समूह कार्य और बाल कल्याण - Group Work and Child Welfare
समूह कार्य और बाल कल्याण - Group Work and Child Welfare
समूह कार्य और बाल कल्याण
भारत में लगभग 40% जनसख्या 16 वर्ष के नीचे के आयु वर्ग की है। आर्थिक दशा में एवं परिवारिक क्रियाकलापों में परिवर्तन के कारण बालक के विकास की अनेक समस्या उत्पन्न हो गई है।
भारत सरकार ने अगस्त 1974 में बच्चों के लिए एक राष्ट्रीय नीति संकल्प पास किया संकल्प में बाल कल्याण के लिए अपनाए जाने वाले अलग-अलग उपायों तथा उन्हें दी जाने वाली प्राथमिकताओं की विवेचना की गई है। संकल्प के अनुसार दिसंबर 1974 में एक राष्ट्रीय बाल बोर्ड बनाया गया था। 25 मई 1981 को बोर्ड का पुनर्गठन किया गया हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ संघ राज्य क्षेत्र को छोड़कर तमाम राज्यों में इसी तरह के बोर्ड निर्मित किए गए।
भारत में विभिन्न सरकारी मंत्रालय और विभाग बाल कल्याण से संबंधी सभी कार्यों तथा योजनाओं को उन तक पहुँचाने हेतु प्रयासरत रहते हैं। बाल विकास विभाग की स्थापना वर्ष 1985 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अंग के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य महिला तथा बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देना था। 30 जनवरी 2006 से इस विभाग को मंत्रालय का दर्जा दे दिया गया है। इस मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य है महिला तथा बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देना।
इस मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य है बच्चोंके समग्र विकास को बढ़ावा देना। बच्चों की उन्नति के लिए एक नोडल मंत्रालय के रूप में यह मंत्रालय योजना नीतियां तथा कार्यक्रम का निर्माण करता है; कानून को लागू करता है उसमें सुधार लाता है और बाल विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाले सरकारी तथा गैर सरकारी संगठनों को दिशा निर्देश देता है व उनके बीच तालमेल स्थापित करता है। इसके अलावा अपनी नोडल भूमिका निभाकर यह मंत्रालय बच्चों के लिए कुछ अनोखे कार्यक्रम चलाता है। ये कार्यक्रम कल्याण व सहायक सेवाओं, रोज़गार के लिए प्रशिक्षण व आय सृजन एवं लैंगिक सुग्राहता को बढ़ावा देते हैं। ये कार्यक्रम स्वास्थ्य शिक्षा व ग्रामीण विकास इत्यादि के अन्य क्षेत्रों में भी एक पूरक व संपूरक भूमिका निभाते हैं।
बच्चों के समग्र विकास के लिए मंत्रालय दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे अनोखा कार्यक्रम समेकित बाल विकास सेवाओं (ICDS) का क्रियान्वयन करता रहा है, जिसके तहत पूरक पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं, स्कूल जाने से पहले के अनौपचारिक शिक्षा का एक पैकेज प्रदान किया जाता रहा है। हाल के वर्षों में मंत्रालय द्वारा उठाए गए मुख्य कदम में समेकित बाल विकास सेवाओं तथा किशोरी शक्ति योजना किशोरियों के लिए एक पोषण कार्यक्रम, बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक आयोग का गठन करना घरेलू हिंसा से महिला की सुरक्षा अधिनियम को लागू करना शामिल हैं। तथा इसी के साथ नागरिक समाज भी बाल संबंधी मुद्दों में व्यापक रूप से कार्य कर रहे हैं। अनेक गैर-सरकारी संगठन बाल श्रम रोकथाम, गोद संबंधी सेवा तथा किशोर देखभाल एवं पुनर्वास के कार्योंको जरूरतमंदो तक पहुँचाने के सफल प्रयास में लगे हुए हैं। बाल अनाथालयों का संचालन भी गैर-सरकारी संस्थान या धार्मिक संस्थान कर रहे हैं। समूह कार्य का विभिन्न संस्थानों (सरकारी और गैर-सरकारी) में अनेक जरूरतमंद बच्चों की समस्याओं को सुलझाने तथा उन्हें सक्षम बनाने हेतु प्रयोग किया जाता है समाज कार्यकर्ता बच्चों की समस्याओ को हल करने के लिए अधिवक्ताओं, मनोवैज्ञानिकों, चिकित्सकों, लोक अधिकारियों के साथ मिल कर काम करते हैं।
अब हम संक्षिप्त में यह देखने का प्रयास करेंगे कि विभिन्न संस्थानों में किस प्रकार समूह कार्य प्रक्रिया द्वारा समस्या के समाधान के साथ बालक को सक्षम बनाने का प्रयास किया जाता है, साथ ही बालक से संबंधित क्षेत्रों में समूह कार्य को कुछ उदाहरण के माध्यम से समझेंगे।
1. सबसे पहले बाल कल्याण एजेंसियों में समूह कार्य के उद्देश्य को हम जानेंगे
2. बालकों में व्यक्तित्व विकास, विशेषकर आत्मविश्वास तथा आत्म प्रतिष्ठा का निर्माण करना|
3. संकट तनाव, अव्यवस्था, मादक द्रव्य दुरूपयोग तथा कमज़ोर आपसी संबंधों से संबंधित लक्षणों के लिए उपचार करना।
4. आजीविका हेतु जीवन यापन कौशल का प्रशिक्षण देना
5. बच्चों के उचित मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के लिए भूमिका तैयार करना।
6. बालविकास को प्रोत्साहन देने के लिए अलग-अलग विभागों के बीच नीति और कार्यान्वयन के मध्यप्रभावी समन्वय स्थापित करना।
7. बच्चों के पोषाहार और स्वास्थ्य स्तर में सुधार लाना।
बच्चों से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए संस्थागत एवं असंस्थागत प्रकार की संस्थाएं काम करही हैं जैसे-
1. बाल चिकित्सालय
2. शिशु एवं बाल विकास विद्यालय
3. बाल अपराधी सुधार गृह
3. बाल अपराधी सुधार गृह
4. मानसिक मंदित बालकों के लिए विद्यालय
5. शिशु पालन गृह
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