अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 - Immoral Traffic (Prevention) Act, 1956
अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 - Immoral Traffic (Prevention) Act, 1956
समाज में महिलाओं का पद इतना हीन माना गया है कि उन्हें एक वस्तु के रूप में देखा जाता है। इस अवमूल्यन के कारण एवं समाजिक शोषण के कारण कई महिलाएं देह व्यापार की ओर बढ़ती है। ऐसे में ताक लगाकर बैठे दलाल इनकी खरीद फरोक्त शुरू कर देते हैं। ऐसे में उनका जीवन अत्यंत पौड़ाजनक बन जाता है। इस शोषण के दमन के लिए शुरुआत में अनैतिक व्यापार निवारण अधिनयम 1956 बनाया गया, जिसमें बाद में, 1986 एवं 1987 में संशोधन किया गया।
इस अधिनियम के प्रमुख दो उद्देश्य है -
• अपराधियों के लिए भारी सजा निर्धारित करते हुए महिला/बालक/बालिका के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की जांच करना
• देह व्यापार से पीड़ित और संकटग्रस्त महिलाओबालिकाओं के लिए उद्धार एवं पुनर्वास संबंधी ढाँचे की व्यवस्था करना।
वार्तालाप में शामिल हों