अगस्त कॉम्ट के समाजशास्त्र की परिभाषा -August Comte's definition of sociology
अगस्त कॉम्ट के समाजशास्त्र की परिभाषा -August Comte's definition of sociology
कॉम्ट का समाजशास्त्र वह विज्ञान है जिसमे सामाजिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। कॉम्ट समाजशास्त्र के जनक थे। इसलिए उन्होंने इस विज्ञान को अधिक से अधिक प्रायोगिक बनाने का प्रयास किया था। आपने समाजशास्त्र को परिभाषित करते हुए लिखा है-"समाजशास्त्र सामाजिक व्यवस्था एवं प्रगति का विज्ञान है।" (Sociology is the science of Social order and progress)
इस परिभाषा से स्पष्ट है कि कॉम्ट ने समाजशास्त्र के अध्ययन के अंतर्गत दो पहलुओं को सम्मिलित किया है
A. सामाजिक व्यवस्था (Social Order)
B. सामाजिक प्रगति (Social Progress)
सामाजिक व्यवस्था (Social Order)
समाज संपूर्ण ब्रह्मांड में है। इस ब्रह्मांड की घटनाओं का संचालन प्रकृति के द्वारा होता है। इस संचालन में एक व्यवस्था है। प्रकृति में स्वयं ही एक व्यवस्था पाई जाती हैं
और समाज प्रकृति का एक भाग है। प्रकृति की व्यवस्था के समान ही समाज में भी एक व्यवस्था पाई जाती है। कॉम्ट के अनुसार यह सामाजिक व्यवस्था है। यह कई उप व्यवस्थाओं से मिलकर बनती है। यह व्यवस्थाएं परस्पर एक दूसरे पर निर्भर है और एक दूसरे से संबंधित होती हैं। इसे स्पष्ट करने के लिए कॉम्ट सावयव का सहारा लिया है। जिस प्रकार मानव एक सावयव है और उसके शरीर के विभिन्न अंग हाथ-पैर, नाक-कान, हृदय, फेफड़े आदि परस्पर संबंधित होते हैं और एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। इन सभी अंगों के बीच में एक व्यवस्था पाई जाती है। ठीक उसी प्रकार समाज भी एक सावयव है जिसकी विभिन्न इकाईयां हैं, जैसे परिवार, धार्मिक संस्थाएं राजनीतिक संस्थाएं, शैक्षणिक संस्थाएं और यह सभी संस्थाएं एक दूसरे पर निर्भर हैं और एक दूसरे से संबंधित हैं। समाज की विभिन्न इकाइयों में निहित सामंजस्य और एकजुटता के कारण ही सामाजिक व्यवस्था का निर्माण होता है और इसी सामाजिक व्यवस्था का अध्ययन समाजशास्त्र में किया जाता है।
सामाजिक प्रगत (Social Progress)
अगस्त कॉम्ट का विचार है कि समाजशास्त्र सामाजिक प्रगति का भी विज्ञान है। समाज कोई स्थाईतत्व नहीं है। इसमें निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। इन परिवर्तनों के कारण समाज की प्राचीन व्यवस्थाएं बदलती हैं और उसके स्थान पर नई व्यवस्थाएं आती हैं। अगस्त कॉम्ट प्रगति को समाज का मौलिक आधार रूप मानते हैं। कॉम्ट ने मानव के बौद्धिक एवं नैतिक विकास को उसकी प्रगति माना है। प्रगति कुछ नैतिक एवं बौद्धिक सिद्धांतों पर निर्भर होती है। जिसका निर्माण समाजशास्त्रियों के द्वारा किया जाता है। प्रगति व्यवस्था का मूल आधार एवं परम लक्ष्य है। कॉम्ट के अनुसार समाजशास्त्र उन सभी बौद्धिक, भौतिक एवं नैतिक नियमों की खोज व स्थापना करता है, जिसके द्वारा समाज में प्रगति की जा सके। इसलिए कॉम्ट के समाजशास्त्र को सामाजिक प्रगति का विज्ञान भी कहा गया है।
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