सामाजिक मनोविज्ञान का परिचय - Introduction to Social Psychology
सामाजिक मनोविज्ञान का परिचय - Introduction to Social Psychology
समाज कार्य एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है । जिसके अंतर्गत हम समाज कार्य की कशेलताओं से अवगत होते है, और एक व्यावसायिक कार्यकर्ता के रूप में समाज को अपना योगदान दे सकते है | समाज विज्ञान के अनेक शाखाओं का इस विषय को योगदान है। जिसके माध्यम से हम समाज के स्वरुप को समझ | इस क्रम में मनोविज्ञान का विशेष महत्व है | जिसके अंतर्गत हम सामाजिक मनोविज्ञान को समझते है समाज कार्य के इस पाठयक्रम में हम सामाजिक मनोविज्ञान के अंतर्गत व्यक्तित्व एव मानव व्यवहार, अभिवृत्ति प्रेरणा वंशानुक्रम एवं पर्यावरण के साथ साथ नेतृत्व एवं संचार इत्यादि के विषय में जानकारी दी गयी है |
शेरिफ और शेरिफ (1969:8) के अनुसार, "सामाजिक मनोविज्ञान सामाजिक उत्तेजना परिस्थिति के सन्दर्भ में व्यक्ति के अनुभव तथा व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन है।"
मैकडूगल ने सामाजिक मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, "सामाजिक मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जो समूहों के मानसिक जीवन को और व्यक्ति के विकास तथा क्रियाओं पर समूह के प्रभावों का वर्णन करता और उसका विवरण प्रस्तुत करता है। "
विलियम मैकडूगल (1919:2) ओटो क्लाइनबर्ग (1957:3 ) का कहना है कि, "सामाजिक मनोविज्ञान को दूसरे व्यक्तियों द्वारा प्रभावित व्यक्ति क्रियाओं को वैज्ञानिक अध्ययन कहकर परिभाषित किया जा सकता है। "
उपरोक्त परिभाषाओं को देखते हुए हम स्पष्टतः कह सकते हैं कि सामाजिक मनोवैज्ञानिक यह जानने का प्रयास करते हैं कि व्यक्ति एक दूसरे के बारे में कैसे सोचते हैं तथा कैसे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।
सामाजिक मनोविज्ञान का महत्व
व्यक्ति को समझने सहायक
एक समाज कार्यकर्ता को व्यक्तिक सेवा कार्य के अंतर्गत किसी व्यक्ति की समास्याओं को सुलझाने से पहले उस व्यक्ति के व्यक्तित्व का अध्ययन करना आवश्यक है इसके बिना उपयुक्त परामर्श प्रदान किया जाना संभव नहीं है इस सन्दर्भ में समाज कार्यकर्ता मनोविज्ञान का सहारा लेता है जिससे वह सेवार्थी के व्यक्तित्व का अध्ययन करने के पश्चात ही सहायता प्रदान करता है | इस प्रकार से एक समाज कार्यकर्ता किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं उसके पर्यावरण का अध्ययन करने के पश्चात ही अन्य सहायक प्रणालियों का प्रयोग करते हुए व्यक्ति के मूल्याङ्कन करता है |
अभिभवकों की दृष्टि में महत्व
किसी व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका अपना घर होता है जहाँ से उसे प्रारंभिक संस्कारों के अंतर्गत उसका सामाजीकरण किया जाता है। यह वो पाठशाला होती है जो एक बच्चे के समाजीकरण एवं व्यक्तित्व निर्माण में अहम् भूमिका निभाती है। इस प्रकार से एक अबोध बालक में गुणारोपण एवं संस्कोरवीन बनाने में भी अभिभावक मनोविज्ञान का ही सहारा लेते है |
शिक्षकों हेतु महत्व
