वुड-एबोट रिपोर्ट (1936-37) - Wood-Abbott Report (1936-37)

वुड-एबोट रिपोर्ट (1936-37) - Wood-Abbott Report (1936-37)


व्यावसायिक शिक्षा की सलाह देने के लिए इंग्लैंड की शिक्षा परिषद् से 1936 में श्री. ए. एबोट तथा एस. एच. वुड भारत आए। दोनों ने भारतीय शिक्षा समस्या के अध्ययन हेतु संपूर्ण भारत की यात्रा की तथा सन 1937 में शिक्षा संबंधी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। यही रिपोर्ट भारत में वुड-एबोट रिपोर्ट के नाम से जानी जाती है। यह रिपोर्ट दो भागों में प्रस्तुत की गई


1. वुड द्वारा प्रस्तावित सामान्य शिक्षा पर सुझाव


2. एबोट द्वारा प्रस्तुत किए गए व्यावसायिक तथा औद्योगिक शिक्षा पर सुझाव


1) सामान्य शिक्षा पर श्री वुड की सिफारिशें


1. शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो, और मिडिल स्कूल में अंग्रेजी पर ज्यादा जोर न दिया जाए।


2. बालिका शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।


3. प्राथमिक विद्यालय में प्रशिक्षित शिक्षक और शिक्षिका हो।


4. गाँव के स्थानीय आवश्यकताओं के अनुकूल ग्रामीण स्कूल का पाठ्यक्रम हो।


5. बालकों के रूचि को ध्यान में रखते हुए शिक्षा की व्यवस्था हो


6. माध्यमिक विद्यालयों में अंग्रेजी को आवश्यक रूप से प्राथमिकता दी जाये।


7. विद्यालय के निरीक्षण के लिए निरीक्षकों को नियुक्ति हो।


2) व्यावसायिक तथा औद्योगिक (Vocational) शिक्षा पर एबोट की सिफारिशें


1. सामान्य शिक्षा तथा व्यावसायिक शिक्षा में घनिष्ठ संबंध है, इसलिये सामान्य शिक्षा को तरह व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करना अति आवश्यक है।


2. प्रत्येक प्रांत में व्यावसायिक शिक्षा का प्रबंध होना चाहिये।


3. छात्रों को प्रारंभ में सामान्य शिक्षा और उसके बाद व्यावसायिक शिक्षा दी जानी चाहिए।


4. १४ वर्ष की उम्र के बाद ही बालकों को व्यावसायिक शिक्षा दी जाए।


5. देश की औद्योगिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही व्यावसायिक शिक्षा दी जाए।


6 सामान्य शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा के विद्यालय अलग अलग हो।


7. प्रत्येक प्रांत में व्यावसायिक शिक्षा सलाहकार समिति की स्थापना करें।


8. व्यावसायिक शिवा एकमार्गी न होकर बहुमार्गी हो।


9. दिल्ली में एक व्यावसायिक प्रशिक्षण कॉलेज खोला जाए।


10. व्यावसायिक विद्यालयों की स्थापना दो प्रकार की हो -


१ जूनियर व्यावसायिक विद्यालय २ वर्ष का इसमें मिडल पास छात्रों को प्रवेश मिले।


१२ सीनियर व्यावसायिक विद्यालय २ वर्ष का और इसमें माध्यमिक शिक्षा प्राप्त छात्रों को प्रवेश मिले।



वुड तथा एबोट की रिपोर्ट का मूल्यांकन


रिपोर्ट के गुण:


1) जीवननिष्ठ एवं व्यावहारिक शिक्षा:- एबोट ने व्यावहारिक शिक्षा का सुझाव देकर शिक्षा को जीवननिष्ठ एवं व्यावहारिक बनाया।


2) सामान्य एवं व्यावसायिक शिक्षा का समन्वयः रिपोर्ट के अनुसार सामान्य एवं व्यावसायिक शिक्षा दोनों का समन्वय किया गया और शिक्षा को जीवनोपयोगी बनाया।


3) व्यावसायिक शिक्षा प्रयास इस रिपोर्ट ने पहली बार व्यावसायिक शिक्षा को महत्त्वपूर्ण बनाया।


4) रिपोर्ट के अवगुण (दोष)


1. ग्रामीण पक्ष की अवहेलना:- इस रिपोर्ट में किसानों के जीवन स्तर को उठाने का कोई भी सुझाव नहीं दिया जबकि भारत का मुख्य व्यवसाय कृषि है।


2. सरकारी उदासीनता:- यह रिपोर्ट विभिन्न गुणों से युक्त एवं महत्वपूर्ण होकर भी सरकार को अपनी ओर आकर्षित न कर सकी, जो इसका बहुत बड़ा दोष है।


वुड एवोट रिपोर्ट के कार्यान्वित नहीं होने के कारण:


1) कांग्रेसी मंत्रिमंडल का कम ध्यान:


1937 में स्थापित हुई कांग्रेसी मंत्रिमंडल का झुकाव गाधीजी की बेसिक योजना पर अधिक था फलतः मंत्रिमंडल ने इस रिपोर्ट पर कम ध्यान दिया।


2) द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारंभ :


रिपोर्ट की सिफारिश के बाद द्वितीय विश्व युद्ध हिड जाने से सरकार को शिक्षा के प्रति उदासीनता दिखाने का बहाना मिल गया।