सामाजिक एकता का अर्थ - meaning of social cohesion

 सामाजिक एकता का अर्थ - meaning of social cohesion


सामाजिक एकता की अवधारणा दुर्खीम के द्वारा प्रस्तुत की गई हालांकि दुखम से पहले अनेक समाजशास्त्रियों एवं अन्य विचारकों के द्वारा अपने लेखों और रचनाओं में सामाजिक एकता का प्रयोग किया गया था। इनमें प्लेटो, अरस्तु, फर्गुसन, एडम स्मिथ, सेंट साइमन, अगस्त कॉम्ट तथा स्पेंसर प्रमुख हैं। इन विद्वानों के अनुसार सामाजिक एकता का अर्थ समाज की विभिन्न इकाइयों में समायोजन है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें समाज के विभिन्न इकाइयां अपने कार्यों को पूरा करते हुए समाज में संतुलन बनाए रखती हैं। सामाजिक एकता नैतिक घटना है क्योंकि इसके द्वारा समाज के सदस्यों के बीच पारस्परिक सहयोग एवं सद्भावना को बढ़ावा मिलता है। सामाजिक एकता एक अमूर्त अवधारणा है इसे देखा नहीं जा सकता बल्कि इसके प्रभाव एवं परिणामों का अनुभव किया जाता है। सामाजिक एकता एक सापेक्षिक अवधारणा है क्योंकि न तो किसी समाज में पूर्ण रूप से सामाजिक एकता की स्थिति रहती है और न ही किसी समाज में पूर्णतः विघटन की स्थिति पाई जाती है।


दुर्खीम के अनुसार सामाजिक एकता का अध्ययन समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक सामाजिक तथ्य है। सामाजिक एकता एक प्रथम श्रेणी का सामाजिक तथ्य है उसके बावजूद यह व्यक्तिगत जीवन पर भी आधारित है। दुर्खीम ने सामाजिक एकता का महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी पुस्तक सोशल डिवीजन ऑफ लेबर' (Social Division of Labour) के प्रथम भाग में एकता का विश्लेषण किया। इस पुस्तक में सामाजिक जीवन के तीन महत्वपूर्ण पक्ष बताए गए हैं और यह तीनों पक्ष एक दूसरे से संबंधित हैं


1. सामाजिक एकता (Solidarity or Unity of Society)


2. श्रम विभाजन (Division of Labour)


3. सामाजिक विकास (Social Evolution)


दुर्खीम के अनुसार सामाजिक एकता के स्वरूप में परिवर्तन होता रहता है और यह परिवर्तन सावयवी एकता और यांत्रिक एकता के रूप में देखने को मिलता है।