संज्ञान का अर्थ - meaning of cognition

संज्ञान का अर्थ - meaning of cognition


संज्ञान का अर्थ उन आन्तरिक मानसिक प्रक्रियाओं तथा उत्पादों से है जिनसे ज्ञान का निर्माण होता है। इसके अंतर्गत विभिन्न मानसिक प्रक्रियाएं आती हैं जैसे- याद रखना, संकेतीकरण, योजना बनाना, समस्या समाधान, वर्गीकरण करना, याद करना, कल्पनाएँ करना, नई चीजों एवं संकल्पों का सृजन आदि। मनुष्य के जीवन में संज्ञानात्मक विकास का विशेष महत्व है। इसी कारण मनुष्य स्वयं को बातावरण के अनुरूप भी ढाल पाते हैं और आवश्यकता पड़ने पर बातावरण को भी अपने अनुसार ढाल पाते हैं। एक शिक्षक के लिए संज्ञानात्मक विकास की प्रक्रिया को जानना अत्यन्त आवश्यक है। इस प्रक्रिया को जानने के बाद ही शिक्षक यह जान पाते हैं कि बच्चे किस प्रकार सीखते हैं, सीखने के दौरान कौन-कौन सी प्रक्रियाओं से गुजरते हैं, बच्चे को किस आयु में क्या-क्या सिखाया जा सकता है?

यह आवश्यक नहीं है कि एक आयु के सभी बच्चे एक ही प्रकार से सीखें हर बच्चे के सीखने सोचने का तरीका भी अलग होता है। अतः हर बच्चे की सोच को समझकर ही उसे पढ़ाया जाता है। अतएब एक शिक्षक के लिए संज्ञान को समझना अत्यंत आवश्यक है।


संज्ञान का संबंध ज्ञान प्राप्त करने या जानने की प्रक्रिया से है। इसमें मानसिक प्रक्रियाओं जैसे चिंतन समस्या समाधान, तर्क करना तथा निर्णय लेना आदि सम्मिलित है। चूंकि विकास की प्रक्रिया समय के साथ होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों को व्यक्त करती है इसलिए संज्ञानात्मक विकास में हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि दुनिया को जानने के लिए बच्चों का ढंग या उनका चिंतन समय के साथ कैसे बदलता है? संज्ञानात्मक विकास के बारे में हमारा वर्तमान ज्ञान जीन पियाजे के अध्ययनों का विशेष रूप से ऋणी है। आइए, उनके सिद्धान्त पर विस्तार से विचार किया जाए।