Computer Memory Types - Primary Memory Vs Secondary Memory



 मैमोरी युक्तियाँ


प्राथमिक संग्रहण


यह वह युक्तियाँ होती हैं जिसमें एक्सीक्यूट होने वाले प्रोग्राम तथा उसमें प्रयुक्त डाटा को संगृहीत किये


जाते हैं।


1. रैम (RAM)


जब कोई प्रोग्राम कंप्यूटर में स्थापित किया जाता है तब उस प्रोग्राम के फ़ाइल हार्ड डिस्क में संग्रहित हो जाते है। जब हम इस प्रोग्राम को क्रियान्वित करते है तब उस प्रोग्राम से सम्बंधित फाइल जो द्वितीयक मेमोरी में रखा हुआ है उसे प्राथमिक संग्रहण रैम (RAM) में लाया जाता है यह प्रोग्राम फाइल तब तक रैम (RAM) में रहता है जब तक यह प्रोग्राम क्रियान्वित होते है। अतः किसी प्रोग्राम को रन करने के लिए रैम (RAM) की आवश्यकता होती है। यदि कंप्यूटर में रैम (RAM) की धारिता अधिक हो तो कंप्यूटर एक साथ बहुत अनुप्रयोग प्रोग्राम को क्रियान्वित कर सकता है। इससे कंप्यूटर का प्रदर्शन समान्यतः अच्छा हो जाता है। इसे कम्प्यूटर की बेसिक मेमोरी भी कही जाती है।



डायनेमिक रैम (DRAM)


रैम (RAM) मेमोरी में डाटा को पढ़ना और डाटा को लिखने की प्रक्रिया में यादृच्छिक (Random) विधि का उपयोग होता है अतः मेमोरी में डाटा कही भी लिख सकते हैं और किसी भी जगह से पढ़ सकते है। इसी कारण इसे यादृच्छिक अभिगम स्मृति भी कहा जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम किसी प्रोग्राम को मेमोरी में जब लाता है तो उसे रैम (RAM) में किसी स्थान पर संगृहीत करता है। इसके लिए मेमोरी एलोकेशन तकनीक का उपयोग करते है। डायनेमिक रैम ऑपरेटिंग सिस्टम को डायनेमिक मेमोरी एलोकेशन की सुविधा प्रदान करता है। इससे दो प्रोग्राम के बीच आवंटित नहीं हुआ खाली स्थान का उपयोग किया जा सकता है इसके लिए मेमोरी में मौजूद प्रोग्राम को संग्रहीत करने के स्थान का आवंटन फिर से किया जाता है इससे रिक्त स्थान को किसी नए प्रोग्राम को आवंटित करने के लिए। उपयोग किया जाना संभव हो सकता है। अतः इसमें मेमोरी का भरपूर उपयोग किया जाना संभव है।


स्टैटिक रैम (SRAM)


ऑपरेटिंग सिस्टम किसी प्रोग्राम को मेमोरी में जब लाता है तो उसे रैम (RAM) में किसी स्थान पर संगृहीत करता है। इसके लिए मेमोरी एलोकेशन तकनीक का उपयोग करता है। इसमें मेमोरी आवंटन विधि स्थैतिक होता है। इससे दो आवंटित प्रोग्राम के बीच आवंटित नहीं हुआ खाली स्थान का उपयोग नहीं किया जा सकता है। फलस्वरूप इस स्थान का उपयोग तब तक नहीं किया जा सकता जब तक कि पूरी मेमोरी को वाश" करके नए सिरे से प्रोगाम को मेमोरी आवंटित किया जाय, इसके लिए कंप्यूटर सिस्टम को फिर से प्रारंभ किये जाने से मेमोरी में मौजूद सभी प्रोग्राम को बंद करना पड़ेगा। ऐसा किये जाने का कोई औचित्य नहीं है। अतः स्टैटिक रैम (SRAM) में डायनामिक मेमोरी आवंटन पद्धति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। अतः इस तरह के मेमोरी का भरपूर उपयोग संभव नहीं है।


2. रोड मेम (Read Only Memory)


