हिंसा : अर्थ एवं परिभाषा - Violence : Meaning & Definition
हिंसा: अर्थ एवं परिभाषा - Violence: Meaning & Definition
गीता में हिंसा को कमजोरी का प्रतिफल माना गया है। जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु को चाहता है पर वस्तु एवं व्यक्ति के बीच में कोई चीज या व्यक्ति रुकावट बनता है तो वस्तु को चाहने वाले व्यक्ति के अंदर भय उठता है या तो क्रोध उठता है। रुकावट डालने वाली वस्तु या व्यक्ति जब कमजार होते है तो वस्तु को चाहने वाले को क्रोध होता है तथा जन रुकावट डालने वाली वस्तु वा व्यक्ति सबल होते हैं तो वस्तु को चाहते वाले व्यक्ति को भय होता है। इस प्रकार देखा जाये तो भव एवं क्रोध सापेक्षित पर्यावरणीय स्थिति का प्रतिफल है। व्यक्ति के क्रोध से ही हिंसा का अंकुरण होता है। हिंसा की प्रक्रिया में व्यक्ति क्षति पहुँचाने या प्रतिशोध की अग्नि में निरस्त जलता रहता है।
हिंसा का सामान्य अर्थ क्षति या नुकसान पहुँचाने की प्रक्रिया से होता है। महात्मा गांधी की दृष्टि में जब कोई व्यक्ति मन, बचन या शरीर (कर्म) से किसी को हानि पहुंचाता है तो उसे हिंसा कहते हैं। इस प्रकार देखा जाये तो महात्मा गांधी हिंसा को विशिष्ट रूप देते हुए उसमें 'मन', 'शरीर' एवं कर्म तीनों को सम्मिलित करते हैं। गांधी के नज़र में किसी को नुकसान पहुंचाने का भाव मन में लाना हिंसा है। किसीको ऐसे बचत कहना जिससे वह आहत हो जो भी वह हिंसा है तथा किसी को कर्म से क्षति पहुंचाने का भाव मन में लाना हिंसा है। किसी को ऐसे बचन कहना जिससे वह आहत हो तो भी वह हिसा है तथा किसी को कर्म से क्षति पहुंचाना भी हिंसा है।
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