राज्य नीति के निदेशात्मक सिद्धांत - Directive Principles of State Policy

राज्य नीति के निदेशात्मक सिद्धांत - Directive Principles of State Policy

किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में मौलिक अधिकार तथा नीति निर्देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य के नीति निर्देशक तत्व जनतांत्रिक संवैधानिक विकास के नवीनतम तत्व हैं। सर्वप्रथम ये आयरलैंड के संविधान में लागू किए गए थे। ये वे तत्व हैं जो संविधान के विकास के साथ ही विकसित हुए हैं। इन तत्वों का कार्य एक जनकल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) की स्थापना करना है। भारतीय संविधान में अध्याय-IV में अनुच्छेद 36 से 51 में राष्ट्र की कुछ मौलिक जिम्मेदारियों को निर्धारित किया गया है, जिसे हम निम्न रूप में देख सकते हैं

परिभाषा


इस भाग में अंतर्विष्ट तत्वों का लागू होना राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा


राज्य द्वारा अनुसरणीय कुछ नीति तत्व


समान न्याय और नि: शुल्क विधिक


ग्राम पंचायतों का संगठन


सहायता:

कुछ दशाओं में काम शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपच


कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि

उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता


बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध


अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हित की अभिवृद्धि


पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य को सुधार करने का राज्य का कर्तव्य


कृषि और पशुपालन का संगठन

पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन वन तथा वन्य जीवों की रक्षा राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण


कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण


अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि