समाजशास्त्र एवं मानवशास्त्र में संबंध - Relationship between Sociology and Anthropology

समाजशास्त्र एवं मानवशास्त्र में संबंध - Relationship between Sociology and Anthropology

मानवशास्त्र वह विज्ञान है जो आदिकालीन मानव की शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृति और उद्विकासीय सम्बन्धी विशेषताओं का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र और मानवशास्त्र एक दूसरे से इतने घनिष्ट रूप से संबंध है कि क्रोबर ने तो इन दोनों शास्त्रों को जुड़वा बहन तक कह दिया है। बोआस का कथन है कि समाजशास्त्र का प्रमुख कार्य सामाजिक गतिशीलता और सामाजिक क्रम के सिद्धांतों को स्पष्ट करना है ये सिद्धांत मानव शास्त्री होने के साथ ही समाज शास्त्री भी है। इस आधार पर हाबेल ने तो यहां तक कह दिया है कि विस्तृत अर्थों में समाजशास्त्र और मानवशास्त्र बिलकुल एक समान है। समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध मानवशास्त्र और समाजशास्त्र का संबंध और भी अधिक स्पष्ट करने के लिए मानवशास्त्र के तीन प्रमुख भागों से समाजशास्त्र का संबंध दिखाया जा सकता है। 

मानवशास्त्र का प्रथम भाग भौतिक मानवशास्त्र है जो मानव के शारीरिक लक्षणों का अध्ययन करता है यह शास्त्र आदि मानव के शारीरिक लक्षणों का अध्ययन करता है। यह शास्त्र आदि मानव की उत्पत्ति एवं शारीरिक विशेषताओं का गूढ अध्ययन करता है। समाजशास्त्र इन सभी अध्ययनों का लाभ उठाता है। मानवशास्त्र का द्वितीय मुख्य भाग है प्रागैतिहासिक मानवशास्त्र जो कि प्रागैतिहासिक युग की संस्कृतियों, सभ्यताओं व कलाओं का अध्ययन करता है। समाजशास्त्र प्राचीन सभ्यता संस्कृति आदि का अध्ययन करके उसके आधार पर वर्तमान सामाजिक ढांचे का विश्लेषण करता है। मानवशास्त्र का तीसरा भाग जो सम्भवतः समाजशास्त्र के अत्यधिक निकट है। वह सामाजिक मानवशास्त्र है सामाजिक मानवशास्त्र वास्तव में आदिम सामाजिक परिस्थितयों में मनुष्य के समाज व संस्कृति का अध्ययन करता है। अर्थात इस शास्त्र के अंतर्गत आदिम समाजों के सामाजिक जीवन का अध्ययन किया जाता है। दूसरी ओर समाजशास्त्र सभ्य समाजों के सामाजिक जीवन का अध्ययन करता है और इस रूप में दोनों ही विज्ञान एक दूसरे के अधिक निकट है। दोनों ही विज्ञान एक दूसरे की सहायता करते है उपर्युक्त आधार पर कीसिंग का यह कथन उचित ही प्रतीत होता है कि “सामाजिक मानवशास्त्र तथा समाजशास्त्र के बीच का क्षेत्र घनिष्ट रूप से सम्बन्धि है दोनों प्रबल रूप से सामाजिक व्यवहार के वैज्ञानिक सामान्यीकरण से सम्बन्धित है।"


वर्तमान काल में आदिम कालीन समाज और सभ्य समाज में जैसे-जैसे परिवर्तन हो रहा है मानवशास्त्र और समाजशास्त्र भी एक दूसरे के अधिक समीप आते जा रहे है। 

उदाहरण:

आदिवासी समाजों में भी अब प्रौद्योगिकी का प्रभाव बढ़ रहा है। सामाजिक मूल्य बदल रहे है। तथा बड़े-बड़े समूहों का निर्माण हो रहा है। इस प्रकार सामाजिक परिवर्तन नई प्रौद्योगिकी के अध्ययन ने समाजशास्त्र और मानवशास्त्र को एक दूसरे के अधिक निकट ला दिया है। भारतीय समाज का उदाहरण देते हुए एबोटोमोर ने सामाजशास्त्र और मानवशास्त्र के संबंध को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि भारतीय समाज न तो औद्योगिक रूप से पूरी तरह विकसित है और न ही आदिम समाजों की भांति पूर्णतया पिछड़ा हुआ है इसके फलस्वरूप यहां की सामाजिक व्यवस्था ग्रामीण समुदाय, नातेदारी संबंधों, जजमानी व्यवस्था तथा परम्पराओं का अध्ययन मानवशास्त्र में किया जाता है और समाजशास्त्र में भी किया जाता है।