कंप्यूटर का इतिहास - History of Computer

कंप्यूटर का इतिहास

वर्ष 1642 में बी. पास्कल ने जोड़ने वाला यांत्रिक मशीन का आविष्कार किया था। वर्ष 1971 में जर्मनी के वैज्ञानिक भैरन गोटाकाइड लिखनिज ने सर्वप्रथम गणना करने के लिए कैलकुलेटर का आविष्कार किया। लिबनिज का मशीन पास्कल के मशीन से अधिक शक्तिशाली था ये मशीन जोड़ व पटाव के अलावा गुणा तथा भाग करने में सक्षम था इसमें एक और खासियत थी कि इसमें मेमोरी का प्रयोग किया गया था. लि विश्व के प्रथम यांत्रिक कैलकुलेटर के आविष्कार कर्ता रूप में जाना जाता है इसके अलवा दशमलव संख्या को बाइनरी कोड में निरुपित करने के सिद्धांत देने के लिए भी जाना जाता है। जबकि लिखनिज के इसका उपयोग अपने कैलकुलेटर में नहीं किया था, लिबनिज के मरने के उपरांत एक अंग्रेज जॉर्ज बूते (१८१५-१८६४) ने इस विचार को आगे बढ़ाया और गणित की एक नए शाखा बूलियन अलजेब्रा (Boolean Algebra) का विकास किया। आधुनिक कंप्यूटर को निर्णय लेने की क्षमता हासिल करने में बाइनरी कोड एवं यूलियन अलसेना का बहुत बड़ा योगदान था जबकि १९वीं सतवादी में ये विचार उस समय से कहीं आगे का था क्योंकि गणितज्ञ और कंप्यूटर विज्ञानिक को इसके वास्तविक प्रयोग को समझाने में 50 से 100 साल का वक्त लगा था, की-बोर्ड मशीन का आविष्कार यूनाइट स्टेट में लगभग 1880 में किया गया. इसी समय के आसपास हरमन होललेरिख ने पंच कार्ड के कांसेप्ट का आविष्कार किया जिसका उपयोग इनपुट डिवाइस के लिए बहुत अधिक किया जाने लगा, इसका का उपयोग वर्ष 1970 तक एक इनपुट डिवाइस के लिए किया जाता था. १९वीं शतावादी में केंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चार्ल्स बावेज जिसे मॉडर्न कंप्यूटर के जनक कहा जाता है। इन्होंने एक क्लर्क समूह को गणितीय तथा संखिकीय गणना करने क लिए काम पर रखा था, प्रोफेसर बार्ल्स बाबेज इनके द्वारा तैयार किये गए गणितीय तथा संखिकीय टेबल की जाँच किया करते थे। 





इसमें उनको कई घंटो का समय लगता था तब भी त्रुटी होने की सम्भावना बनी रहती थी. प्रोफेसर चार्ल्स बाज इस तरह के कार्य से परेशान थे और इसके निदान के लिए कोई स्वचालित मशीन के बारे में सोचने लगे, इसी का परिमाण हुआ कि उन्होंने difference Machise सन 1822 ईसवी में हुआ और इसके साथ ही वे एक संपूर्ण एनालिटिक मशीन के विचार भी लाये जो ऑटोमेटिक अंकगणितीय गणना करने में सक्षम था जो एक मिनिट में (1) अंकगणितीय गणना को करने में दक्ष था. चार्ल्स बावेज ने अपने मॉडल को काम करने वाले मॉडल में तब्दील नहीं कर पाए क्योंकि उस समय के इंजीनियरिंग के द्वारा यह कर पाना संभव नहीं था. लिकिन उनके के कामप्ट ने नए डिजिटल कंप्यूटर के आविष्कार के जी तैयार किया। इसे समझने के लिए १९४० से लेकर १९६० तक के कंप्यूटर इतिहास को देखाना होगा.




