पियरे बोर्डियो द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत - Principle Propounded by Pierre Bordeaux
पियरे बोर्डियो द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत - Principle Propounded by Pierre Bordeaux
यद्यपि पारसन्स की तरह बोर्टियों ने किसी ऐसे सिद्धांत को तो नहीं प्रतिपादित किया है, जो कोई ऊँचा स्थान रख सके, परंतु उनके द्वारा कुछ अवधारणाओं का प्रतिपादन अवश्च किया गया हैं जिनको सिद्धांत की तरह मान्यता प्राप्त है।
सांस्कृतिक पूंजी
बोर्डियों द्वारा प्रतिपादित यह सिद्धांत माक्र्क्सवाद से प्रभावित है। वे यह कतई नहीं स्वीकार करते हैं कि उच्च वर्गों की संस्कृति किसी भी अर्थ में निम्न वर्गों की संस्कृति से बेहतर है। बोर्डियो इस बारे में यह तर्क देते हैं कि वस्तुतः इसमें निम्न वर्ग का कोई दोष नहीं होता है, यह दोष शिक्षा प्रणाली का है। जब शिक्षा प्रणाली उच्च वर्गों के लिए नियोजित रही है, तब परिणामस्वरूप उच्च और मध्य वर्ग के लोग उच्च संस्कृति को प्राप्त कर लेते हैं। इसका सीधा प्रभाव यह आया कि उच्च शिक्षा से उच्च संस्कृति का सृजन और इससे अधिक धन या पूंजी का निर्धारण हुआ।
सांस्कृतिक पुनरुत्पादन
बोर्डियों के अनुसार शिक्षण व्यवस्था अपनी संस्कृति को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती है। उनके अनुसार किसी भी संस्कृति को उस अथवा निम्न बताने के लिए कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता है। सामाजिक पूंजी की प्राप्ति शिक्षा प्रणाली के माध्यम से होती है और इस आधार पर शक्ति का उत्पादन होता है। शिक्षा के सहारे सास्कृतिक पूंजी को निरंतर संचारित किया जाता है जिससे कि कुछ लोगों का इस प्रकार की पृष्ठभूमि पर आधिपत्य स्थापित हो गया और इसका परिणाम यह होता है कि समाज में गैर बराबरी स्थापित हो जाती है।
हेबिटस
हेटिका संबंध जीवन पद्धति से है इसके अंतर्गत किसी विशिष्ट सामाजिक समूह के मूल्य मान आकांक्षाएँ और अपेक्षाएं आती है। लोग अपने अनुभव के आधार पर ही अपने हटिस का निर्माण करते है। यह सीख जाते है कि अपने अनुभव के आधार पर किन वस्तुओं से किस प्रकार की अपेक्षा होती चाहिए इनकी आपूर्ति किस प्रकार में हो और इनके प्राप्ति की कौन सी विधियाँ है। प्रत्येक समूह के अपने अलग-अलग अनुभव होते हैं और इसी कारण से प्रत्येक समूह के अलग-अलग हैबिटस होते हैं। उदाहर के रूप में गुजराधियों को ही स तो दुनिया के किसी कोने में अपनी संस्कृति खाने पाने के अपने अलग शौक होते हैं। इसी तरह पंजाबियों के भी अपने हेक्टिस होते हैं।
वर्णित सभी विद्वानों ने समाज को समझने हेतु अपने समय के अनुसार उपयुक्त और उल्लेखनीय प्रस्तुमाल दुखीम द्वारा प्रस्तुत सामाजिक तथ्य विभाजन आ धर्म के सामाजिक सिद्धांत की विवेचना इस इकाई में की गई है। इसके अतिरिक्त इस इकाई में वेवर की सामाजिक आदर्श प्रारूप वेस्टरहेन और प्रोटेस्टेंट धर्म के सिद्धांत का वर्णन किया गया है। पारसन्स ने सामाजिक किया और सामाजिक व्यवस्थाका प्रतिपादन किया और बोर्डियों के सांस्कृतिक पूंजी सांस्कृतिक और हेबिटस की अवधारणा को भी इसफाई में सम्मिलित किया गया है।
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