात-ए-आलमगीरी' है। उक्त ग्रंथों के अलावा मुगलकालीन इतिहास की जानकारी के अन्य प्रमुख मूल स्रोतों में बदायूँनी की कृति 'मुतखाब-उत-तवारीख एवं निजामुद्दीन अहमद की कृति तबकात-ए-अकबरी' को लिया जा सकता है।


विदेशी यात्रियों के विवरण


मध्यकाल में कई विदेशी यात्री भारत की यात्रा पर आए। यदि शोधार्थी मध्यकालीन भारतीय इतिहास के किसी पक्ष पर शोधकार्य कर रहा है, तो इन विदेशी यात्रियों के विवरण उसके लिए प्राथमिक स्रोतों के रूप में कार्य करेंगे।


मध्यकालीन विदेशी यात्रियों में मार्को पोलो, (1288-1292), इब्न बतूता (1333-1342), निकोलो कोन्ती (1420-1422) अ (1442-43), दुआतें बरबोसा (1516-1518), जीन


वैपटिस्ट टेवर्नियर (1641-1687), निकोलो मनूची (1656-1687), फ्रांसिस बनियर (1658-1668) का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। इन्होंने जो विवरण लेखबद्ध किए वे आज प्रकाशित हो चुके हैं।


शोधार्थी मूल स्रोत के रूप में इनका उपयोग कर सकता है|