पारसन्स का प्रमुख योगदान - Major Contribution of Parsons

पारसन्स का प्रमुख योगदान - Major Contribution of Parsons


तात्कालिक समाजशास्त्रियों में पारसन्स ही एक ऐसा विद्वान है जो अपने कृतित्व के कारण प्रभावशाली समाजशास्त्री माना जाता है। पारसन्स ने सामाजिक व्यवस्था सामाजिक क्रिया, सामाजिक संरचना, सामाजिक प्रकार्य, सामाजिक नियंत्रण आदि विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। ये विचार उसके द्वारा लिखित पुस्तकों, समालोचनाओं, लेखों और शोध टिप्पणियों में प्रकाशित हुए हैं। पारसन्स ने इन सबके बावजूद संपादन कार्य भी किया। उसने सभी प्रमुख समाजशास्त्रियों और उनके सिद्धांतों की समीक्षाएँ प्रकाशित कराई हैं। पारसन्स की निम्नलिखित रचनाएँ इस दृष्टि से उल्लेखनीय स्थान रखती हैं:


(1) दी स्ट्रक्चर ऑफ सोशल एक्शन


पारसन्स की यह एक महत्वपूर्ण रचना है। इस पुस्तक का प्रकाशन 1937 में हुआ है। इस रचना में पारसन्स ने अपना सामाजिक क्रिया सिद्धांत प्रस्तुत किया है। यह सिद्धांत पारसन्स ने विशेष रूप से दुर्खीम, स्पेंसर, मैक्स वेबर और पैरेटो के विचारों की समीक्षाओं के साथ प्रस्तुत किया है। इस सामाजिक क्रिया सिद्धांत के कारण ही पारसन्स को समाजशास्त्र में ख्याति प्राप्त हुई है। 


(2) दी सोशल सिस्टम


पारसन्स की यह दूसरी महत्वपूर्ण कृति है। यह रचना सन् 1952 ई. में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में पारसन्स ने सामाजिक क्रिया के विश्लेषण से सामाजिक व्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट किया है। इस प्रकार पारसन्स ने सामाजिक व्यवस्था का सिद्धांत प्रतिपादित किया है। इस दृष्टि से अपने इस सिद्धांत में पारसन्स ने सामाजिक स्तरण की भी व्याख्या प्रस्तुत की है।


इन रचनाओं के अतिरिक्त पारसन्स ने मैक्स वेबर की रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद प्रकाशित कराया है। इस दृष्टि से प्रथम 1960 में पारसन्स ने वेबर की (दी प्रोटेस्टेट इथिक्स एंड दी स्प्रिंट ऑफ केपिटेलिज्म) का अनुवाद प्रकाशित कराया। इसके बाद पारसन्स ने मैक्स वेबर की दूसरी रचना "दी थ्योरी ऑफ सोशल एंड इकानामिक आर्गेनाईजेशन" का अनुवाद किया। यह अनुवाद री हैंडरसन के सहयोग से प्रकाशित हुआ। पारसन्स के समाजशास्त्रीय योगदानों पर हम क्रमशः यहाँ विस्तार में विवेचन करेंगे।