विज्ञापन कॉपी लेखन - advertisement Copy Writing

विज्ञापन कॉपी लेखन -  advertisement Copy Writing


विज्ञापन का निर्माण एक सृजनात्मक कार्य है। अभूतपूर्व कल्पना शक्ति, भाषिक चातुर्य, काव्यात्मक विधान जैसी विशिष्टताओं से युक्त विज्ञापनों में लोगों का ध्यान खींचने की शक्ति विद्यमान होती है। ध्यानाकर्षण के लिए विज्ञापन की पाठ सामग्री को कभी नाटकीय तो कभी चमत्कारिक ढंग से संप्रेषित करना पड़ता है विज्ञापन में यह कार्य पाठ्य सामग्री को 'विज्ञापन कॉपी के जरिए होता है। ऐसी पाठ्य सामग्री के लेखक को 'कॉपी लेखक कहा जाता है।

विज्ञापन कॉपी तैयार करना विज्ञापन निर्माण का महत्वपूर्ण अंग है। क्योंकि विज्ञापन कॉपी के द्वारा ही विज्ञापनकर्ता अपना संदेश लक्षित जनसमूह तक पहुंचाता है। जेम्स हंटर के अनुसार विज्ञापन कॉपी का यही उद्देश्य है कि उसे देखा जाये, पढ़ा जाये, उसका सन्देश प्राप्त किया जाये और उस पर काम किया जाये। विज्ञापन की कॉपी के जरिए ही विज्ञापन के संदेश की पूरी व्याख्या होती है।


विज्ञापन कॉपी के माध्यम से विज्ञापनकर्ता अपना संदेश दर्शकों अथवा पाठकों तक पहुंचाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया द्वारा विज्ञापन के जरिये उपभोक्ताओं को दो प्रकार से प्रोत्साहित किया जाता है। सीधी या प्रत्यक्ष कार्रवाई के लिए अथवा अप्रत्यक्ष कार्रवाई के लिए अतः विज्ञापन कॉपी भी दो प्रकार की होती है। सीधी कार्रवाई वाली कॉपी जो उपभोक्ताओं की इच्छाओं तथा आकांक्षाओं को जगाकर उन्हें वस्तु को खरीदने या सेवाएं लेने के लिए प्रेरित करती है। अप्रत्यक्ष कार्रवाई वाली कॉपी उपभोक्ताओं से स्थाई संपर्क या संबंध स्थापित करती है। इसमें उत्पाद या उत्पादक की छवि निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।


कॉपी राइटिंग या विज्ञापन लेखन के लिए विज्ञापन एजेंसियों में अलग से विज्ञापन लेखन विभाग होता है। कॉपी लेखक इस विभाग का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। कॉपी लेखन एक कठिन और श्रमसाध्य कार्य है। क्योंकि एक विशिष्ट शब्द संरचना और कहने के अनोखे ढंग द्वारा 'कॉपी' में संप्रेषणीयता के तत्व का समावेश करते हुए कॉपी लेखन करना होता है। इसलिए 'कॉपी लेखक' को अपनी सृजनात्मक क्षमताओं के साथ-साथ बाजार की सामयिक स्थिति तथा उपभोक्ताओं या लक्षित जनसमूह की मानसिकता की पहचान भी करनी पड़ती है। कॉपी लेखक जनसंचार के अलग-अलग माध्यमों के लिए अलग-अलग ढंग से 'कॉपी' लेखन अथवा विज्ञापन की पाठ्य सामग्री का निर्माण करता है, क्योंकि मुद्रित माध्यम के लिए विज्ञापन की संरचना में लिखित शब्द ही प्रमुख होते हैं। जबकि श्रव्य-दृश्य माध्यमों में दृश्य और ध्वनि के संयोजन को दृष्टि में रखकर 'कॉपी लेखन किया जाता है।


कॉपी लेखक अपने सृजनात्मक कौशल से विज्ञापन में जान फूंक देता है। वह उत्पाद की गुणवत्ता और उत्कृष्टता को अभिव्यंजना शिल्प से शब्द-चित्रों में इस तरह उभारता है कि वह विश्वसनीय लगे और उपभोक्ताओं या लक्षित जनसमूह को सहज ही ग्राह्य हो सके।


विज्ञापन कॉपी के अंग विज्ञापन कॉपी के चार प्रमुख अंग होते हैं


• शीर्षक


• उपशीर्षक


• विस्तार वर्णन (बॉडी)


