अनुशासन और अंतरानुशासनिकता (अंतर- अनुशासनिकता) -Discipline and Inter-Discipline (Inter-Disciplinary)

अनुशासन और अंतरानुशासनिकता (अंतर- अनुशासनिकता) -Discipline and Inter-Discipline (Inter-Disciplinary)

 उक्त वर्णित अनुशासन की व्याख्या के आधार पर यह स्पष्ट किया जा सकता है कि अनुशासन विशिष्ट के संदर्भ से विश्लेषित होने वाला ज्ञान अथवा यथार्थ की परिभाषा अत्यंत संकुचित प्रकार की है इस प्रकार की समस्या के मद्देनजर अनुशासन की परिधि और उसकी सीमा को लांघने की आवश्यकता महसूस की गई। ज्ञान के विस्तारीकरण के कारण उसे किसी अनुशासन में बांधकर रखा जाना न ही उचित है और न ही संभव। इसके अलावा एक अन्य तर्क यह है कि सभी अनुशासनों की कुछ विशेषता होती हैं और कुछ सीमाए भी होती है। किसी भी अनुशासन विशेष द्वारा सभी शोध विशेषताओं तकनीकों और परिणामों का संज्ञान कर पाना संभव है। इसके लिए उसे बाहरी ज्ञान और सहारे की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से वह विश्व दृष्टि प्राप्त कर लेता है, जिससे उसमें लचीलेपन और सार्वभौमिकता को गुण आ जाता है।






सामान्य तौर पर अंतरानुशासनिकता की बहस को 70 के दशक से आरंभ माना जाता है। अंतरानुशासनिक अध्ययन में दो अथवा उससे अधिक अनुशासनों के दृष्टिकोणों का समन्वय अथवा एकीकरण पाया जाता है। इसमें दो भिन्न अनुशासनों के सिद्धांतों तथ्यों, अवधारणाओं, प्रविधियों पदों आदि के माध्यम से सामाजिक घटनाओं परिपटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाता है। इसके अंतर्गत किसी भी घटना अथवा समस्या के बारे में संज्ञान करने के लिए अलग-अलग अनुशासनों के दृष्टिकोणों का प्रयोग कर बेहतर और प्रभावी व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है।





क्लीन एवं नेवेल (1994) के अनुसार, "अंतरानुशासनिक अध्ययन प्रश्नों के उत्तर देने की एक प्रक्रिया है, समस्या समाधान की एक प्रणाली या बहुत जटिल या विस्तृत विषय को संबोधित करने की एक शैली है, जो एक अनुशासन के द्वारा पूर्ण रूप से संबोधित नहीं होगते और विषय से परिप्रेक्ष्य तथा अंतर्दृष्टिको समन्वित कर व्यापक परिप्रेक्ष्य की रचना करता है।"






वेरोनिका बायक्स मन्सिला (2005) के शब्दों में, "ज्ञान को समन्वित या एकीकृत करने की क्षमता या विचार सोचने की वैसी पद्धति, जिन्हें दो या उससे अधिक ज्ञान अनुशासनों से लिए गए हो, जिसका उद्देश्य संज्ञानात्मक या ज्ञानात्मक प्रगति को प्राप्त करना होता है"





उपर्युक्त वर्णित परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ज्ञान की स्पष्ट और बेहतर व्याख्या प्रस्तुत करने की दृष्टि से अंतरानुशानिकता एक उचित विकल्प है। अंतरानुशासनिक अध्ययन के प्रकारों के बारे में विभिन्न विद्वानों में मतभेद है। अमेरिका में समाज वैज्ञानिकों का एक बड़ा समूह इस बात की कवायद करता है कि अंतरानुशासनिक अध्ययन को विभिन्न भागों में विभाजित करना उचित नहीं हो यदि ऐसा हम करते हैं, तो अंतरानुशासनिक अध्ययन जिस उद्देश्य को लेकर पल्लवित एवं पुष्पित हो रहा है, वहीं नहीं रहेगा। हालांकि अंतरानुशासनिक अध्ययन को प्रमुख रूप से निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।





इंट्रा-आनुशासनिक अध्ययन


इंट्रा-आनुशासनिक अध्ययन के केंद्र में मानव व्यवहार या मानव व्यवहार का प्रकटीकरण होता है। जब किसी एक अनुशासन विशेष के ही किसी विषय क्षेत्र की अवधारणाओं तथ्यों, सिद्धांतों एवं प्रविधियों का समन्वय कर किसी समस्या का समाधान प्रस्तुत किया जाता है, तो ऐसे अध्ययन को इंट्रा-आनुशासनिक अध्ययन कहा जाता है। इसे निम्न चित्र के आधार पर सरलता से समझा जा सकता है


अंतरानुशासनिक अथवा इंटर-आनुशासनिक अध्ययन


इसमें व्यवस्थित रूप से प्रयत्न कर विभिन्न आनुशासनिक परिप्रेक्ष्यों के समाकलन द्वारा एक वैकल्पिक परिप्रेक्ष्य के रूप में एक एकीकृत विश्लेषणात्मक रूपरेखा को निर्मित किया जाता है। और इस रूपरेखा के आधार पर किसी समस्या अथवा घटना की व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। इसे निम्न चित्र की सहायता से समझा जा सकता है








