भारतीय कानून - Indian Law
भारतीय कानून - Indian Law
भारतीय संविधान में सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं जीवन की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। संविधान में सभी को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, ताकि नागरिकों का हित स्वैच्छिक निर्णयों से प्रभावित नहीं हो। भारतीय कानून के दो स्रोत हैं।
प्राथमिक स्रोत
संसद द्वारा अथवा विधानमंडल द्वारा पारित कानून भारतीय कानून का प्राथमिक स्रोत है। इसके अलावा जब संसद अथवा राज्य विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा होता है तब राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास अध्यादेशों को जारी करने का सीमित अधिकार भी होता है। ये अध्यादेश संसद अथवा राज्य विधानमंडल के पुनः आरंभ होने के छह सप्ताह के भीतर अमान्य हो जाते हैं। इन कानूनों को बाद में अधिकारिक गजेट में प्रकाशित किया जाता है। ज्यादातर नियम अधिकारियों को कानून के नियम और नियमन बनाने का कार्य सौपते हैं। ये नियम और नियमन आवर्ती रूप से विधानमंडल के समक्ष रखे जाते
द्वितीय स्रोत
सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और कुछ विशेषीकृत न्यायाधिकरणों के निर्णय कानून के द्वितीय स्रोत होते हैं। इन संस्थानों के निर्णय न सिर्फ पक्षों के बीच कानूनी और वास्तविक मुद्दों का निर्धारण करती हैं, बल्कि इस प्रक्रिया में कानून की व्याख्या भी करते हैं। संविधान द्वारा यह निर्धारित किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्मित कानून भारत के सभी न्यायालयों में लागू होंगे। सर्वोच्च न्यायालय अपने अधिकारों का उपयोग उन न्यायिक प्रक्रिया में करता है, जो पारंपरिक रूप से पाएं जाते हैं जैसे न्यायालय कानून की व्याख्या करते हैं नए कानून नहीं बना सकते। उच्च न्यायालय का निर्णय जरूरी नहीं है कि सर्वोच्च न्यायालय पर लागू हो लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सभी उच्च न्यायालयों पर लागू होते हैं।
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