सामाजिक नियोजन के लक्ष्य - Social Planning Goals

सामाजिक नियोजन के लक्ष्य - Social Planning Goals

 सामाजिक नियोजन के लक्ष्य - Social Planning Goals


विकास के लिए सामाजिक नियोजन के माध्यम से लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश की जाती है। सामाजिक नियोजन का लक्ष्य समाज में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय को लाना होता है। समाज में सभी को अवसरों की समानता, विचारों का स्पष्टीकरण, धार्मिक स्वतंत्रता, भाई चारे की भावना की रक्षा करना जिससे कि मनुष्य की गरिमा और उसके व्यक्तित्व की रक्षा हो सके। इसके अतिरिक्त बालिकाओं एवं बालको की निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रबंध, अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों का आर्थिक एवं शैक्षिक विकास पोषण स्तर, जनस्वास्थ्य तथा जीवन स्तर का चयन, लोक कल्याण हेतु सामाजिक संरचना आर्थिक असमानताओं में सामंजस्य लाने की कोशिश की जाती है। ये सभी लक्ष्य संविधान में वर्णित प्रस्तावना के आधार पर ही निर्धारित किये जाते है।


नियोजन के लक्ष्यों को मुख्यत: तीन भागों में बाँटा जा सकता है।


1) आर्थिक व्यवस्था में सुधार


2) सामाजिक आर्थिक सामन्जस्य 


(3) राजनीतिक-सामाजिक परिवर्तन



i) आर्थिक व्यवस्था में सुधार


इसके अंतर्गत आर्थिक संसाधनों का समुचित उपयोग बेगारी दूर करने के उपाय, उत्पादकता में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, कृषि में सुधार एवं कृषि से संबंधित उद्योगों का संतुलित विकास शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का समुचित प्रबंध शामिल है। इसके अतिरिक्त एक निश्चित समयावधि में अधिकतम सामाजिक, आर्थिक उन्नति जैसे सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान जिसके अंतर्गत रोजगार, उचित मजदूरी उचित लाभ, उचित मूल्यु, लगान, ब्याज आदि की दरों का निर्धारण एवं विनियमन शामिल है।










ii) सामाजिक आर्थिक सामन्जस्य


सामाजिक नियोजन का लक्ष्य समाज में विद्यमान सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को दूर करने का प्रयास करना होता है। सामाजिक नियोजन का संबंध प्रा रूप से, सामाजिक जीवन की समस्याओं, सामाजिक मूल्यों एवं सामाजिक संबंधों से है। सामाजिक कुरीतियों जैसे अपराध बाल अपराध, वैश्यावृति, भिक्षावृति, जातिगत असमानता, अस्पृश्यता आदि को योजनाबद्ध रूप से समाप्त करना सामाजिक नियोजन है। आर्थिक योजना का मुख्यउद्देश्य आर्थिक व्यवस्था एवं ढांचे में सुधार लाना है यद्यपि इसका प्रभाव अंतत व्यक्तियों पर पड़ता है। वास्तव में, आर्थिक नियोजन एवं विकास भी व्यक्तियों के सहयोग के बिना असंभव है। इस प्रकार की व्यवस्था में योग्यतानुसार विकास तथा जीवनयापन के अवसर प्रदान किये जाते हैं तथा इसके अंतर्गत एक निश्चित सीमा के बाद आय में वृद्धि पर रोक लगाई जाती है। सामाजिक, आर्थिक सामंजस्य के तहत निम्नलिखित क्षेत्रों में समानता स्थापित करने का प्रयास किया जाता है


I. समान आर्थिक विकास


II. आर्थिक स्त्रोतों के उपयोग के समान अवसर  


III. शिक्षा ग्रहण करने के समान अधिकार


IV. न्याय के समान अधिकार


V. सामाजिक प्रगति के समान अधिकार


VI. लाभ का समान वितरण


VII. सांस्कृतिक विकास के समान अवसर


iii) राजनीतिक- सामाजिक परिवर्तन 


सामाजिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा को स्थायित्व प्रदान करने के साथ-साथ उद्योगों की स्थापना करते हुए अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाना होता है। सामाजिक क्षेत्र में नियोजन का लक्ष्य देश में लिंग जाति, धर्म, रंग आदि के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना है ताकि जीवन स्तर न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से अपितु सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भी ऊँचा उठ सके।