• उपसंहार ।






विज्ञापन में शीर्षक का विशेष महत्व है, क्योंकि शीर्षक ही विज्ञापन की पाठ्य सामग्री को पूरा पढ़ने की इच्छा या विवशता पैदा करता है। शीर्षक पर दृष्टि पड़ते ही विज्ञापन आपके किसी मतलब का है कि नहीं, इसका अंदाजा लगा लिया जाता है। विशेषज्ञों की राय में शीर्षक के बिना विज्ञापन बिना चेहरे के व्यक्ति के समान है, जिसकी न तो कोई अलग पहचान है और न ही अपना व्यक्तित्व अच्छे शीर्षक का गुण यह है कि उसमें 'वस्तु संकेत' अथवा उत्पाद की मूल विशेषता का संकेत हो । विज्ञापित वस्तु के वैशिष्ट्य को संक्षिप्त और सरल शब्दों में प्रकट करने वाला शीर्षक ही उपयुक्त शीर्षक माना जाता है। विज्ञापन के शीर्षक भी समाचार-प्रधान होते हैं, कभी प्रत्यक्ष लाभ प्रधान, तो कभी भावात्मक अपील से संपन्न शीर्षक गढ़े जाते हैं।


शीर्षक में संक्षिप्तता पर बल दिए जाने के कारण विज्ञापन का उद्देश्य और वस्तु की क्षमता का प्रदर्शन पूरी तरह नहीं किया जा सकता। उसमें केवल संकेत ही होता है। लेकिन उपशीर्षक में विज्ञापन के उद्देश्य को थोड़े विस्तार के साथ बताया जा सकता है। शीर्षक में उत्पन्न हुई जिज्ञासाओं को उपशीर्षक शांत करता हुआ पाठक, श्रोता या दर्शक को विज्ञापन की 'बॉडी' की ओर उन्मुख करता है।


विज्ञापन के विषय विस्तार में विज्ञापन के मूल कथ्य (बॉडी टेक्स्ट) की व्यंजना की जाती है। इसमें उत्पाद या सेवा के विषय में विस्तार से बताया जाता है। उपभोक्ता को प्रेरित करने के लिए उत्पाद के गुणों और विशेषताओं पर प्रकाश डाला जाता है। शीर्षक के अनुकूल ही विषय को विस्तार दिया जाता है। 

उपसंहार के अंतर्गत उत्पाद या सेवा की आवश्यकता महत्व और गुणों को बताने के बाद उपसंहार के अंतर्गत लक्षित जनसमुदाय में उत्पाद या सेवा के प्रति प्रेरक प्रतिक्रिया जगाने का प्रयास किया जाता है।


कॉपी लेखन में पंच लाईन या निचली पंक्ति (सिग्नेचर लाईन) बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह उत्पाद की पहचान बनाती है। इस लाईन की विशेषता होती है कि यह बहुत छोटी होती है और सरल भाषा में इस तरह लिखी जाती है कि वह स्मरणीय बन सके।


कॉपी के अन्य अंग विज्ञापन की कॉपी के अन्य अंग इस प्रकार हैं।


• दृश्य सामग्री


• नारे


• लोगो


• कंपनी की सील


विज्ञापन के कॉपी लेखन में भाषा के पैनेपन और अभिव्यक्ति कौशल से संप्रेषणीयता का गुण पैदा किया जाता है, ताकि विज्ञापन उपभोक्ता या लक्षित जनसमूह के मन मस्तिष्क पर अपना पूरा प्रभाव छोड़े। इससे उत्पाद या सेवा की मांग में वृद्धि का लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलती है। उपभोक्ता के मन पर छाप छोड़ने के लिए कॉपी लेखन में अनेक तरीके अपनाए जाते हैं। कभी वाक्य संरचना में तर्क, कल्पना और हास्य की शक्ति का इस्तेमाल किया जाता है, तो कभी विभिन्न शैलियों का सहारा लिया जाता है। विज्ञापन में विवरणात्मक शैली के द्वारा उत्पाद या सेवा के बारे में उपभोक्ताओं को पूर्ण जानकारी दी जाती है। उत्पादित वस्तु का पूर्ण विवरण इसमें उपलब्ध रहता है।


इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विज्ञापनों में संवाद शैली बहुत प्रचलित है। संवादों के माध्यम से उपभोक्ता में उत्पाद को खरीदने की इच्छा जाग्रत की जाती है। संवाद शैली में विज्ञापनों की कॉपी इतनी सशक्त और जीवंत होती है कि विज्ञापन उपभोक्ताओं के मन में उत्पाद को खरीदने की इच्छा पैदा हो जाती है। प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों में भी कभी-कभी संवाद शैली का आश्रय लेकर विज्ञापनों को आकर्षक बनाया जाता है।

विज्ञापनों की वृत्तांत परक शैली भी अत्यंत प्रसिद्ध है। इसमें गत्यात्मकता का तत्व सम्मिलित रहता है। कथा या वृत्तांत द्वारा वस्तुओं के विज्ञापनों को रोचक बनाकर ध्यानाकर्षण की शक्ति पैदा की जाती है। प्रिंट मीडिया के विज्ञापनों में भी चित्रकथा के माध्यम से विज्ञापन की शक्ति को बढ़ाया जाता है। आजकल विज्ञापनों में प्रश्नवाचक शैली बहुत प्रचलित है। यह शैली विज्ञापन देखने और उत्पाद को समझने की जिज्ञासा एवं उत्कंठा पैदा करती है।