वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प के चरण - Stages of Descriptive Research Design

 वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प के चरण - Stages of Descriptive Research Design


सैल्टिज, जहोदा तथा सहयोगियों ने वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प के निम्न चरणों को चिन्हित किया है-


1) उद्देश्यों का निरूपण


वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प में प्राथमिक चरण के रूप में अध्ययन हेतु उद्देश्यों को सुनिश्चित कर लिया जाता है। इन उद्देश्यों को निश्चित करने के लिए शोधकर्ता को पूर्व में किए गए अध्ययनों तथा अन्य संबंधित साहित्यों का अध्ययन करना पड़ता है, इसके पश्चात ही वह अनुसंधान हेतु आवश्यक उद्देश्यों का निर्धारण कर पाता है। ये उद्देश्य शोधकर्ता को अध्ययन करने हेतु मार्ग प्रदान करते हैं तथा साथ ही ये उद्देश्य दिशा निर्देश के रूप में भी अध्ययन की गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायक सिद्ध होते हैं। 


2) तथ्य संकलन हेतु उपयुक प्रविधियों का चयन


उद्देश्यों के निर्धारण के उपरांत तथ्यों को संकलित करने हेतु उपयुक्त विधियों की रूपरेखा तैयार कर ली जाती है। ये विधियाँ अनुसंधान के उद्देश्यों के ही अनुरूप निर्मित की जाती हैं। जिस प्रकार के उद्देश्य होते हैं, उसी प्रकार तथ्य संकलम हेतु विधियों को भी तैयार किया जाता है। पूर्व में ही इन विधियों को निर्धारित कर लेने से अनुसंधान की नैतिकता भी बनी रहती है तथा शोधकर्ता को भी क्षेत्रीय अध्ययन के दौरान अनुसंधानिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। अनुसंधान की समस्या और समग्र की प्रकृति के आधार पर प्रस्तावित अध्ययन हेतु उपयुक्त प्रविधि का चयन करना आवश्यक होता है. कई बार अध्ययन हेतु एक से अधिक प्रविधियों का भी प्रयोग किया जाता है। 


3) निदर्शन का चुनाव


इसके पश्चात तीसरे चरण के रूप में निदर्शन का चयन कर लिया जाता है। निदर्शन सम्पूर्ण जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने हेतु उपयुक्त इकाइयों को चयन करने का एक प्रारूप होता है, जो सम्पूर्ण का प्रतिनिधित्व करता है। इसके चयन में सावधानी बरतने की आवश्यकता रहती है, क्योंकि प्रतिनिधित्वपूर्ण इकाइयों का चयन न हो पाने से अनुसंधान की विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती हैं। इनका चयन वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प में इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि यदि चयनित इकाइयां सम्पूर्ण का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाती हैं, तो इस प्रकार से सम्पूर्ण विवरण ही अप्रासंगिक व अवैध सिद्ध हो सकता है। निदर्शों का सही चयन ही वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प की वास्तविक अभिव्यक्ति को स्पष्ट कर सकता है। इसमें पूर्व ही उपयुक्त निदर्शन प्रविधि और निदर्शन के आकार के बारे में निर्णय कर लिया जाता है। 


4) तथ्यों का विश्लेषण


निदर्शन के सफलतापूर्वक चयन के पश्चात वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प में अध्ययन क्षेत्र से तथ्यों का संकलन और उन प्राप्त तथ्यों का विश्लेषण किया जाता है।

इसमें पूर्व में ही निर्धारित की गई विधियों व तकनीकों की सहायता से प्राथमिक क्षेत्र से आंकड़ों को इकट्ठा किया जाता है तथा जब शोधकर्ता को ये आंकड़े प्राप्त होते हैं, तो ये आंकड़े बिखरे हुये रहते हैं। शोधकर्ता इन आंकड़ों को वर्गीकृत -सारणीकृत करता है। इस प्रकार की व्यवस्था के पश्चात आकड़ें व्यावहारिक स्थिति को स्पष्ट करने में सक्षम हो सकते हैं। कई बार आंकड़ों की विविधता और अधिकता की दशा में कोडिंग कर उन्हें सरल बनाने की भी आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार से शोधकर्ता विविध प्रक्रियाओं की सहायता से आंकड़ों को अर्थयुक्त तथ्यों के रूप में परिवर्तित करता है। 


(5) परिणामों की व्याख्या


तथ्यों के रूप में स्पष्ट हो जाने के बाद की दशा में प्राप्त परिणामों का विश्लेषण करना वर्णनात्मक अनुसंधान अभिकल्प का अंतिम चरण होता है। इसमें तथ्यों को निर्धारित की गई विश्लेषण विधि के आधार पर विश्लेषित किया जाता है तथा एक निष्कर्ष/उपसंहार को प्रतिपादित किया जाता है।