कंपनी अधिनियम: एक परिचय - Companies Act: An Introduction

कंपनी अधिनियम: एक परिचय - Companies Act: An Introduction


शाब्दिक रूप में कंपनी शब्द का अर्थ किसी सामान्य उद्देश्य जैसे व्यापार, दान-पुण्य, खेल-कूद अथवा अनुसंधान आदि के लिए निर्मित व्यक्तियों के एक संघ से हैं। इस प्रकार प्रत्येक साझेदारी संस्था अपने नाम के साथ कंपनी शब्द जोड़ सकती है। परन्तु यह कंपनी वैधानिक अर्थ में नहीं है। इस इकाई में हम कंपनी शब्द का प्रयोग पूर्णत: वैधानिक अर्थ में ही करेंगे। दूसरे शब्दों में प्रस्तुत इकाई में कंपनी शब्द ऐसे संस्था के लिए है. जो कंपनी अधिनियम के अधीन समामेलित हो और जिसके नाम के अंत में प्रायः 'लिमिटेड' शब्द जुड़ा हो। जैसे अशोक लेलैण्ड लिमिटेड, चेन्नई', 'दि इन्डस्ट्रियल फाइनेन्स कारपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड, नई दिल्ली। यह ध्यान देने योग्य है कि यद्यपि एक कंपनी व्यापारिक अथवा गैर-व्यापारिक किसी भी उद्देश्य से रजिस्टर्ड कराई जा सकती है,

यह इकाई मुख्य रूप से ऐसी कंपनियों से ही संबंधित है जो व्यापार एवं वाणिज्य के उद्देश्य से निर्मित की गई है।


कंपनी की परिभाषा 


कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (20) के अनुसार, “एक कंपनी का तात्पर्य इस अधिनियम अथवा किसी विगत कंपनी विधि के अधीन निगमित किसी कंपनी से है।"


न्यायधीश के लिण्डले के अनुसार, “कंपनी बहुत से ऐसे व्यक्तियों की संस्था है जो द्रव्य अथवा अन्य कोई संपत्ति एक संयुक्त कोष में जमा करते हैं और इसका प्रयोग किसी व्यापार अथवा उद्योग के लिए करते हैं और उससे उत्पन्न लाभ या हानि को आपस में बाँटते हैं। इस प्रकार का संयुक्त कोष द्रव्य में निर्दिष्ट किया जाता है और यह कंपनी की पूँजी होती है। वे व्यक्ति जो इस पूँजी को जुटाते हैं.

कंपनी के सदस्य अथवा शेयरधारी होते हैं। रंजी का वह आनुपातिक भाग जिसका प्रत्येक सदस्य अधिकारी होता है, उसका शेयर कहलाता है। शेयर सदैव अंतरणीय होते है यद्यपि अंतरण के अधिकार पर प्रायः कुछ प्रतिबंध लगे होते हैं।"


श्री हैने के अनुसार, “कंपनी एक समामेलित संस्था है। यह विधान द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व्यक्ति है जिसका पृथक अस्तित्व शाश्वत उत्तराधिकार एवं सार्वमुद्रा होती है। "


अतः कंपनी की सामान्य उपयुक्त परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है "कंपनी एक ऐसी सम्मामेलित संस्था है जिसका एक कृत्रिम वैधानिक व्यक्तित्व होता है, जिसका अस्तित्व सदस्यों से पृथक अविच्छिन्न होता है, जिसकी एक सार्वमुद्रा होती है, सदस्यों का दायित्व सामान्यतया सीमित होती है तथा जिसकी पूँजी अंतरणीय शेयरों में विभाजित होती है।"