मार्क 1 कंप्यूटर (1937-44)

इसे Automatic Soquence Controlled Calculator भी कहा जाता है। इसे विश्व के होना ए. एन (Howard A. Aiken) ने IBM (International Business Machine) के सहयोग से बनाया था यह एक प्रकार का विद्युत यांत्रिक दिवाइस था क्योंकि इसमें विद्युत एवं यांत्रिक पटक लगे थे. यह पंच कार्ड मशीन के प्रयोग किये सिधांत पर आधारित था, इसकी बनाव काफी जटिलताका आकर काफी बड़ा था, इसमें 3000 विद्युत यांत्रिक लगे थे जिससे सामान्य अंकगणिलीय गणना जैसे जोड़ा गुना एवं भाग करने में सक्षम यह दसमलाब के बाद 23 तक की याओं की गणना करने में सेट का समय लेता था जो कि आज के कंप्यूटर के तुलना में काफी






अटानागोस्ट-बेरी कंप्यूटर (Atanusoft Berry Computer) (1939-42):

जॉन अटानासोष्ट ने एक एक्ट्रोनिक मशीन का आविष्कार किया था जिससे कुछ प्रकार के गणितीय समीकरण को हल करने में सक्षम था. इस मशीन को ABC कंप्यूटर का नाम दिया गया जो इसके के आविष्कार के नाम का छोटा रूप है इसमें 45 निर्वात नाली (Vacuutube) का प्रयोग आन्तरिक लॉजिक के लिए तथा कासिटर का उपयोग के लिए किया गया है।






एनीअफ (ENIAC) कंप्यूटर (194346)

ENIAC- Electronic Numerical Integrator And Calculator यह प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर से सल बेनिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर जे प्रेस्पेर एक्केर्ट और ऑन मौचली एवं टीम द्वारा बनाया गया था. एनी(ENIAC) कंप्यूटर का आविष्कार सैनिक प्रयोग के लिए था. इसका उपयोग बैलिस्टिक मिलाइट से सम्बंधित समस्याओं के निदान में बहुत दिनों तक किया गया. इसको 20040 वर्गफीट म सकता था. इसमें 18000 नित नाली (Vacuum tube) लगा हुआ था. यह दो संख्याओं को जोड़ने में 200 माइक्रो सेकंड तथा गुना करने के लिए 2000 माइक्रो सेकंड लेता था.







एडवक (EDVAC) कंप्यूटर (1943-46)

एनीअक (ENIAC Electronic Discrete Variable Automatic Computer) कंप्यूटर में एक बहुत बड़ी खामीया यह थी कि इसमें प्रोग्राम लिखने के लिए बार को बोर्ड पर जोड़ना पड़ता था जिसके कारण प्रोग्राम में किसी प्रकार का परिवर्तन करना इतना आसान नहीं होता था. दो जॉन वोन यूमन ने स्टोर्ड प्रोग्राम कॉमेप्ट को ईजाद किया जिसके कारण इस समस्या से निजाद मिला इस कामेष्ट में निर्देशों एवं डाटा को कंप्यूटर मेमोरी में स्टोर करके रखा जाता है। दी जॉन बोन नघूमन का विचार मॉडर्न डिजिटल कंप्यूटर के कांसेप्ट से प्रभावित लगता है। इसके वजह से कई प्रकार के प्रोग्राम की एक ही कंप्यूटर पर किवान्वित करना संभव हो पाया. डॉ जीन जोन यूमन को डाटा व निर्देशों को बाइनरी फॉर्म में रखने के लिए बाइनरी नंबर सिस्टम के आविष्कार का श्रेय भी जाता है। प्रथमतः डाटा व निर्देशों को और में परिवर्तित करके स्टोर करना इसी तरह के कंप्यूटर में हुआ.





