"लगन "एक इच्छा "


नेहा राजीव से छोटी थी ....मगर आज वो 10वी मे प्रथम आई थी ओर राजीव अभी भी 8वी मै था
नेहा पढने मे अच्छी थी मगर इसबार पिता ने आगे पढने से साफ मना कर दिया था वजह ये बताई कि लडकी है.. पराये घर जाकर नौकरी थोड़े करेगी करना तो चूल्हा चौका ही है ...
मगर मां नेहा के साथ थी वो बार बार पति को समझा रही थी की अब लडकी ओर लडको मे जयादा अंतर नहीं हे लडकिया हर क्षेत्र मे आगे बढ रही है लेकिन नेहा के पिता मानने को तैयार नही थे आखिर मे तय हुआ की पिता पढाई का खर्चा नही उठायेगे
अगर आगे पढाई करनी है तो अपनी पढाई का खर्च खुद उठाना होगा नेहा कि मां ने मान लिया ओर फिर नेहा की जेब खर्ची ओर घरेलू समानो मे बचत कर पढाना शुरू कर दिया
ओर कुछ समय बाद नेहा ने अपने विघालय मे ही नहीं बल्कि पूरे जिले मे टाँप किया सुबह से उसके पिता को फोन पर मिलकर लोग बधाईया दे रहे थे वही राजीव अभी तक 9वी पास नहीं कर पाया सुबह से शाम हो गई मगर बधाई देने वाले लगतार आ रहे थे पिता कि आँखों मे पछचाताप के आँसू थे आखिर शाम को उनहोने नेहा से माफी मांगी ओर आगे जहां तक पढना चाहेगी वहाँ तक पढाने का भरोसा दिया...
दोस्तों मतलब साफ है अगर आप सही मे पढना चाहते हो आपका मन पकका हे तो दुनिया लाख काँटे बिछाये आप रास्ते आसानी से पार कर जाओगे...