कार्यप्रणाली - modus operandi
कार्यप्रणाली - modus operandi
सीपीए 1986 के अंतर्गत उपभोक्ता की शिकायतों को निपटाने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है जिसके अंतर्गत तीन मुख्य आधार हैं जहां उपभोक्ता अपनी लिखित शिकायत उपयुक्त प्राधिकारण के पास दर्ज करा सकती है-
1. गलत एवं प्रतिबंधित व्यापारिक गतिविधियां
गलत व्यापारिक गतिविधियों को अधिनियम में परिभाषित करते हुए कहा गया है कि अपनी वस्तुओं के उपयोग एवं निर्गत करने या सेवाओं को बेचने के लिए किसी भी तरह की धोखेबाजी की कार्रवाई को गलत व्यापारिक गतिविधि माना जाएगा। गलत व्यापारिक गतिविधियों के बारे में अनिशिचत व्याख्या के कारण उपभोक्ता अपने ज्ञान के आधार पर कई गलत व्यापारिक गतिविधियों को उनके हितों के खिलाफ पाते हैं।
ऐसी गतिविधियां बड़ी संख्या में हो रही है जो गलत हुए भी सही का आवरण ओढ़े हुए हैं। व्यापारी की ओर से लिखित या मौलिक प्रस्तुतिकरण द्वारा झूठी वस्तु प्रस्तुत कर गलत व्यापारिक गतिविधियां करते हैं। ऐसे प्रस्तुतिकरण या वक्तव्य कुछ निशिचत वस्तु या सेवा के मानक, गुण, श्रेणी, माडल आदि से संबंधित हो सकते हैं।
एक अन्य गलत व्यापारिक गतिविधियां तब नजर आती है जब व्यापारियों द्वारा समय-समय पर झूठी पेशकश या छूट को विज्ञापित किया जाता है। अधिकांश ऐसे पेशकशों जैसे एक के साथ एक मुफ्त, अतिउच्चतम स्तर प्रतिशत पर छूट, वस्तुओं को घर पहुंचाने की मुफ्त व्यवस्था,
पुराने सामान से नए सामान को बदलने की पेशकश आदि में व्यापारी व्यापार से संबंधित मौद्रिक या कीमत स्तर पर झूठा प्रस्तुतिकरण करती है। वस्तु पर अंकित पेशकश ऊपरी कोने पर एक स्टार (*) का चिहन अंकित रहता है जो व्यापारियों द्वारा दिए गए झूठे पेशकश की सच्चाई बतलाता है। इस चिहन (*) के पीछे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रायः उपभोक्ताओं द्वारा इस चिह्न को अनदेखा कर दिया जाता है और व्यापारी इस चिह्न के आधार पर उपभोक्ता अदालत में अपने द्वारा दिए गए झूठे पेशकश से बच निकलता है। इसलिए यह आवश्यक है कि उपभोक्ता गंभीरता पूर्वक ऐसी पेशकशों की जाँच करे जिससे वे धोखेबाज व्यापारियों से बच सकें।
व्यापारियों द्वारा गलत व्यापारिक गतिविधियों के प्रति झुकाव की प्रवृत्ति एक अन्य प्रकार से तब नजर आती है जब वो अपने सामान की खरीद के साथ कुछ उपहार, पुरस्कार आदि देते हैं।
अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए या अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए लक्षित ऐसी घोषणा प्रायः उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए होते हैं जबकि ऐसी पेशकशों पर व्यापारियों एवं उपभोक्ताओं के बीच सामंजस्य का अभाव होता है। सामान्यत: ऐसी पेशकश उपभोक्ताओं को यह कहा जाता है कि अमुक वस्तु के साथ दूसरी वस्तु बिना किसी कीमत के दी जाती है जबकि वास्तविकता यह है कि मुफ्त में दी जाने वाली वस्तु की कीमत उसमें शामिल नहीं की जाती है तो बेची जाने वाली वस्तु के गुण, मानक, माडल आदि में कमी की जाती है जो व्यापारियों के द्वारा पेश की जाती है। आजकल कंपनियों द्वारा एक नया पहलू अपनाया जा रहा है, वह ग्राहकों को अपने निशिचत सामान खरीदने पर एक मिलन पार्टी या देश-विदेश भ्रमण कराने का वादा करते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को लाटरी या भाग्य आधारित खेल के द्वारा कुछ पुरस्कार देने का प्रावधान भी गलत व्यापारिक गतिविधियों की श्रेणी में आता है।
उल्लेखनीय है कि सीपीए 1986 के अंतर्गत गलत व्यापारिक गतिविधियों की व्यापक व्याख्या नहीं की गयी है और न ही इसके विभिन्न पहलुओं को पहचाना गया है। आम धारणा यह है कि कोई भी सिद्धान्तहीन या बईमानी की भावना से व्यापारियों द्वारा उनके व्यवसाय बढ़ाने या उनके उत्पादों को बेचने के लिए उपभोक्ताओं को ठगे जाने की प्रवृति गलत व्यापारिक गतिविधियों को दर्शाती है। इसलिए यह धारणा आजतक यही बनी हुई है कि उपभोक्ता के हितों को ठेस पहुंचाने वाली गतिविधियां गलत व्यापारिक गतिविधियां होती हैं।
2. दोषपूर्ण वस्तु
सीपीए 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत वस्तुओं के दोष की व्याख्या की गई है।
इसके अनुसार उपभोक्ताओं के आशानुरूप बेचे जाने वाली वस्तु में संरचनात्मक दोष या उसके मानक स्तर में कमी जो कानून के या व्यापारियों के वादे के अनुरूप न हो, दोषपूर्ण वस्तु हैं। अधिनियम के धारा 2 (1) (च) वस्तुओं के किसी दोष, गुणों, संख्याओं, क्षमताओं, शुद्धताओं, मानकों आदि में कमी के आधार पर दोषपूर्ण वस्तु की व्याख्या करता है। व्यवहारतः इस कानून के तहत यही कहा गया है कि या तो निशिचत उत्पादों के गुणों का अनुपालन हेतु कानून बने या व्यापारी स्वयं इस शर्त का पालन करे कि वह वस्तुओं की गुणवत्ता बनाए रखेंगे, जिससे उपभोक्ताओं को उनके आशानुरूप वस्तुएं मिल सके। वस्तु निर्माता की तरफ से या व्यापारी के तरफ से किसी भी प्रकार के दोषपूर्ण सामान की प्रापित होने पर उपभोक्ता उपयुक्त फोरम के पास मुआवजा मांगने जा सकता है।
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