शोध की वस्तुनिष्ठता - Objectivity of Research
शोध की वस्तुनिष्ठता - Objectivity of Research
प्रत्येक अध्ययन का उद्देश्य किसी विषय का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करना होता है। अध्ययनों में दो प्रकार के दृष्टिकोण अपनाए जा सकते हैं प्रथम वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण और दूसरा व्यक्तिनिष्ठ। इन दोनों दृष्टिकोण में पर्याप्त अंतर है। वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण में अध्ययन करते समय वस्तु या अध्ययन के विषय को महत्व दिया जाता है। यह वस्तु केंद्रित अध्ययन है। इसके विपरीत व्यक्तिनिष्ठ दृष्टिकोण में अध्ययनकर्ता के अपने विचार, भावनाएं और पूर्वधारणाएं विशेष मत रखती हैं। इस दृष्टिकोण के अंतर्गत अध्ययनकर्ता के पूर्वाग्रह अध्ययन के निष्कर्षों को प्रभावित करते हैं। वस्तुनिष्ठ अध्ययन प्रायः विश्लेषणात्मक होता है और व्यक्तिनिष्ठ अध्ययन प्रायः वर्णात्मक होता है। वस्तुनिष्ठ अध्ययन सदा क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित होता है.
उसके द्वारा प्राप्त परिणाम तथ्यों के अवलोकन परीक्षण एवं विश्लेषण पर आधारित होते हैं। इसके विपरीत व्यक्तिनिष्ठ अध्ययन में प्राप्त परिणाम प्राय: अध्ययनकर्ता की भावनाओं एवं कल्पना से मिश्रित होता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों की प्रथम शर्त यथार्थता है। यथार्थ अध्ययन के लिए वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। प्राकृतिक विज्ञानों में वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाना सरल होता है। इसलिए उनमें प्राय: तब कहीं वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण ही अपनाया जाता है। इसके विपरीत सामाजिक अध्ययनों में वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाना अपेक्षाकृत कठिन होता है। इसका मुख्य कारण सामाजिक घटनाओं की जटिल प्रकृति है। सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में अध्ययनकर्ता स्वयं भी उसी समूह अथवा समाज का अंग होता है, जिसका अध्यन करना होता है। सामाजिक घटनाओं में समानता एवं सार्वभौमिकता का भी अभाव होता है। इस कारण भी उनके अध्ययन में वस्तुनिष्ठता को बनाए रखना कठिन होता है।
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