यह एक विशेष प्रकार के यादृच्छिक अभिगम स्मृति है। रीड ओनली मेमोरी (ROM) चिप में संगृहीत मेमोरी इलेक्ट्रिसिटी जाने के बाद भी सुरक्षित रहता है क्योंकि इसमें डाटा का संग्रहन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक लिंक को फ्यूज किया जाता है इससे एक बार संग्रहीत हुआ डाटा को बार बार पढ़ कर उपयोग किया जा सकता है पर फिर से परिवर्तन डाटा में नहीं किया जा सकता है। इसी करण इसे रीड ओनली मेमोरी (ROM) कहा जाता है। ROM में अक्सर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा प्रोग्राम संचित करके कम्प्यूटर में स्थाई कर दिए जाते हैं, इसमें कम परिवर्तन होने वाले प्रोग्राम को संचित किया जाता है। इसमें ज्यादातर मशीन को फंक्शन करने के लिए लिखे प्रोग्राम को रखा जाता है। इस तरह के प्रोग्राम को माइक्रो प्रोग्राम कहा जाता है। इसका एक उपयुक्त उदाहरण बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम ( BIOS) प्रोगाम का है जिससे कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट आउटपुट युक्तियों की जांच करने एवं नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।


686 AMIBIOS


1999 UN01


5986


056


057


प्रोग्रामेबिल रॉम (PROM)


यह एक प्रकार का रोड ओनली मेमोरी है जिसे विशेष प्रकार के डिवाइस के माध्यम से प्रोग्राम को संचित किया जाता है। इस स्मृति में किसी प्रोग्राम को केवल एक बार संचित किया जा सकता है, इसके उपरांत उसे न तो मिटाया जा सकता है और न ही उसे संशोधन किया जा सकता है। प्रोग्रामबिल रॉम दो तरह के होते है


• उत्पादक के द्वारा प्रोग्राम किया हुआ


• प्रयोक्ता के द्वारा प्रोग्राम किया हुआ


उत्पादक के द्वारा प्रोग्राम किया हुआ


उत्पादक के द्वारा प्रोग्राम किया हुआ चिप में उत्पादक अपने प्रोग्राम प्रोग्रामेशिल रॉम चिप में संचित कर कंप्यूटर उपकरण के साथ देता है जैसे- हार्ड डिस्क के ड्रावर प्रोग्राम, प्रिंटर के उत्पादक प्रिंटर को कण्ट्रोल करने के लिए प्रोग्राम को प्रोग्रामेबिल रॉम चिप सचित कर प्रिंटर के सर्किट बोर्ड पर लगा कर प्रिंटर को बेचता है।


जबकि प्रयोक्ता के द्वारा प्रोग्राम किया हुआ चिप पर प्रयोक्ता अपने जरूरत के अनुसार प्रोग्राम को चिप में संचित कर सकता है तथा उसका उपयोग भी कर सकता है।


प्रयोक्ता के द्वारा प्रोग्राम किया हुआ


इसमें प्रोग्राम को I.C. में संचित किया जाता है। इन प्रोग्राम को पराबैंगनी किरणों के माध्यम से मिटाया भी जा सकता है। फलस्वरूप यह इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल राम दोबारा भी प्रयोग की जा सकती है। इसमें प्रोग्राम को मिटाने और पुनः लिखने के लिए विशेष प्रकार के मशीन की आवश्यकता होती है। अतः पुनः प्रोग्राम लिखना कठिन और समय ग्राही है।




इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल रॉम (EPROM)


प्रोग्रामेबिल रॉम में एक बार ही प्रोग्राम को लिखा जा सकता था। यदि इसमें किसी अन्य प्रोग्राम को फिर से संचित करना हो तो यह प्रोग्रामेबिल रॉम (PROM) में संभव नहीं था। इस समस्या को इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल रॉम (EPROM) के माध्यम से दूर किया जा सकता है। इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल रॉम (EPROM ) में बार बार नए प्रोग्राम को संचित किया जा सकता है इसका उपयोग अनुसंधान एवम शोधकर्ताओं के द्वारा ज्यादा किया जाता है क्योकि ये नए नए प्रोग्राम को चिप में सचित कर डिवाइस के कार्य पद्धति की जाँच में सहायक सिद्ध होता है।




इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल रॉम (EPROM) दो तरह के होते है एक जिसमे प्रोग्राम को मिटाने के लिए। पराबैगनी किरणों का सहारा लिया जाता है इसे अल्ट्रा वायलेट इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल रॉम (UVEPROM) तथा दूसरे प्रकार में इस कार्य के लिए उच्च वोल्टेज के इलेक्ट्रिक सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल ग्रॉम पर स्टोर किये गये प्रोग्राम को मिटाने अथवा संशोधित करने लिए किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। कमाण्ड्स दिये जाने पर कम्प्यूटर में उपलब्ध इलेक्ट्रिक सिम्बल ही इस प्रोग्राम को संशोधित कर देते हैं। इसे इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रोग्रामेबिल रॉम (EEPROM) कहा जाता है। इसके माध्यम से प्रोग्राम को चिप में संचित करना और मिटाने का कार्य आसानी से किया जाता है। इसे फ़्लैश मेमोरी भी कहा जाता है।




द्वितीयक संग्रहण


यह एक स्थाई संग्रहण युक्ति है। इसमें संग्रहित डेटा तथा प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के ऑफ होने के बाद भी इसमें स्थित रहते है।


मैगनेटिक टेप


डाटा को स्थाई तौर पर संग्रहित करने वाले उपकरणों में मैगनेटिक टेप का नाम प्रमुखता से आता है। इसका इस्तेमाल अधिक मात्रा में डाटा को संग्रहित करने के लिए किया जाता है। इसमें इन्च चौड़ाई या 1/4 इन्च चौड़ाई वाली प्लास्ट्रिक की बिना जोड़ वाली लम्बी पट्टी होती है। जिसकी लम्बाई सामान्यतया 50 2400 फीट होता है। जिस पर आयरन ऑक्साइड या क्रोमियम डाई ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है। इस पट्टी को ही हम टेप कहते हैं।



टेप पर डाटा लिखने के लिए टेप पर मेग्नेटाइज्ड या नॉन मैग्नेटाईज्ड बिन्दु अंकित होते है जो दिखाई नहीं देते है। एक अक्षर के लिए 7 बिट या 9 बिट कोड प्रयोग में लाया जाता है। मैग्नेटाइज्ड एवं नॉन मैग्नेटाइज्ड बिन्दुओं की कतारें टेप की लम्बाई के समानान्तर बन जाती है। इन्हें हम Tracks कहते हैं


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मैगनेटिक डिस्क


मैग्नेटिक डिस्क बहुत लोकप्रिय द्वितीयक संग्राहक है इसमें डाटा को लिखने और पढ़ने की विधि यादृच्छिक अभिगम है। मैग्नेटिक डिस्क मे पतली गोलाकार पट्टी है जिसके दोनो तरफ पर आयरन ऑक्साइड या क्रोमियम डाई ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है। इस पर डाटा दिखाई न देने बाले मेग्नेटाइज्ड और नॉन मैग्नेटाईज्ड बिन्दुओं (जो और ) को प्रतिनिधित्व करता है) से किया जाता है। इस पर किसी प्रकार के एन्कोडिंग (ASCHUNICODE.EBCDIC) डाटा को लिखा जा सकता है। डिस्क को एक कंटेनर में एक के उपर एक करके रखा जाता है। सभी डिस्कों के बने इस माध्यम को डिस्क पैक कहते हैं। प्रायः सबसे ऊपरी तथा सबसे निचली सतह पर डाटा नहीं लिखा जाता है। इस ड्राइव में रीड व राइट हेड लगे होते हैं जिससे डाटा लिखा और पढ़ा जाता है। ये डाटा को Tracks के रूप में डिस्क पैक पर लिखते हैं।





फ्लॉपी डिस्क


एक लचीली प्लास्टिक शीट के ऊपर मैग्नेटिक ऑक्साइड की कोटिंग करके इसे तैयार किया



एक लचीली प्लास्टिक शीट के ऊपर मैग्नेटिक ऑक्साइड की कोटिंग करके इसे तैयार किया जाता है। इसमे डाटा संग्रहण की क्षमता कम होती है इसी कारण इसकी कीमत कम होता है। इसके एक रीड राइट हेड होता है जो फ्लॉपी की सतह से स्पर्श करके डाटा लिखता व पड़ता है। फ्लॉपी का उपयोग एक कंप्यूटर से डाटा को दूसरे कंप्यूटर तक ले जाने में किया जाता है। इसे कंप्यूटर में जरूरत पड़ने पर लगाया या निकाला जा सकता है इसी कारण इसे रिमूवेबल स्टोरेज कहा जाता है।


फ्लॉपी डिस्क दो आकार के होते है.