किसी समाज की सशक्त नींव रखने में एवं समाज को संस्कारवान बनाने में एक शिक्षक की भूमिका को नाकारा नहीं जा सकता है। एक शिक्षक सामाजिक मनोविज्ञान की सहायता से अपने शिक्षार्थियों में शिक्षा के से में प्रति रूचि पैदा करता है । जहाँ एक बालक की प्रथम पाठशाला उसका अपना परिवार होता है वही समाजीकरण की प्रक्रिया में उसका विद्यालय उसकी द्वितीय पाठशाला होती है। विद्यार्थी का व्यवहार उसके ज्ञान में वृद्धी हेतु अध्यापन की विभिन्न पद्धतियों का प्रयोग करता है |
समाज सुधारक एवं प्रशासकों हेतु आवश्यक
एक समाज सुधारक एवं प्रशासक को समाज में अपना योगदान देने से पहले उस समाज का मनोविज्ञान समझना अति आवश्यक है तभी वह समाज की वास्तविक स्थिति से अवगत हो सकता है। समाज में व्याप्त कुरीतियां बुराईयों के स्वरुप को समझना विचलित व्यवहारों आपराधिक गतिविधियों के निवारण एवं समाज के उत्थान एवं सर्वांगीण विकास में अपनी भूमिका निभाता है । अतः किसी व्यक्ति या समाज के मनोविज्ञान को समझे बिना उपयुक्त कार्यप्रणाली का निर्माण नहीं किया जा सकता और प्रगतिशील विकास भी संभव नहीं है |
सम्पूर्ण राष्ट्र हेतु मनोविज्ञान का महत्व
सामाजिक मनोन के सहयोग से देश काल एवं परिस्थिति का आकलन कर नीति निर्माण में जहाँ एक ओर सहायता मिलती है वहीं दूसरी ओर सामाजिक मनोविज्ञान के सहयोग से देश काल एवं परिस्थिति का आकलन कर नीति निर्माण में जहाँ एक ओर सहायता मिलती है वहीं दूसरी ओर युद्ध से लेकर शांति तक मनोविज्ञान के अध्ययन से नीति निर्माण में मदद मिलती है । अतः प्रत्येक परिस्थिति में मानवीय आवश्यकता के अनुरूप कार्य प्रणाली का निर्माण करने में मनोवैज्ञानिक दृश्टिकोण का अध्ययन किया जाता है ।
मनोविज्ञान का समाज कार्य में योगदान
समाज कार्य वैज्ञानिक पद्धतियों एवं समाज कार्य की विशेष पद्धतियों का प्रयोग करते हुए व्यक्ति समूह एवं समाज के कल्याण में अपना योगदान देता है वहीं यहाँ यह कहना भी प्रासंगिक है व्यक्ति को सेवाएं प्रदान करने में व्यक्तिक अध्ययन के क्रम में व्यक्ति की मनोवृति को समझने में वह मनोविज्ञान की ही तकनीकी का प्रयोग करता है अतः कहा जा सकता है कि समाज कार्य व्यवसाय को पूर्णत्ता प्रदान करने में मनोविज्ञान का विशेष महत्व है |
निष्कर्ष
समाज कार्य मुख्यता किसी व्यक्ति के साथ दो प्रकार से कार्य करता है, एक व्यक्ति के व्यक्तित्व का अध्ययन और दूसरा उसके सामाजिक पर्यावरण का अध्ययन करता है । इन में समाजशास्त्र एवं मनोविज्ञान की प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है और परामर्श की प्रक्रिया के साथ साथ समाज कार्य की अन्य प्रयोग करते हुए व्यक्ति को सहायता प्रदान की जाती है । समाजकार्य एक सहायता मूलक व्यवसाय है जो व्यक्ति समूह एवं समुदाय को उसके पर्यावरण एवं काल एवं परिस्थिति के अनुरूप पूर्ण विकास करके समृद्ध जीवन जीने में सहायता प्रदान करता है । प्रत्येक समज कार्यकर्ता समाज कार्य को करते समय मनोवैज्ञानिक पद्धातियों का प्रयोग करते हुए सर्वप्रथम यह समझने का प्रयास करता है की व्यक्ति को किस प्रकार से सहायता प्रदान की जाये की भविष्य में ये व्यक्ति, समूह एवं समुदाय समस्याग्रस्त होने पर स्वयं अपनी सहायता कर सकें | अतः कहा जा सकता है कि समाज कार्य एक सहायता मूलक व्यवसाय है जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है ।
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