आर्थिक दृष्टि से बीमा का महत्व - importance of insurance from economic point of view

आर्थिक दृष्टि से बीमा का महत्व - importance of insurance from economic point of view


1. बचतों को प्रोत्साहन बीमा अनिवार्य बचत का एक साधन है। बीमा लोगों को छोटी-छोटी बचतें करने की आदत को प्रोत्साहन दे ता है। छोटी सी प्रीमियम के द्वारा वह भविष्य के कई बड़े सपनों को आसानी से पूरा कर सकता है। बीमा कम्पनी को इन बीमितों की छोटी-छोटी बचतों से करोड़ों रुपयों की प्रीमियम राशि प्राप्त होती है जो संचित होकर एक मोटी धन राशि बन जाती है। जिन्हें बीमा कम्पनी आवश्यक खर्चों की पूर्ति के पश्चात् सामाजिक व राष्ट्रीय हित की योजनाओं में विनियोग कर देती है।


2. पूंजी निर्माण बीमितों से प्राप्त प्रब्याजि की राशि को बीमा कम्पनी जब विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं में विनियोग करती है,

तो उससे व्यापार व व्यवसाय को आसानी से पूंजी की प्राप्तिहो जाती है, व कई लोगों को रोजगार की प्राप्ति भी होती है।


3. विनियोग का साधन बीमा अनुबन्ध में प्रीमियम के रूप में प्राप्त राशि से पूंजी का सृजन होता है इस पूंजी का विनियोग व्यापार, व्यवसाय उद्योग व अन्य क्षेत्रों में किया जाता है। जनता प्रत्यक्ष रूप से व्यवसाय में उतनी छोटी राशि का विनियोग कर लाभ प्राप्त नहीं कर सकती है पर इस अप्रत्यक्ष विनियोग के द्वारा बीमितों को बीमापत्र पर अधिक बोनस की प्राप्ति होती है साथ ही राष्ट्र का आर्थिक विकास भी होता है।


4. व्यापार व वाणिज्य में वृद्धि - बीमा के द्वारा विभिन्न प्रकार की जोखिमों को सुरक्षा प्रदान की जाती है

जिससे देशी व विदेशी दोनों ही प्रकार के व्यापार में वृद्धि होती है। बीमा का प्रादुर्भाव व विकास ही मूलत: सामुद्रिक बीमा के रूप में हुआ है। जिससे जोखिम युक्त व्यापारिक समुद्री यात्राओं को सुरक्षा प्रदान की जाती थी, फिर अग्नि बीमा का विकास हुआ जिसमें कारखानों, गोदामों, कार्यालयों व अन्य सम्पत्तियों की अग्नि से सुरक्षा हेतु उपाय व बीमा किया जाने लगा। इस प्रकार की हानियों से सुरक्षा मिलने पर व्यवसायी भयमुक्त होकर निश्चितता के साथ


व्यापार करते हैं और जोखिम उत्पन्न होने पर बीमा एक सच्चे दोस्त के रूप में सहायता करता है। 5. औद्योगिकरण के लिए आधारभूत संरचना के विकास में सहायक बीमा संस्थाएँ दे श में शक्ति,

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परिवहन, संचार, औद्योगिक सम्पदा आदि साधनों के विकास के लिए भारी मात्रा में धनराशि उपलब्ध कराती है जिससे देश में औद्योगीकरण हेतु आधारभूत ढाँ चा तैयार होता है।


6. वृहत् पैमाने के व्यवसायों का विकास - बीमा ने अनेक बड़े व्यवसायों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। प्रो. मे गी ने लिखा भी है कि बीमा के बिना वृहत व्यावसायिक संस्थाओं का अस्तित्व संभव नहीं हो सकता है। बीमा कम्पनी इन विशाल व्यवसायिक संस्थाओं हेतु वित्त उपलब्ध तो करती ही है साथ ही बहुत कम प्रीमियम पर सुरक्षा भी प्रदान करती है। 7. लघु व कुटीर उद्योगों का विकास- वृहत पैमाने के उद्योगों के साधन भी विस्तृत होते हैं। वे आकस्मिक हानि


को वहन कर सकते हैं, परन्तु लघु पैमाने के उद्योगों में यदि कोई जोखिम उत्पन्न हो जाये तो वे उसका सामना नहीं


कर सकते व उनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है परन्तु बीमा के द्वारा इन उद्योगों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।


अत: वे पूर्ण निश्चितता के साथ व्यवसाय का संचालन करते हैं। 8. उद्यमिता का विकास बीमा के द्वारा उद्यमिता का विकास होता है, क्योंकि व्यवसाय व उद्योग का बीमा होने से उद्यमियों की जोखिम कम हो जाती है। वे पूर्ण आत्मविश्वास व निश्चितता के साथ नये व्यवसाय को प्रारम्भ करते हैं। वित्तीय संस्थाओं के द्वारा ऋण भी आसान शर्तों पर प्राप्त हो जाता है। कई तकनीकी व पेशेवर शिक्षा प्राप्त


युवक, कई बड़े उपक्रम स्थापित कर रहे हैं। 9. सेवा क्षेत्र के उपक्रमों का विकास वर्तमान में सभी देशों में से वा क्षेत्र के उपक्रमों का विकास हो रहा है।