32 इंच फ्लॉपी डिस्क


इस फ्लॉपी डिस्क में डाटा संग्रहण की क्षमता 1.4 MB होती है।



5 इंच फ्लॉपी डिस्क


इस फ्लॉपी डिस्क में डाटा संग्रहण की क्षमता 1.2 MB होती है।




फ्लॉपी ड्राईवर


ऑप्टिकल डिस्क


31/2 इंच फ्लॉपी डिस्क


मैग्नेटिक डिस्क और मैग्नेटिक टेप के तुलना में ऑप्टिकल डिस्क का उपयोग अधिक होता है। इसे भी रिमूवेबल स्टोरेज श्रेणी में रखा जाता है। इसका उपयोग फ्लॉपी के भाति कंप्यूटर से डाटा स्थान्तरण के लिए किया जाता है। इसकी डाटा संग्रहण क्षमता 500 MB से 4 GB तक होता है। .इसमें डाटा संग्रहण के लिए प्रकाशीय गुणों का उपयोग किया जाता है।


ऑप्टिकल डिस्क कई प्रकार के होते है जैसे


सी.डी-रोम (CD-ROM), एक बार लिखे कई बार पड़े WORM (Write Once Read Many),


सी.डीआरडब्लू (CD-RW), डी.वी.डी (DVD)


सी.डी-रोम (CD-ROM)


CD-ROM का पूर्ण रूप compact Disk Read Only Memory है। सी.डी-रोम की आकर 5 1/4 इंच होता है जिसमे 650 MB से 700 MB तक के डाटा को संग्रहण किया जा सकता है। इतने छोटे आकर के डिस्क में अधिक मात्रा में डाटा संग्रहण होने के कारण इस का नाम सघन डिस्क है। यह डिस्क पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक पदार्थ से बना है इस पर अलुमिनियम की पतली परत चढाई गई होती है जिससे इसकी सतह प्रकाश का परावर्तक बन जाता है। 120 मिली मीटर व्यास के डिस्क को मिनी सी डी। कहा जाता है। जिसकी संग्रहण क्षमता लगभग 184 MB होता है। सी.डी रोम में सूचनाएँ पूर्ववत रिकॉर्ड किया होता है जिसे केवल पढ़ कर उपयोग में लाया जा सकता है.



लेकिन इसमें फिर नए जानकारी संग्रहित या उपलब्ध जानकारी को परिवर्तित भी नहीं किया जा सकता है अतः इसे रीड ओनली मेमोरी कहा जाता है।


CD


ROM


एक बार लिखे कई बार पढ़े WORM (Write Once Read Many):


इसके माध्यम से प्रयोक्ता अपनी डिस्क बना सकता है जिसमे वो अपनी आवश्यकता के अनुसार चीजों को रख कर सी. डी बना सकता है। इसके लिए उसे सी, डी आर ( CD Recordable) ड्राइव की आवश्यकता होती है। सी. डी आर ( CD Recordable ) ड्राइव के माध्यम से WORM डिस्क पर सूचनाओं को अंकित किया जा सकता है। जैसा WORM डिस्क के पूर्ण रूप Write Once. Read Many से पता चलता है कि इस तरह के डिस्क पर सूचनाओं को एक बार लिखा जा सकता है: फिर उन सूचनाओं को बार बार सी. डी आर ड्राइव या सी.डी-रोम ड्राइव के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। WORM डिस्क में मल्टी सेशन लिखने वाला डिस्क आता है जिसमे एक बार डिस्क में लिखने के बाद खाली स्थान पर फिर से लिखा जा सकता है लेकिन पूर्व में लिखे गए सूचनाओं को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।


सी. डी आर/डब्लू ( CD R/W) डिस्क


सी.डी.आर/डब्लू (CDR/W) डिस्क WORM डिस्क के जैसा ही होता है बस इसमें पूर्व में लिखे हुए सूचनाओं को फिर मिटाकर नए सूचनाओं को लिखने की सुविधा होती है। इस कारण सी.डी आर/डब्लू ( CD R/W) डिस्क की कीमत अन्य डिस्क से अधिक होती है। इसमें पूर्व सूचनाओं को मिटने के लिए, लेज़र किरण पुंज (Laser Beam) का सहारा लिया जाता है जो सी डी के सतह के रसायनिक गुणों को परिवर्तित कर देता है। एक सी. डी-आर/डब्लू CD R/W) डिस्क में लगभग 100 बार सूचनाओं को लिखा या मिटाया जा सकता है।





