सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता की भूमिका एवं उसके कार्य - Role And Work Of Community Organization.



 सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता की भूमिका एवं उसके कार्य

       व्यक्ति एक ऐसा प्राणी है जो समाज से कभी भी पृथक नही रह सकता जीवन पर्यन्त वह किसी न किसी समूह का सदस्य बनकर अपनी भूमिका एवं कुछ सीखता रहता है। सर्वप्रथम बच्चा परिवार में जन्म लेता है जहां समाजीकरण होता है। इसके पष्चात् वह समुदाय जिसका परिवार एक इकाई है के लोगो के साथ रहकर उनसे क्रिया-प्रतिक्रिया कर अनुभव प्राप्त करता है।  समुदाय में रहकर व्यक्ति दोहरी निभाता है।


सामुदायिक संगठनकर्ता की भूमिका


              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता की भूमिकाओं को निम्नलिखित रुपों में बांट कर अध्ययन किया जा सकता है।



(क) एक मार्गदर्शक के रुप में -



              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता सामाजिक परिवर्तन का दिषा निर्देषक होता है। इस प्रकार एक मार्गदर्षक के रुप में वह निम्नलिखित कार्य करता हैः 


(1)  सामुदायिक लक्ष्य निर्धारण एवं लक्ष्य प्राप्ति के साधनों को खोजने में सहायता करना -

              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता को एक योग्य मार्गदर्षक के रुप में आवष्यक है कि वह सदस्यों के जीवन की विभिन्न आवष्यकताओं को पहचानने, उनकी पूर्ति के लिए उपयोगी आवष्यक साधनों को ढूंढ निकालने में सदस्यों की इस प्रकार सहायता करे जिससे भविष्य की आवष्यकताओं को वे स्वयं पहचानते हुए आवष्यक कदम उठा सकें।





(2)  लोगो में साथ कार्य करने के लिए कदम उठाना - 



              सामान्यतः विकासषील देषों में सामुदायिक सदस्य अपने परम्परागत रीति-रिवाजों में अटल विष्वास रखने के कारण परिवर्तन को आसानी से स्वीकार नही करते है। कार्यकर्ता को एक मार्गदर्षक के रुप में सामुदायिक सदस्यों द्वारा अपनाये गये परम्परागत पिछड़े रास्तों की कमियों को उन्हें महसूस कराते हुए उनके स्थान पर नये उपयोगी रास्तों को पहचानने तथा उनकी पूर्ति के लिये सहायता करनी चाहिए।


(3)  समुदाय की वर्तमान स्थितियों में वस्तुनिष्ठतापूर्ण व्यवहार करना - 

                     कार्य के प्रारम्भिक काल में कार्यकर्ता अपने उद्देष्यों को ही ध्यान में रखकर कार्य नही करता बल्कि सदस्यों की वर्तमान स्थिति को भी बिना किसी शिकायत एवं प्रशंसा को स्वीकार करता है।




(4) सम्पूर्ण समुदाय के साथ सहायक होकर - 


                     कार्यकर्ता एक कुशल सलाहकार के रुप में न केवल किसी जाति एवं वर्ग विशेष के सदस्यों के साथ कार्य करता है बल्कि वह समुदाय के प्रत्येक वर्ग, जाति एवं धर्म के सदस्यों की भावनाओं को जानने तथा सामुदायिक कल्याण के लिये उन्हे संगठित करने में सहायक होता है।


(5) भूमिका की स्वीकृति एवं इसे सुविधाजनक बनाकर 

              व्यावहारिक ज्ञान एवं अनुभव से कार्यकर्ता सदस्यों से स्वीकृति प्राप्त कर उनसे व्यावसायिक सम्बन्ध स्थापित करता है। इसलिए विभिन्न परिस्थितियों में सदस्यगण स्वयं सामुदायिक संगठनकर्ता से उसके विचार जानना चाहते है। कार्यकर्ता अपने विचार एवं ज्ञान से सदस्यों को न केवल निर्देषित करता है बल्कि उनमें स्वयं निर्णय लेने की योग्यता का विकास भी करता है।


