उपभोक्ता संरक्षण परिषद - consumer protection council

उपभोक्ता संरक्षण परिषद - consumer protection council


उपभोक्ता सुरक्षा नीतियों का विभिन्न स्तर पर समीक्षा करने तथा भारतीय समाज में उपभोक्ता अधिकार को मजबूती प्रदान करने की वकालत करते हुए, सी. पी. ए. 1986, राज्य तथा राष्ट्र स्तर पर तीन उपभोक्ता संरक्षण परिषद की स्थापना का प्रावधान करता है। इसमें निजी सहभागिता पर भी जोर दिया गया है। जो उपभोक्ता अधिकार संरक्षण के क्षेत्र की नीतियों को बेहतर सुविधा प्रदान कर सके। केंद्रीय परिषद जिसमें एक अध्यक्ष एवं कुछ अन्य सरकारी एवं गैर सरकारी सदस्य, (केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग से संबंधित मंत्री) जिन्हें समय-समय पर इस हेतु निर्धारित किया जाता है, होंगे। यह अति महत्वपूर्ण है कि विभिन्न हित समूहों से संबंधित नागरिक एवं संगठन जो उपभोक्ता अधिकार के लिए तत्पर रहते हैं,

का यदि ऐसी परिषदों में प्रतिनिधित्व हो तो परिषदों में सरकारी अधिकारियों के साथ वे सहयोगी हो सकते हैं और वे उपभोक्ता के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवाज भी उठा सकते हैं।


उपभोक्ता 'सुरक्षा परिषद का मूल उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों की सुरक्षा तथा प्रोत्साहन के लिए नीतियों एवं कार्यक्रमों को विभिन्न स्तर पर अपनाने के लिए सरकार की मदद करना है। इस उद्देश्य के लिए परिषद को दो वर्ष में कम-से-कम एक मीटिंग करना अनिवार्य है। एक तरफ परिषद उपभोक्ता के अधिकार के संरक्षण तथा प्रोत्साहन के लिए लक्षित सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों की देखभाल का काम करती है तो दूसरी तरफ समाज के उपभोक्ताओं के सामान्य हितों के विकास के लिए भी काम करती है।