रचनात्मक कार्यक्रम का दार्शनिक पक्ष - Philosophical Aspect of constructive program

रचनात्मक कार्यक्रम का दार्शनिक पक्ष - Philosophical Aspect of constructive program


उनका दृष्टिकोण था कि सामाजिक परिवर्तन की अहिंसक लड़ाई, स्वतंत्रता की लड़ाई का ही भाग है।


सामाजिक परिवर्तन की उपेक्षा कर राजनीतिक आजादी की लड़ाई बेमानी है।


रचनात्मक कार्यक्रम हाशिए पर रह रहे लोगों के उत्थान का कार्यक्रम है। ये कार्यक्रम यह अवसर उपलब्ध कराते हैं जिससे व्यक्ति अहिंसक संघर्ष के जरिए बदलाव ला सके। रचनात्मक कार्यक्रम न तो दया दान है और न ही यथास्थितिवाद है। यह एक सक्रिय बल है जो अहिंसा के आधार पर नवीन समाज रचना का इच्छुक है, यह हर भारतीय का कर्तव्य है। रचनात्मक कार्यक्रम वर्तमान में विद्यमान संरचनात्मक एवं व्यवस्थित हिंसक व्यवस्था को बदलने का अहिंसक संघर्ष है। इन कार्यक्रमों की सूची से स्पष्ट हो जाता है. कि यह समस्त विभेद लिंग, जाति, धर्म इत्यादि को नकारता है, शिक्षा पर ध्यान देता है, स्वच्छता और आरोग्य की बात करता है. आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त करता है, हाशिए पर रह रहे समूहों के प्रति कर्तव्यों को पूरा किए जाने पर जोर देता है।

वस्तुतः ये कार्यक्रम व्यक्तिगत एवं सामाजिक रूपान्तरण के कार्यक्रम है। व्यक्तिगत स्तर पर रचनात्मक कार्यक्रम का उद्देश्य आत्मविश्वास प्राप्ति, अभय और स्वयं की पहचान का निर्माण करना है तथा सामुदायिक स्तर पर नवीन सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक संबंधों की रचना करना है। ये कार्यक्रम यह अवसर प्रदान करते हैं कि दमन को हटाकर परस्पर सहयोगमूलक वैकल्पिक संरचनाएं व्यवस्थाएं प्रक्रियाएं और संसाधनों का निर्माण हो रचनात्मक कार्यक्रम समाज निर्माण की सकारात्मक पहल है। ये कार्यक्रम यह अवसर उपलब्ध कराते हैं जिससे हम उन कौशलों को विकसित कर सकें जो हमें नवीन समाज रचना हेतु आवश्यक है।


गांधीजी ने व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर हिंसा के सभी रूपों की आलोचना की। उन्होंने ब्रिटिश दासता, हिंसा, साम्राज्यवाद, राष्ट्रवादी हिंसा, विभेद की राजनीति, शोषण, अंतरराष्ट्रीय पूँजीवाद, भौतिकताबाद के पातक प्रभावों को काफी करीब से देखा। अतः उन्होंने आम आदमी के नजरिये से अपने समस्त आदशरे को निर्मित किया। रचनात्मक कार्यक्रम एक साधारण भारतीय के जीवन में अहिंसक परन्तु क्रांतिकारी परिवर्तन का माध्यम है। इन कार्यक्रमों के जरिए गांधीजी ने आजादी की लड़ाई को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया। इन कार्यक्रमों ने ऐसे जनआंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार की जो ब्रिटिश हुकूमत की विश्वसनीयता वैधता और नैतिक तर्क को खारिज करने में समर्थ था।


इन कार्यक्रमों के जरिए गांधीजी ने समाज के हाशिए पर रह रहे वंचित तबकों को राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास किया। यह स्पष्ट किया कि इन तबकों का भी आजादी में उतना ही हक जितनी किसी और का इनके अधिकारों और इनके प्रति कर्तव्यों को राष्ट्रीय राजनीति में स्थान दिलाया। इन कार्यक्रमों के जरिए गांधीजी ने उन सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्ड्डतिक मुर्दों को राष्ट्रीय राजनीति में आवाज प्रदान की जिन पर या तो चुप्पी साध ली जाती थी या उपेक्षा कर दी जाती थी। रचनात्मक कार्यक्रम हर भारतीय को यह अवसर प्रदान करते हैं कि वह समाज के अंतिम व्यक्ति की बेहतरी में अपना योगदान कर देश की सेवा कर सके।