एडसेक EDSAC (1947-49)

फैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के समूह जिसके अध्यक्ष प्रोफेसर मौरिस बिलकेस में के द्वारा इस मशीन का आविष्कार 1949 में किया गया. इस कंप्यूटर का विकास यु.एस.ए. के एडवक (EDVAC) कंप्यूटर के साथ हुआ, इसके विकास में ब्रिटिश वैज्ञानिक का योगदान था,




UNIVAC (1951)

युनिएक कंप्यूटर को प्रथम डिजिटल कंप्यूटर खा जा सकता है। प्रथम युनिएक कंप्यूटर को जनगणना ब्यूरो के कार्यालय में १९५१ में स्थापित किया गया यह इसे १० वर्षों तक प्रयोग में लाया जाता रहा युनिएक कंप्यूटर का सर्वप्रथम वाणिज्यिक उपयोग १९५४ में दु.एस.ए के कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा किया गया. १९५२ IBM ने IBM ७०१ का विकास किया जोकि बुनिएक कंप्यूटर १ का विकसित रूप है। इसके बाद जल्दी-जल्दी यूनिएक कंप्यूटर तथा IBM ७०० श्रृंखला के अनेक कंप्यूटर बाजार में आए वर्ष १९५३ मे IBM ने 1000 कंप्यूटर बेचे थे.





कंप्यूटर वास्तव में 20 वीं सदी के अंतिम दो दशकों में महान आविष्कार के रूप में आप अक्सका इतिहास 2500/ सात से अधिक पहले का है अबैकस एक साधारण माला और तारों से बना कैलकुलेटर है, जो आज भी दुनिया के कुछ भागों में प्रयोग किया जाता है। एक प्राचीन अवैकम और एक आधुनिक कंप्यूटर के बीच का अंतर विशाल लगता है, लेकिन दोनों का सिद्धांत एक ही है कि मानव मस्तिष्क की तुलना में अधिक तेजी से गणना या किसी कार्य को बार-बार करने में सक्षम होना है




अबैकम का आविष्कार लगभग 500 ईसा पूर्व मध्य पूर्व में हुआ था. यह 17 वीं सदी के मध्य तक सबसे तेजी से गणना करने वाला यन्त्र था। 1642 में, 18 वर्ष की आयु में फ्रांसीसी वैज्ञानिक और दार्शनिक ब्लेस पास्कल (1623-1666) ने प्रथम व्यावहारिक यांत्रिक कैलकुलेटर, पास्कलाइन अधिकृत किया है, इसका आविष्कार अपने पिता जी का संग्राहक थे, को रकम की गणना करने में मदद करने के लिए किया था। मशीन में इंटरलॉकिंग कोम्स लगे थे जिससे जोड़ घटा दशमलव वाले संख्याओं का किया जा सकता था.





प्रथम सेमेस्टर 406 प्रबंधन सूचना प्रणाली एवं संगणक के अनुप्रयोग जर्मन गणितज्ञ और दार्शनिक गाटफीड लिखनिज (1646-1716) ने १६७९ में इसी तरह की मशीन ले कर आए जो कि पास्कलाइन से उन्नत किस्म का था इसमें कोम्स के स्थान पर stepped drum का इस्तेमाल किया गया था, लिचनिज की मशीन पास्कल के मशीन से अधिक शक्तिशाली थी ये मशीन जोड़ घटान के अलावा गुणा तथा भाग करने में सक्षम थी इसमें एक और खासियत थी कि इसमें मेमोरी का प्रयोग किया गया था के प्रथम यांत्रिक कैलकुलेटर के आविष्कार कर्ता रूप के में जाना जाता है इसके अलावा दशमलव संख्या को बाइनरी कोड में निरपित करने के सिद्धांत देने के लिए भी जाना जाता है। जबकि चिनिज इसका उपयोग अपने कैलकुलेटर में नहीं किया था, लियनिज के मरने के उपरांत एक अंग्रेजॉर्ज ले (१८१५-१८६४) ने इस विचार को आगे बढ़ाया और गणित की एक नयी शाखा बूलियन अलजेब्रा (Boolean Algebra) का विकास किया। आधुनिक कंप्यूटर को निर्णय लेने की क्षमता हासिल करने में बाइनरी कोड एवं बूलियन अलजेब्रा का बहुत बड़ा योगदान था जबकि १९वीं शताब्दी में ये विचार उस समय से कहीं आगे का था क्यों कि गणितज्ञ और कंप्यूटर वैज्ञानिक को इसके वास्तविक प्रयोग को समझाने में 50 से 100 माल का वक्त लगा था.