(6)  भमिका को सार्थक एवं समझने योग्य बनाना -

              सामुदायिक संगठनकर्ता सदस्यों को अपने ज्ञान एवं अनुभव की जानकारी देने के साथ कर्तव्यों को भी स्पष्ट करता है।

(ख) एक सामथ्र्यदाता के रुप में


              सामुदायिक संगठनकर्ता का कार्य न केवल एक मार्गदर्षक के रुप में सदस्यांे के रास्तों को बाधा मुक्त बनाना है, बल्कि एक व्यावसायिक कार्यकर्ता होने के कारण उसे सदस्यों में अपनी समस्याओं, आवष्यकताओं को जानने तथा उनसे मुकाबला करने की योग्यता का निर्माण करना भी है। इस प्रकार एक कुषल सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता का पूर्ण सहयोग लेकर सामथ्र्यदाता के रुप में वह निम्नलिखित कार्य करता हैः-

(1) सामुदायिक असन्तोषों को केन्द्रित करना - 

              सामुदायिक सामर्थ्यदाता के रुप में सामुदायिक संगठनकर्ता का प्रथम कार्य सदस्यों में व्याप्त उनकी समस्याओं, असन्तोषों को जानना है। कभी-कभी सदस्यगण अपने असन्तोष को महसूस करते-करते उसे अपने जीवन का एक अंग मान लेते है। उसे सदस्यांे के प्रत्येक पक्ष को समझते हुए, उन्हें समूह के समक्ष व्यक्त करते हुए, उनमें आपसी सहयोग एवं सहायता से सामूहिक कल्याणकारी निर्णय लेने की योग्यता का विकास करना चाहिए।

(2) संगठन को प्रोत्साहित करना - 

              एक समुदाय में सदस्यांे की अपनी जातिगत, धार्मिक, सामूहिक एवं वैचारिक भिन्नताओं के कारण वे न तो एक साथ एकत्रित होना चाहते है और न ही अपने-अपने विचारों को व्यक्त करना चाहते है। कार्यकर्ता को इन बातों का ध्यान रखते हुए सदस्यों को संगठित होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।


(3) अन्तः वैयक्तिक सम्बन्धों को बढ़ावा देना - 

              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता मनोवैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर सामुदायिक सदस्यों के विचारों एवं व्यवहारों से पूर्ण परिचित होता है। इसलिए आवष्यकतानुसार सदस्यों में एक साथ कार्य करने तथा अन्य सामूहिक बातों पर बल देने के साथ सदस्यों में अन्तः वैयक्तिक सम्बन्धों को बढ़ाने का प्रयास करता है। इसके लिये वह सर्वप्रथम सदस्यों में अपनी स्वीकृति/विष्वास प्राप्त करता है।

(4) सार्वजनिक उद्देष्यों पर बल देना - 

              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता का दायित्व है कि वह सार्वजनिक उद्देष्यों पर बल दे। इसके लिए वह विभिन्न समूहों, जातियों एवं सामाजिक-आर्थिक स्तर के सदस्यों की समस्याओं एवं आवष्यकताओं को सामने रखकर सार्वजनिक क्रियाओं एवं आवष्यकताओं का चुनाव करने में सदस्यांे की मदद करता है।


(ग) एक विशेषज्ञ के रुप में -

              व्यावसायिक कार्यकर्ता अपने षिक्षण-प्रषिक्षण एवं व्यावहारिक अनुभव के कारण सामुदायिक संगठन कार्य का एक विषेषज्ञ होता है। सामुदायिक कार्यकर्ता के कार्यो को निम्नलिखित भागों में बांट कर व्यक्त किया जा सकता हैः-

(1) सामुदायिक कठिनाइयों के निदान में सहायता करना - 

              सामुदायिक संगठनकर्ता एक विषेषज्ञ के रुप में समुदाय में उत्पन्न समस्याओं एवं बुराइयों की जानकारी के साथ-साथ अपने विषेष अध्ययन द्वारा समस्याओं को उत्पन्न एवं विकसित करने वाले कारकों का पता लगाता है। कार्यकर्ता सदस्यों में समस्याओं का निदान करने की योग्यता का विकास करता है जिससे भविष्य में उत्पन्न समस्याओं का वे स्वयं निदान कर सकें।



