लोकतंत्र की त्रुटियाँ अथवा अवगुण - Demerits of Democracy
लोकतंत्र की त्रुटियाँ अथवा अवगुण - Demerits of Democracy
लोकतंत्र के विरोध में निम्न तर्क प्रस्तुत किए जा सकते हैं.
1) लोकतंत्र में वैयक्तिक गुण के स्थान पर उनकी संख्या को अधिक महत्व दिया जाता है अर्थात् सभी व्यक्ति के मत की संख्या ही होती है। कालांयल के अनुसार विश्व में एक योग्य व्यक्ति के साथ लगभग 9 मूर्ख व्यक्ति होते हैं अतः सभी को समान राजनीतिक शक्ति देने का परिणाम मूखाँ की सरकार की स्थापना होता है।"
2) लोकतंत्र में किसी भी कार्य को करने हेतु जनमत के रख की आवश्यकता होती है और उसका संज्ञान कर पाने में काफी समय बीत जाता है। सरकार किसी भी निर्णय को दृढतापूर्वक लागू करने से डरती है।
(3) यह बहुत खचली शासन प्रणाली है क्योंकि इसमें जनमत के संगठन चुनाव प्रचार प्रसार में करोड़ों रुपये का निरर्थक व्यय होता है।
4) जनसाधारण में राजनैतिक समझ का अभाव होने के कारण जनोत्प्रेरक नेताओं को जनता की भावनाओं से खेलने का पर्याप्त अवसर मिलता है।
5) हालांकि लोकतंत्र को समानता पर आधारित शासन प्रणाली के रूप में माना जाता है परंतु व्यावहारिक तौर पर वर्तमान संदर्भ में ऐसा नहीं है। आज इसका व्यवसायीकरण हो गया है।
इस इकाई में नवउपनिवेशवाद और लोकतंत्र पर चर्चा की गई है। नवउपनिवेशवाद का तात्पर्य नियंत्रण के नवीन तरीकों द्वारा आधिपत्य स्थापित करना, जो प्रायः विकसित राष्ट्रों द्वारा विकासशील और अविकसित राष्ट्रों पर किया जाता है। लोकतंत्र समता द्वारा परिभाषित शासन पद्धति है, जिसमें शक्ति के केंद्रीकरण के स्थान पर उसके विकेंद्रण को अधिक महत्व दिया जाता है।
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