मध्यकालीन भारतीय इतिहास के प्राथमिक स्रोत - Primary sources of medieval Indian history

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के प्राथमिक स्रोत - Primary sources of medieval Indian history

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के प्राथमिक स्रोत - Primary sources of medieval Indian history

कागज के आविष्कार के कारण साहित्य लिखने के कार्य में क्रांतिकारी प्रगति हुई। ग्रीक एवं रोम से इतिहास लेखन की कला मुसलमानों ने सीखी। भारत पर मुस्लिम आधिपत्य के साथ ही मुस्लिम विद्वान भारत आए और उन्होंने अरबी-फारसी में मध्यकालीन भारतीय इतिहास के विविध पक्षों पर विस्तार से लिखा।


दिल्ली सल्तनत काल के प्राथमिक स्रोत


भारत में 1206 ई. से 1526 ई. तक दिल्ली सल्तनत का काल रहा। इसके पहले 712 में भारत पर अरब आक्रमण के साथ ही मुस्लिम विद्वानों ने भारतीय इतिहास का लेखन आरंभ कर दिया था।


चचनामा' नामक ग्रंथ से हमें अरबों के भारत (सिन्ध) पर आक्रमण की जानकारी मिलती है। इनके अलावा सल्तनत कालीन अन्य प्रमुख इतिहास के स्रोत निम्नलिखित है -





1. अलकनी की कृति 'किताब-उल-हिंद' अथवा 'तहकीक-ए-हिंद पूर्व मध्यकालीन भारतीय


इतिहास की जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसके द्वारा अनुसंधानकर्ता उस समय की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकता है। 


2. हसन निजामी की कृति ताजुल मासिर भी 1191 ई. से 1229 ई. तक की जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत है। 


3. मिन्हाज-उस-सिराज की कृति 'तबाकात-ए-नासिरी' से भी शोधार्थी सल्तनकालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस ग्रंथ के 23 तबकों (अध्यायों) में मिन्हाज ने त राजनीतिक स्थिति का तथ्यपरक एवं क्रमबद्ध इतिहास दिया है। अमीर खुसरो को यद्यपि सल्तनत कालीन साहित्यकार माना जाता है मगर इनके द्वारा लिखित साहित्यिक कृतियों की विषयवस्तु इतिहास पर ही केंद्रित है। उन्हें बलबन (1265-1285) के काल में ग्वामुद्दीन तुगलक (1320-1325) के काल तक के सभी सुल्तानों का राजकीय संरक्षण प्राप्त हुआ। अतः शोधार्थी वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन कर अमीर खुसरो की कृतियों मिफता-उल-फुतूह, सादेन', 'आशिका', 'खजाइन-उल-फुतूह' एवं 'एजाज एरवी में तत्युगीन सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकता है।








4. जियाउद्दीन बनी सल्तनतकालीन इतिहास की जानकारी के सर्वमहत्वपूर्ण स्रोत बनी के ग्रंथ 'तारीख-ए-फिरोजशाही' एवं 'फतवा-ए-जहाँदारी है। बनी ने उस काल 1265 ई. से अपना इतिहास (तारीख-ए-फिरोजशाही आरंभ किया है जहाँ कि मिन्हाज उस सिराज ने अपना इतिहास खत्म किया। इस ग्रंथ में बलबन से लेकर फिरोज तुगलक के काल तक का इतिहास मिलता है।


इनके अलावा शम्मा ए सिराज अफीफ की कृति 'तारीख-ए-फिरोजशाही वाजा अब्दुल मलिक इमामी की कृति फुतूह-उस-सलातीन, फिरोज तुगलक की आत्मकथा फुतूहात-ए फिरोजशाही, एवं अहमद यादगार की कृति 'तारीख-ए-मलातीनी-ए-अफगना एवं वाहवा बिन अहमद सरहिन्दी का ग्रंथ तारीख-ए-मुबारकशाही भी सल्तनत कालीन इतिहास के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।