निचली अदालत - Lower Courts
निचली अदालतें - Lower Courts
देश भर में निचली अदालतों का कामकाज और उसका ढाँचा लगभग एक जैसा है। अदालतों का दर्जा इनके कामकाज को निर्धारित करता है। ये अदालतें अपने अधिकारों के आधार पर सभी प्रकार के दीवान और आपराधिक मामलों का निपटारा करती हैं। ये अदालत नागरिक प्रक्रिया संहिता 1908 और अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 के आधार पर कार्य करती है। अदालतों को इन संहिताओं में उल्लिखित प्रक्रियाओं के आधार पर निर्णय लेना होता है इन्हें स्थानीय कानूनों का भी ध्यान रखना होता है।
ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन के मामले डब्ल्यू पी (सिविल) 1022/1989 में उच्चतम न्यायालय द्वारा किए गए निर्देश के अनुसार देश भर में निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के पदों में एकरूपता रखी गई है। सीआर पीसी के तहत, दीवानी मामलों के लिए जिला एवं अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सिविल जज (सीनियर डिविजन) और सिविल जज (जूनियर डिविजन होते हैं, जबकि आपराधिक मामलों के लिए सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायिक मजिस्ट्रेट आदि होते हैं। अगर आवश्यक हो तो सभी राज्य सरकारों केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन इन श्रेणियों के समान श्रेणियों के माध्यम से वर्तमान पदों में कोई उपयुक्त नियोजन कर सकते।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 235 के अनुसार अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं के सदस्यों पर प्रशासनिक नियंत्रण उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है। अनुच्छेद 233 और 234 के साथ अनुच्छेद 309 के प्रावधानों के तहत प्रदत्त अधिकारों के संदर्भ में राज्य सरकारें उच्च न्यायालय के साथ परामर्श के बाद इन राज्यों के लिए नियम और विनियम बनाएगी। राज्य न्यायिक सेवाओं के सदस्य इन नियमों और विनियमों द्वारा शासित होंगे।
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