सीपीए 1986 के अधीन शिकायतकत्र्ता और शिकायतें - Complainant and complaints under CPA 1986
सीपीए 1986 के अधीन शिकायतकत्र्ता और शिकायतें - Complainant and complaints under CPA 1986
उपभोक्ता अधिकार की दृषिट से सी.पी.ए. 1986 का एक उल्लेखनीय भाग शिकायत प्रणाली से संबंधित प्रावधान है जो उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करता है। इस अधिनियम की धारा 2 (ख) के अनुसार शिकायतकत्र्ता की अवधारणा की व्याख्या की गयी है जिसके अंतर्गत लोगों के बड़े समूह या संगठन भी शिकायतकत्र्ता हो सकते हैं। इसके अनुसार शिकायत सिर्फ उपभोक्ता के द्वारा ही दर्ज नहीं किया जा सकता, बलिक इसे कोई पंजीकृत स्वैच्छिक उपभोक्ता संघ भी दर्ज कर सकता है चाहे संबंधित व्यक्ति उसका सदस्य हो या न हो। इसके अलावा, केंद्र तथा राज्य सरकार को भी उपभोक्ता के अधिकार के रक्षोपाय हेतु शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है। अधिनियम के अनुसार शिकायत एक या अधिक उपभोक्ता भी दर्ज करा सकते हैं जहां उन उपभोक्ताओं के एक समान हित प्रभावित हो रहे हों।
यदि किसी की मृत्यु हो गयी है और उसने अपने जीवन काल में ऐसी शिकायत की है तो उसके उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि को भी इस संदर्भ में शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होगा। कानूनी उत्तराधिकार या प्रतिनिधि द्वारा भी शिकायत दर्ज कराया जा है। अधिनियम के अनुसार शिकायत उस तिथि से दो वर्ष के अंदर दर्ज कराना आवश्यक है जिस दिन इस तरह की अनियमितता स्पष्ट हुई है। जबकि कुछ मामलों में देर से शिकायत दर्ज करने पर भी उसे स्वीकार किया जा सकता है यदि शिकायत निवारण तंत्र देरी के समुचित कारणों से संतुष्ट हो। ऐसी देरी को स्वीकार करने में अधिकरण की संतुष्टि के लिए विशेष कारणों को रिकार्ड भी किया जाता है। इसलिए एक उपभोक्ता वस्तुओं के विक्रेता के साथ-साथ वस्तुओं के निर्माताओं के खिलाफ दोषपूर्ण वस्तु पाने की दशा में शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया खराब वस्तुओं या खराब सेवाओं की मौद्रिक शक्ति तथा काम करने के भौगोलिक क्षेत्र द्वारा निर्धारित होता है। दूसरे शब्दों में, वस्तुओं से संबंधित विभिन्न मौद्रिक कीमतों का उचित राशि की शिकायत के लिए उपयुक्त उपभोक्ता फोरम निर्धारित है, जैसे जिला फोरम, राज्य फोरम तथा राष्ट्रीय फोरम। इसी प्रकार कार्रवाई के न्यायिक क्षेत्राधिकार की सिथति भी उस स्थान से निर्धारित होते हैं जिस भौगोलिक क्षेत्र में विपक्षी पार्टी व्यवसाय करती है तथा उसी क्षेत्र में ही शिकायतकत्र्ता के दावों की सुनवाई भी की जाती है।
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