बहु अनुशासनिक अथवा मल्टी अनुशासनिक अध्ययन


इसमें व्यवस्थित रूप से आनुशासनिक परिप्रेक्ष्यों को समाकलित करने का प्रयात्म किए बिना ही किसी घटना अथवा समस्या को विभिन्न परिप्रेक्ष्यों की सहायता से विश्लेषित किया जाता है। यहाँ किसी घटना विशेष को अलग-अलग लोग अपने-अपने ज्ञानानुशासन परंपरा की विधियों से देखने का प्रयत्न करते हैं। इसे निम्न चित्र के माध्यम से अभिव्यक्त किया जा सकता है



पार आनुशासनिक अथवा क्रॉस-अनुशासनिक अध्ययन


इसमें मूलतः किसी अनुशासनिक विषयवस्तु से संबंधित माने जाने वाली घटनाओं अथवा समस्याओं का परीक्षण अन्य किसी अनुशासनिक दृष्टिकोण से किया जाता है। अर्थात जब किसी एक अनुशासन के शोध परिणाम को दूसरे अनुशासन का विशेषज्ञ उसकी वैधता की जांच करता है, तो इसे पार आनुशासनिक अध्ययन की संज्ञा दी जाती है। इसे निम्न चित्र के माध्यम से समझा जा सकता है


पार अनुशासनिक अथवा ट्रांस अनुशासनिक अध्ययन


जब विभिन्न अनुशासनों के समन्वय से समस्या का समाधान नहीं होता है अथवा घटना के बारे में यथार्थ ज्ञान प्राप्त नहीं हो पाता है, तो उस परिस्थिति में इस विधि का प्रयोग किया जाता है। जब दो या दो से अधिक अनुशासन आपस में समन्यव कर एक नए विषय ढाँचे का निर्माणकरते हैं और समस्या का समाधान करते हैं, तो ऐसी विधि को पार आनुशासनिक अध्ययन कहा जाता है। इसके संज्ञान हेतु निम्न चित्र प्रस्तुत है










तत्कालिक समस्या के समाधान अथवा घटना के यथार्थ विश्लेषण के लिए नए अनुशासन का निर्माण


अंतर अनुशासनिकता के मापक


गैर-अनुशासनात्मक अध्ययनों की एक प्रमुख विशेषता यह होती है कि वे प्रयोपउन्मुखी होते हैं। सामाजिक समस्याओं अथवा घटनाओं में परिवर्तन हो जाने पर भी गरअनुशासनात्मक अध्ययनों के प्रवाह निरंतरता में बने रहते हैं। हालांकि अनुशासनात्मक अध्ययनों में समकालीन संदर्भमें काफ़ी परिवर्तन आए हैं। यदि स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो अनुशासनात्मक अध्ययन और गैर अनुशासनात्मक अध्ययन एकरूपता व विषमता तथा स्थिरता व प्रवाह के मसले पर विश्वासप्रद नहीं हैं। अनुशासनों के समायोजन के स्तर से इन समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसी समायोजन के प्रत्युत्तर के रूप में अंतरानुशासनिक अध्ययनों की नींव पड़ी। अंतरानुशासनिक विश्लेषण मुख्य रूप से दो अथवा दो से अधिक अनुशासनों के दृष्टिकोणों का समन्वय है तथा इस समन्वय की सहायता से किसी समस्या अथवा किसी घटना के यथार्थ को जानने का प्रयास किया जाता है। अंतरा आनुशासनिक शोध की पद्धति ज्ञान की बुनियादी समझ के विकास और समस्या निवारण में विशेष तौर पर लाभकारी होती है। अंतरा आनुशासनिक शोध पद्धति किसी प्रश्न के उत्तर की तलाश करने अथवा किसी समस्या के समाधान प्रस्तुत करने अथवा किसी घटना का अध्ययन करने का एक तरीका है, जिसमें संबंधित उद्देश्य की पूर्ति के लिए विभिन्न अनुशासनों की मदद ली जाती है। सभी ज्ञानमीमांसीय प्रविधियों का प्रयोग कर यथार्थ की तलाश करना ही इसका प्रमुख उद्देश्य होता है। समकालीन समय में नित नई समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं और इनका निवारण किसी एक अनुशासन की प्रविधियों, सिद्धांतों के आधार पर कर पाना दुष्कर है। इन मापक विकसित हुए, जिनकी चर्चा इस इकाई में पहले ही की जा चुकी है





समस्याओं के कारण अंतर अनुशासनिक अध्ययनों के कई मापक विकसित हो गए हैं। इन मापकों की सहायता से समस्या निवारण के तार्किक प्रयास किए जाते हैं। कालांतर में अंतरा अनुशासनिकता के कई


इंट्रा-आनुशासनिक अध्ययन


अनुशासनिक अथवा इटर आनुशासनिक अध्ययन • बहु-अनुशासनिक अथवा मल्टी-आनुशासनिक अध्ययन


पार-अनुशासनिक अथवा क्रॉस-आनुशासनिक अध्ययन


पार-अनुशासनिक अथवा ट्रांस आनुशासनिक अध्ययन