मुस्लिम विवाह अधिनियम - Muslim Marriage Act
मुस्लिम विवाह अधिनियम - Muslim Marriage Act
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में मुस्लिम विधि काफी हद तक असंहिताबद्ध है। मुस्लिम विधियाँ ज्यादातर धार्मिक ग्रंथों के आधार पर ही मान्यता प्राप्त है। शरियत अधिनियम, 1937 से पहले तक मुस्लिम समुदायों में विभिन्नता को देखा जाता है। भारतीय सर्भ में देखे तो मुस्लिम विवाह विधि निम्नलिखित हैं मुस्लिम विवाह विधि भारत के प्रत्येक मुस्लिम व्यक्ति पर लागू होती है जिसका मानना है कि ईश्वर एक है और उसका पैगम्बर माहम्मद है। मुस्लिमों में विवाह संस्कार नहीं बल्कि एक सिविल संविदा है। मुस्लिम और गैर-मुस्लिम के बीच विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत विवाह हो सकता है। 18 वर्ष से कम आयु की स्त्री का विवाह करना अपराध है परंतु इस निषेध का उल्लंघन करने से विवाह की वैधता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुस्लिम विवाह विच्छेद अधिनियम, 1939 द्वारा मुस्लिम पत्नी को निम्नलिखित आधारों पर तलाक पाने का अधिकार दिया गया है.
1. चार वर्षों से पति के संबंध में कोई जानकारी न हो
2. पति दो वर्ष से उसका भरण-पोषण नहीं कर रहा हो
3. पति सात वर्ष या उससे अधिक का काराबास दे दिया गया हो।
4. किसी समुचित कारण के बिना पति तीन वर्ष से अपने वैवाहिक दायित्वोम का निर्वाह नहीं कर रहा हो
5. पति नपुंसक हो
6. पति दो वर्ष से पागल हो
7. पति कुष्ठ रोग या उम्र रति रोग से पीड़ित हो उस (पत्नी) की शादी सहवास न किया हो
8. 15 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले हो चुकी हो और उसने पति के साथ
9. पति का व्यवहार क्रूर रहा हो
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