डी.बी.डी. ( Digital video (or Versatile) Disk) डिस्क :


डी.बी. डी का मुख्य रूप से मूवी को वितरित करने लिए डिजाइन किया गया था लेकिन जल्द ही इसका उपयोग अधिक मात्रा में डाटा संग्रहित करने के लिए किया जाने लगा है। डी.बी. डी। सैदातिक तौर पर सी. डी-रोम की तरह का होता है पर इसमें डाटा संग्रहण सघन होता है। डी.बी. डी। दो प्रकार के आते है सिंगल लेयर जिसकी धारिता 3.5 से 4.7 GB तक होता है डबल लेयर वाले डी. बी. डी की धारिता 8.5 GB तक होता है।



डी. बी. डी ड्राइव भी कई प्रकार के होते है जैसे- डी.बी.डी। आर, डी. वी. डी आर डब्लु डी.बी.डी. विडियो और डी. बी.डी ऑडियो


डी. बी. डी में काफी जगह होने के करण इसमें मूवी को बहुभाषी उप शीर्षक Multilingual Sub Title) सुविधा के साथ रखा जा सकता है। इसमें पूर्वक्त रिकॉर्ड मीडिया के पायरेसी को रोकने के लिए सुरक्षा तकनीक को समर्थन करता है जिससे डी. बी. डी की सूचनाओं को प्रतिलिपि बनाने से रोका जा सकता है।



फ़्लेश ड्राइव


फ़्लैश ड्राइव का आकर पेन के बराबर होने से इसे पेन ड्राइव भी कहा जाता है। यह विभिन्न आकर और आकर्षक डिजाईन में आता है। इसका उपयोग एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर में डाटा को स्थानातरण में किया जाता है। यह एक प्रकार का प्लग एन प्ले डिवाइस है। कंप्यूटर के USB पोर्ट में जोड़ने पर कंप्यूटर स्वतः इसे एक रिमूवेबल डिवाइस के रूप समझ जाता है और इसमें से कंप्यूटर में और कंप्यूटर से इसमें किसी प्रकार के डाटा जैसे ऑडियो, विडियो फाइल एप्लीकेशन प्रोग्रामों का स्थान्तरण किया जाना संभव है। इसमें इलेक्ट्रिकली इरेजेबिल प्रॉम (EEPROM) तकनीक का इस्तेमाल होता है। यह एक प्रकार का सेमी-कंडक्टर पदार्थ से बना हुआ है। इसकी धारिता 512 MB, IGB, 2GB, 4GB, 8GB, 16GB, 32GB और 64 GB तक होती है।




मेमोरी कार्ड


यह भी फ़्लैश मेमोरी तकनीक पर आधारित मेमोरी कार्ड है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस में किया जाता है जैसे कंप्यूटर, डिजिटल कैमरा, सेल फोन इत्यादि। यह कई प्रकार के होते हैं जैसे- सिक्योर डिजिटल (SD Card) कार्ड, मल्टी मीडिया कार्ड (MMC) आदि



MMC CARD


256 MB


SanDisk


SDHC Card


32GB


SONY


कंप्यूटर प्रणाली में प्रयोक्ता, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर होता है। इन तीनों के माध्यम से किसी कार्य को आसानी से और त्रुटी रहित किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धि के मदद से कंप्यूटर की बुद्धिमत्ता में दिनों दिन वृद्धि हो रही है। अतः कंप्यूटर एक बुद्धिमान मशीन हो गया है। कंप्यूटर के भौतिक संरचना में सिस्टम यूनिट (माइक्रो प्रोसेसर, मदरबोर्ड, आतंरिक मेमोरी इत्यादि ), इनपुट इंटरफ़ेस कीबोर्ड, माउस, स्कैनर इत्यादि) और आउटपुट इंटरफ़ेस ( मॉनिटर, मुद्रण इकाई इत्यादि) से मिलकर बना होता है.