अर्थशास्त्र की विषय सामग्री - Economics Subject Matter
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री - economics subject matter
राबिन्स: का मत है कि अर्थशास्त्र की विषय सामग्री के अन्तर्गत आर्थिक समस्या अर्थात मानव व्यवहार के चुनाव की समस्या का अध्ययन किया जाता है। स्पष्टतः राबिन्स ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र को बहुत व्यापक बना दिया है।
जे.के. मेहता: का मत है कि अर्थशास्त्र की विषय सामग्री वह मानव व्यवहार है जो उसके आवश्यकता विहीनता की स्थिति तक पहुंचाने में सहायक है।
1. उपभोग
उपभोग अर्थशास्त्र का प्रमुख विभाग है जिसके अन्तर्गत मानवीय आवश्यकताओं तथा उसकी संतुष्टि के लिए किये गये प्रयासों का अध्ययन किया जाता है। मनुष्य की अनेक आवश्यकता होती है तथा उन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वह प्रयासरत रहता है और इस प्रक्रिया में विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं का उपयोग करता है। उपयोग में केवल आवश्यकता की संतुष्टि निहित होती है। इस विभाग के अन्तर्गत उपभोक्ताओं की समस्या तथा उसके व्यवहार आवश्यकताओं की प्रकृति, उपयोगिता तथा उससे सम्बन्धित मांग तथा मांग का नियम, अनधिमान, वर्क, विश्लेषण आदि अनेक बातों का अध्ययन किया जाता है।
2. उत्पादन
उत्पादन अर्थशास्त्र का दूसरा प्रमुख विभाग है। उत्पादन का तात्पर्य उपयोगिता के सृजन से है। अर्थात व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति हेतु किसी वस्तु की उपयोगिता में वृद्धि करने का कार्य उत्पादन है। वस्तु को उपयोगिता में वृद्धि अनेक रीतियों द्वारा की जा सकती है। जैसे वस्तु का स्वरूप बदल कर, स्थान का परिवर्तन करके, उपयोग का समय बदलकर आदि उत्पादन में हम इस बात का अध्ययन करते है कि धन (या वस्तु) का उत्पादन कैसे, किस प्रकार किन नियमों के अन्तर्गत तथा किन-2 साधनों के सहयोग से होता है और उत्पादनकर्ता को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस विभाग के अन्तर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों, भूमि, श्रमपूंजी, साहस तथा संगठन की विशेषताओं व समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
3. विनिमय
विनिमय से तात्पर्य उस लेन-देन से होता है जो स्वतंत्र, ऐच्छिक तथा वैधानिक हो जब दो व्यक्ति स्वेच्छा से किन्ही दो वस्तुओं या सेवाओं को आपस में अदला-बदली करते है तो यह कार्य विनिमय का कार्य कहलाता है। प्रारम्भ में विनिमय का कार्य वस्तुओं का आदान-प्रदान करके किया जाता था परन्तु मुद्रा के आविष्कार ने वस्तु विनिमय प्रथा को लगभग समाप्त कर दिया। अब विनिमय का पूरा कार्य मुद्रा की सहायता से होने लगा है।
4. वितरण
किसी वस्तु का उत्पादन करने के लिए उत्पादन के विभिन्न साधनों का सहयोग लिया जाता है तथा विभिन्न व्यक्ति मिलकर एक ही वस्तु का उत्पादन करते है। इस प्रकार के संयुक्त उत्पादन प्रणाली का उदाहरण फैक्ट्रियां या कारखाने है जहां बहुत से व्यक्ति या साधन मिलकर उत्पादन का कार्य करते है। अब यह प्रश्न उठता है कि संयुक्त रूप से प्राप्त उत्पादन या आय का बटवारा किस प्रकार किया जाय। इस प्रकार साधनों के बीच बटवारें की समस्या जन्म लेती है। इस समस्या के समाधान के लिए वितरण विभाग का सहारा लिया जाता है वितरण में संयुक्त उत्पादन के सम्बन्धित नियमों सिद्वान्तो तथा समस्या का अध्ययन किया जाता है।
5. राजस्व एवं सार्वजनिक वित्त
राजस्व आधुनिक समय में सम्पूर्ण आर्थिक प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है इसके अन्तर्गत सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक ऋण बचत, घाटे की वित्त व्यवस्था, राजकोषीय नीति से सम्बन्धित समस्त बातो का अध्ययन किया जाता है।
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