इन उपक्रमों की सफलता इनके द्वारा दी जाने वाली से वाओं की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। ये संस्थाएं भी दायित्व बीमा करवाती है ताकि जोखिमों को सीमित किया जा सके। इससे इन उपक्रमों के विकास में पर्याप्त योगदान मिल रहा है।


10. विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन विदेशी व्यापार में कई जोखिमें होती है जैसे- समुद्री मार्ग से माल भेजने की जोखिम,

आयातक व निर्यातक देश के राजनायिक सम्बन्धों से उत्पन्न जोखिमें आदि। बीमा कम्पनी से सुरक्षा मिलने पर व्यवसायी विदे शी व्यापार की जोखिमों से बच सकता है।


11. साझेदारी व्यवसाय में स्थायिता साझेदारी फर्म में किसी साझेदार की मृत्यु होने या अचानक कोई


जोखिम उत्पन्न होने पर फर्म में भारी संकट उत्पन्न हो सकता है। ऐसे संकटों से निपटने के लिए साझेदारों का संयुक्त बीमा करवाया जा सकता है जिससे किसी साझेदार की मृत्यु होने पर प्राप्त राशि से फर्म से उसके हिस्से को चुकाया जा सकता है

व दूसरी ओर बीमा राशि की पूर्ति नहीं होने से उस बीमा राशि से साझेदारों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति आसानी से हो जाती है।

12. रोजगार के अवसरों का विकास बीमा व्यवसाय से देश में रोजगार के अवसरों का विकास होता है। बीमा से देश में व्यवसाय व उद्योगों का विस्तार होता है जिससे उसमें अनेक स्तरों पर कार्य करने हेतु व्यक्तियों को रोजगार मिलता है। बीमा व्यवसाय के कारण विभिन्न प्रकार के बीमों यथा-समुद्री, अग्नि, दुर्घटना, जीवन, व अन्य प्रकार के बीमों का विस्तार होता है जिससे बीमा संगठन में ही बड़ी मात्रा में कर्मचारियों व एजेन्टों की नियुक्ति की जाती है।


13. व्यावसायिक स्थायित्व में सहायक बीमा दे श में व्यावसायिक स्थायित्व के लिए आधार तैयार करता है।

इसका कारण है कि व्यावसायिक जोखिमों को बीमा के माध्यम से सीमित किया जा सकता है जिससे देश में व्यावसायिक विकास हेतु अनुकूल परिस्थितियों बनती है व व्यावसायिक स्थिरता आती है।


14. महत्वपूर्ण व्यक्तियों की हानि से सुरक्षा प्रत्येक संस्था के लिए कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों का जीवन अमूल्य होता है। उन व्यक्तियों की ख्याति, क्षमता, प्रबन्ध चातुर्य आदि के कारण संस्थाएं लाभ अर्जित करती है। उन महत्वपूर्ण व्यक्तियों के न रहने पर संस्थाखतरे में पड़ जाती है अतः इस आर्थिक खतरे से संस्था को बचाने हेतु इन महत्वपूर्ण व्यक्तियों का बीमा करवा लिया जाता है। इन व्यक्तियों की मृत्यु होने पर संस्था को बीमा कम्पनी से क्षतिपूर्ति प्राप्त हो जाती है।


15. सुरक्षा विधियों को प्रोत्साहन बीमा कम्पनी बीमितों को सुरक्षा विधियां अपनाने पर जोर देती है। जो संस्था इन उपायों को अपनाती है उन्हें प्रीमियम में छू ट भी प्रदान की जाती है। 16. दुर्घटनाओं की लागत को निश्चित करना:- कुछ दुर्घटना बड़ी तो कुछ छोटी होती है। यदि इन दुर्घटनाओं की लागत को वस्तु की लागत में जोड़ा जाये तो लागतें बहु त बढ़ जायेगी व वह उद्यमी प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जायेगा। अतः इन दुर्घटनाओं की


अनिश्चितता को बीमा द्वारा निश्चितता में बदला जा सकता है। 17. कर्मचारी हितों की सुरक्षा व्यवसाय में लाभ व हानि दोनों की संभावनाएं होती है।

हानि की स्थिति का बुरा प्रभाव कर्मचारियों पर पड़ता है और उन्हें नौकरी से निकलना भी पड़ सकता है। यदि व्यावसायिक संस्थाएं


कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी, पेंशन, तथा अन्य लाभों का बीमा करवा दे तो उनके हित सुरक्षित हो जाते हैं।


18. कर्मचारी सुरक्षा योजनाओं का आसान प्रबन्ध देश के कानूनों के अनुसार से वायोजकों को कर्मचारियों के कल्याण हेतु अनेक योजनाओं जैसे - पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमारी लाभ, अपंगता या मृत्यु पर आश्रितों की आय की सुरक्षा, गर्भावस्था व शिशु जन्म पर लाभ आदि का संचालन बीमा के द्वारा जैसे सामूहिक बीमा योजना,

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का संचालन कर के पूरा करती है। साथ ही कानूनी दायित्वों की भी पूर्ति कर सकते है।


19. मानव संसाधन विकास में योगदान बीमा संस्थाओं द्वारा एजे ण्टों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किये जाते है जो उनके व्यक्तित्व व कुशलता में योगदान दे ते हैं। यही नहीं बल्कि बीमित संस्थाओं के अधिकारियों व कर्मचारियों को भी परिसम्पत्तियों के रखरखाव व सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण देती है। इससे मानव संसाधन विकास में योगदान मिलता है।