जाति: अर्थ एवं परिभाषा - Caste: Meaning and Definition

जाति: अर्थ एवं परिभाषा - Caste: Meaning and Definition


'जाति' शब्द अंग्रेजी भाषा के कास्ट' (caste) का हिंदी रूपांतरण है। यह अंग्रेजी शब्द, पुर्तगाली भाषा के 'कास्टा' (casta) से लिया गया है तथा इसका अभिप्राय मत विभेद और जाति से लगाया जाता है। ग्रेसिया-डी ओरेटा ने सर्वप्रथम 1665 में जाति शब्द की उत्पत्ति के बारे में वर्णन प्रस्तुत किया था। ओरेटा के पश्चात फ्रांसीसी विद्वान अब्बे डुबोय जाति की उत्पत्ति को प्रजाति के संदर्भ से जोड़कर प्रस्तुत करने का प्रयास किया। अनेक विद्वानों ने जाति की व्याख्या अनेक प्रकार से किया है। विद्वानों के कुछ महत्वपूर्ण विचार व परिभाषाओं को यहा प्रस्तुत किया जा रहा है-


• चार्ल्स कूले के अनुसार


"जब एक वर्ग पूर्णतः आनुवंशिकता पर आधारित होता है तो हम उसे जाति कहते हैं। "


• मजूमदार और मदान के अनुसार


"जाति एक बंद वर्ग है। "


• ब्लंट के अनुसार


"जाति एक अंतर्विवाही समूह अथवा अंतर्विवाही समूहों का गुच्छा है, इसका एक सामान्य नाम होता है, इसकी सदस्यता अनुवांशिक होती है. यह सामाजिक सहवास के क्षेत्र में अपने सदस्यों पर कुछ निषेधों को आरोपित करता है, इसके सदस्य या तो एक सामान्य परंपरागत व्यवसाय में संलिप्त रहते हैं अथवा किसी सामान्य आधार पर अपनी उत्पत्ति का दावा करते हैं तथा इस प्रकार एक समरूप समुदाय के रूप में वैध होते हैं।"


• जे.एच. हट्टन के अनुसार के


"जाति एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत एक समाज अनेक आत्म- केंद्रित तथा एक-दूसरे से पूरी तरह से पृथक इकाइयों (जातियों में बंटा रहता है। इन इकाइयों के मध्य पारस्परिक संबंध ऊँच-नीच के रूप में सांस्कृतिक आधार पर निर्धारित होते हैं।"


• केतकर के अनुसार


"जाति एक सामाजिक समूह है तथा इसकी दो विशेषताएं होती हैं


1) जाति की सदस्यता केवल उन व्यक्तियों तक सीमित रहती है, जिनका जन्म उसी जाति में


हुआ हो।


2) इसके सदस्य एक कठोर सामाजिक नियम द्वारा अपने समूह से बाहर विवाह करने से निषिद्ध रहते हैं।


• इरावती कार्वे के अनुसार


"जाति वस्तुतः एक विस्तृत नातेदारी समूह है। "


• मिर्डल के अनुसार


“जाति पूर्णतः कठोर वर्ग है. जो समूह में गतिशीलता को स्वीकार नहीं करता।" उक्त वर्णित विद्वानों की विभिन्न परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि जाति एक प्रकार का सामाजिक समूह है जो जन्म पर आधारित होता है। साथ ही इसमें अपने सदस्यों के प्रति व्यवसाय, सामाजिक सहवास, खान-पान, विवाह आदि संबंधी निषेध पाए जाते हैं।