(2) अनुसंधान की निपुणता प्रदान करना - 


              कार्यकर्ता, एक विषेषज्ञ के रुप में, सदस्यों में स्वयं अध्ययन कार्य करने तथा अध्ययन नीति तैयार करने की योग्यता का विकास करता है। इसके लिए सर्वप्रथम कार्यकर्ता उन्हे अध्ययन की आवष्यकता महसूस कराता है।



(3) दूसरे समुदाय की सूचनाओं को उपलब्ध कराना
    
          सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता सामुदायिक सदस्यों में दक्षता एवं कर्मठता का विकास करने के लिये अपने व्यावहारिक एवं सैद्धान्तिक ज्ञान के आधार पर अन्य समुदाय के सदस्यों में व्याप्त सामुदायिक जागरुकता, कार्यकुशलता एवं उनकी उपलब्धियों का उदाहरण प्रस्तुत कर, उनके द्वारा अपनायी गयी प्रविधियों को अपनाने के लिए सदस्यों को प्रोत्साहित करता है।

(4) कला विधि एवं उपयोगिता सम्बन्धी परामर्श -

              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता सामुदायिक संगठन कार्य के एक विषेषज्ञ के रुप में सदस्यों में संगठित होकर सामुदायिक समस्याओं पर विचार-विमर्ष करने, समस्या समाधान के लिये कार्यक्रम का चयन करने तथा कार्यक्रम के कार्यान्वयन जैसी विभिन्न उपयोगी विधियों एवं कला के ज्ञान से सदस्यांे को अवगत कराता है।



(5) मूल्यांकन करना -


              कार्यकर्ता अपने ज्ञान एवं कौषल के आधार पर सदस्यांे द्वारा लिये गये सामूहिक निर्णयों एवं संचालित कार्यक्रमों का मूल्यांकन करता है। मूल्यांकन से प्राप्त निष्कर्षो से सदस्यों को अवगत कराता है। कार्यक्रम पर पुर्नविचार एवं परिवर्तन की आवष्यकता पर बल देता है।




(घ) एक चिकित्सक के रुप में



              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता एक समाज चिकित्सक के रुप में समुदाय में व्याप्त समस्याओं के उन महत्वपूर्ण कारकों एवं तत्वों का पता लगाता है जो विकास में बाधक है। रोस के अनुसार समाज चिकित्सक के रुप में कार्यकर्ता उन छिपी उपलब्ध एवं अचेतन शक्तियों से मुकाबला करता है जो सामुदायिक संगठन प्रक्रिया के लिये बाधक एवं भ्रामक सिद्ध होती है।



(ड.) एक सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में -

              एक सक्रिय कार्यकर्ता के रुप में सामुदायिक संगठनकर्ता उन क्षेत्रों में सफल सिद्ध हो सकता है जहां अधिकाधिक जनसंख्या अन्याय एवं पक्षपात का षिकार हो रही हो।




(च) एक अधिवक्ता के रुप में - 



              सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता एक वकील या अधिवक्ता के रुप में समुदाय के सदस्यों की सहायता के लिये उनकी आवष्यकताओं एवं उपलब्ध साधनों का ज्ञान प्राप्त करने के पष्चात् उनका पक्ष लेता है। विभिन्न जिम्मेदार संस्थाओं एवं संगठनों केे समक्ष सेवार्थियों के पक्ष को उजागर करता है और उन पर किये गये अन्याय की आलोचना करता है। 




पानिक के अनुसार सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता का उद्देष्य एक अधिवक्ता के रुप में किसी संस्था की पद्धति की बुराई करना नही है बल्कि आवष्यक परिवर्तन एवं सुधार लाना है।
              उपर्युक्त भिन्न रुपों में सामुदायिक संगठन कार्यकर्ता समस्याओं के अध्ययन लेकर कार्यक्रम के मूल्यांकन तक जिस प्रकार की भूमिका की आवष्यकता सदस्यों के लिये महसूस करता है वह उसे पूरा करता है। कार्यकर्ता यदि अपनी इन भूमिकाओं को सही रुप में निभाता है तो सामुदायिक संगठन और कल्याण का काम आसान हो जाता है।