समामेलित कंपनियों को भी दो प्रकार से विभाजित किया - The amalgamated companies are also divided into two types.
समामेलित कंपनियों को भी दो प्रकार से विभाजित किया - The amalgamated companies are also divided into two types.
i. सदस्यों की संख्या के आधार पर
ii. सदस्यों की दायित्व के आधार पर
सदस्यों की संख्या के आधार पर पंजीकृत कंपनियों के प्रकार :
सदस्यों की संख्या के आधार पर पंजीकृत कंपनियों के निम्नलिखित तीन प्रकार हो सकते हैं :
i. निजी कंपनी
ii. सार्वजनिक कंपनी
iii. एकजन कंपनी
i. निजी कंपनी :- कंपनी (संसोधन) अधिनियम 2015, द्वारा संशोधित धारा 2 (68) के अनुसार, "एक निजी कंपनी का आशय ऐसी कंपनी से है जो इतनी न्यूनतम प्रदत्त शेयर पूँजी रखती हो, जो निर्धारित की जाए तथा जो अपनी अंतर्नियमावली द्वारा का सदस्यों के अपने शेयरों के अंतरण के अधिकार पर प्रतिबंध लगाती है"
क) सदस्यों के अपने शेयरों के अंतरण के अधिकार पर प्रतिबंध लगाती है
ख) अपने सदस्यों की संख्या 200 तक सीमित रखती है
ग) अपनी प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित करने का निषेध करती है।
सदस्यों की गणना करने के संबंध में यह धारा बताती है :
i. ऐसे व्यक्ति जो कंपनी के कर्मचारी हैं, सदस्यों की संख्या में नहीं गिने जायेंगे :
ii. ऐसे व्यक्ति जो पहले कंपनी के कर्मचारी के साथ-साथ सदस्य भी थे और अब कर्मचारी न होते हुए भी सदस्य बने हुए हैं, सदस्यों की संख्या में नहीं गिने जायेंगे तथा
iii. यदि कंपनी में दो या दो से अधिक व्यक्ति संयुक्त रूप से एक था अधिक शेयर लेते हैं तो उन्हें एक ही सदस्य माना जायेगा।
एक निजी कंपनी के निर्माण के लिए सदस्यों की न्यूनतम संख्या है। ऐसी कंपनी को अपने नाम के साथ प्राइवेट' शब्द जोड़ना आवश्यक होता है।
ii. सार्वजनिक कंपनी (Public Company) :- कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा संशोधित धारा 2 (71) के अनुसार, सार्वजनिक कंपनी” का आशय एक ऐसी कंपनी से है जो
क) एक निजी कंपनी नहीं है।
ख) निर्धारित न्यूनतम प्रदत्त शेयर पूँजी रखती है।
ग) ऐसी कंपनी की सहायक है जो निजी कंपनी नहीं है।
साथ ही सार्वजनिक कंपनी वह है :
i. जिसके शेयरों के अंतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं होता।
II. जिसके सदस्यों की अधिकता संख्या संबंधी कोई प्रतिबंध नहीं होता।
iii. जो अपनी प्रतिभूतियों को खरीदने के लिए जनता को आमंत्रित कर सकती है।
यह उल्लेखनीय है कि एक निजी कंपनी जो किसी सार्वजनिक कंपनी की सहायक कंपनी है उसे सार्वजनिक कंपनी माना जायेगा चाहे वह अपनी अंतर्नियमावली में निजी कंपनी बनी रहे।
सार्वजनिक कंपनी के निर्माण के लिए कम से कम सात सदस्यों का होना आवश्यक है। कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2015 के लागू होने से पूर्व सार्वजनिक कंपनी के समामेलन के लिए न्यूनतम प्रदत्त शेयर पूँजी रू. 5 लाख (पाँच लाख) होना आवश्यक थी। संशोधन अधिनियम ने इस आवश्यक को समाप्त कर दिया जिससे कंपनियों के समामेलन में आसानी होगी।
एक जन कंपनी (One Person Company) :- कंपनी अधिनिमय, 2013 की धारा 2 (68) के अनुसार, “एकजन कंपनी का ऐसी कंपनी होती है जिसमें सदस्य के रूप में केरल एक व्यक्ति होता है।" ऐसी कंपनी का सदस्य एक प्राकृतिक व्यक्ति होगा। इसका समामेलन एक निजी कंपनी की भ्रांति होता है। कंपनी के नाम को छापने लगाने या खुदाई करके लिखे जाने पर नाम के नीचे कोष्ठक में 'एकवचन कंपनी' लिखना आवश्यक होता है।
निर्माण :- एक जन कंपनी को किसी व्यक्ति द्वारा एक निजी कंपनी के रूप में किसी विधिपूर्ण उद्देश्य से बनाया जा सकता है। इसके निर्माण के लिए उसे अपना नाम ज्ञापन पत्र में लिखना होगा तथा अधिनियम में दी गई पंजियन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा।
धारा 3 के अनुसार एकजन कंपनी के ज्ञापन पत्र में उस अन्य व्यक्ति का भी नाम दिया जायेगा जो अमिदानकर्ता की मृत्यु होने अथवा उसके पागलपन आदि के कारण अनुबंध करने की अक्षमता की दशा में कंपनी का सदस्य बनेगा। ऐसे व्यक्ति की लिखित सहमति को कंपनी रजिस्ट्रार के पास कंपनी का समामेलन कराते समय ज्ञापन पत्र एवं अन्तर्नियमावली के साथ फाइल करना होगा। ऐसा व्यक्ति अपनी सहमति वापस ले सकता है। सदस्य द्वारा ऐसे व्यक्ति के नाम को भी बदला जा सकता है। सदस्य द्वारा नामांकित किये गये व्यक्ति के नाम के परिवर्तन होने की सूचना निर्धारित समय एवं विधि से कंपनी रजिस्ट्रार के पास भेजी जायेगी। नामांकिती के नाम में होनेवाले किसी परिवर्तन को कंपनी के ज्ञापन पत्र में परिवर्तन नहीं माना जायेगा।
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