इतिहास के द्वितीयक स्रोत - secondary sources of history
इतिहास के द्वितीयक स्रोत - secondary sources of history
द्वितीयक स्रोतों में घटना, व्यक्ति वस्तु अथवा विषय से संबंधित वे स्रोत आते हैं, जो प्राथमिक स्रोतों के आधार पर वर्णित विश्लेषित व चर्चाओं तथा मूल्यांकनों द्वारा तैयार किए जाते हैं। इसमें समाचार पत्रों तथा चर्चित पत्रिकाओं के लेख, पुस्तक अथवा फिल्मों की समीक्षा, शोध पत्रिकाओं के लेख तथा कुछ वास्तविक शोधों के तथ्य शामिल किए जाते हैं।
दूसरे शब्दों में हम कहें तो द्वितीयक या प्रलेखनीय स्रोत के होते हैं जो कि प्रकाशित या अप्रकाशित समस्त लिखित सामग्री का प्रतिनिधित्व करते हैं और जिसके माध्यम से अनुसंधानकर्ता को अपने विषय से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण सूचनाएं आँकड़े आदि प्राप्त हो जाते।
जैसे : - जनगणना रिपोर्ट से हमें देश की जनसंख्या आदि विषयों के संबंध में जो गणनात्मक (Quantitative) तथा विषयनिष्ठ आंकड़े व सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं, उन्हें एकत्रित करना किसी भी व्यक्तिगत या सामूहिक अनुसंधानकर्ता के लिए संभव नहीं है। उसी प्रकार एक विषय से संबंकि एक व्यक्ति के पत्रों तथा डायरी से उस व्यक्ति के आंतरिक जीवन, मनोभाव तथा अन्य अनेक बातों का जिस रूप में हमें पता लगता है, वह अन्य किसी भी प्राथमिक स्रोत से हमें कदापि नहीं मिलता। साथ ही, द्वितीयक स्रोतों से प्राप्त सूचनाएँ अध्ययन विषय के संबंध में अनेक ऐसीप्राथमिक व गहन जानकारी को प्रस्तुत करती है तथा उस विषय की एक ऐसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का निर्माण करती है कि उसे जाने बिना नवीन शोधकार्य को सफलतापूर्वक उसके लक्ष्य तक पहुँचना कठिन है।
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