अंतरराष्ट्रीय कीमत निर्धारण में बाधाएं - Barriers to international pricing

अंतरराष्ट्रीय कीमत निर्धारण में बाधाएं - Barriers to international pricing


(क) सरकारी हस्तक्षेप


(i) बहुत से देशों में सरकार न्यूनतम कीमत तथा अधिकतम कीमते निर्धारित करती है। न्यूनतम कीमत निर्धारित करने का उद्देश्य विदेशी कंपनियों द्वारा मेजबान देश के घरेलू बाजार में राशिपतन को रोकना है। कई बार विदेशी कंपनियां बहुत कम कीमतें निर्धारित करके मेजबान देश की घरेलू कंपनियों को बाजार से बाहर निकाल कर बाजार पर एकाधिकार करना चाहती है। ऐसे व्यवहारों को रोकने के लिए सरकार न्यूनतम कीमत निर्धारित करती है।


(ii) कुछ देशों में सरकार लाभ की अधिकतम दर निर्धारित करती है।


(iii) टैरिफ व उत्पादन कर विकय कर कस्टम ड्यूटी मूल्य वृद्धि कर व अन्य प्रकार के कर भी कीमत निर्धारण में ध्यान में रखे जाने चाहिए। कर य टैरिफ की दर बढ़ ने पर कीमतें बढ़ जाती है।


(iv) सरकार द्वारा दिए गए अनुदान भी अंतरराष्ट्रीय कीमतों को प्रभावित करते हैं। यदि सरकार निर्यातों पर अनुदान देती है तो इससे निर्यातित उत्पादों की कीमतें कम हो जाती है।


(v) कई देशों में सरकार निर्यातों को प्रोत्साहित करने के लिए करों में रियायते व छूट देती है ऐसी स्थिति में निर्यातक कम मूल्य पर अपना माल निर्यात कर सकते हैं।


(ख) विनिमय दर 


देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा से तुलनात्मक मूल्य विनिमय दर कहलाता है।

विनिमय दर में उतार-चढ़ाव भी अंतरराष्ट्रीय कीमतो को प्रभावित करते हैं। यदि निर्यातक देश की मुद्रा आयातक देश की मुद्रा की तुलना में मजबूत हो जाती है तो इससे निर्यातक को हानि होती है। इस हानि को पूरा करने के लिए वह निर्यात मूल्य को बढ़ा देती है; जैसे यदि एक भारतीय निर्यातक अमेरिका में कुछ सामान निर्यात के लिए 1,000 अमेरिकन डॉलर मूल्य पर भेजता है तथा उस समय विनिमय दर $1 रूपये 50 है। तो यहाँ भारतीय निर्यातक को इसके लिए 50,000 रूपये प्राप्त होंगे। मान लो अब विनिमय दर में बदलाव आ जाता है तथा भारतीय करेंसी अमेरिकन डॉलर की तुलना सुदृढ हो जाती है तथा अब विनिमय दर $145 रू हो जाती है। अब निर्यातक को इसी निर्यात के लिए रु. 45,000 मिलेंगे। इस रु. 5,000 की हानि को पूरा करने के लिए वह निर्यात उत्पादों की कीमतें बढ़ा देगा। 


(ग) मेजबान देश की आर्थिक दशाएं


वैश्विक कंपनियां मूल्य निर्धारित करते समय मेजबान देश की आर्थिक दशाओं को भी ध्यान में रखती है,

जैसे मेजबान देश की राष्ट्रीय आय प्रति व्यक्ति आय आयातक देश के लोगों की कय क्षमता जीवन स्तर आदि। यदि उत्पाद किसी निर्धन देश में बेचे जाने है तो वैश्विक कंपनी कम कीमत निर्धारित करती है। दूसरी और यदि उत्पाद किसी धनी देश में बेचे जाने हैं तो अधिक कीमतें निर्धारित की जाती है। 


(घ) मेजबान देश में प्रतिस्पर्धा का स्तर


यदि मेजबान देश में प्रतिस्पर्धा का स्तर अधिक है, तो वैश्विक कपनी कम मूल्य निर्धारित करेगी ताकि मेजबान देश में पर्याप्त बाजार हिस्सा प्राप्त हो सके। प्रतिस्पर्धा का स्तर कम होने पर अधिक मूल्य निर्धारित किए जाते हैं। 


(ड़) उत्पाद विभिन्नता:


यदि वैश्विक कंपनी का उत्पाद अन्य उपलब्ध उत्पादों से बहुत भिन्न है तथा इसमें कुछ नयी विशेषताए है, या यह नवाचारी है तो वैश्विक कंपनी प्रारंभ में ऊंचा मूल्य निर्धारित करेगी।


(च) लागत:


लागत मूल्य निर्धारण में बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है लागत में स्थायी लागत व परिवर्तनशील लागत दोनों को ही शामिल किया जाता है। लागत में उत्पादन लागत, परिवहन लागत संग्रहण लागत, विज्ञापन लागत, बीमा व्यय, टेरिफ आदि शामिल है। कई बार वैश्विक कंपनी अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश लेने के लिए लागत से कम कीमत पर भी उत्पाद बेचने को तैयार हो जाती है परंतु यहां भी सीमांत / परिर्वतनशील लागत तो पूरी की ही जाती है।


(छ) अंतरराष्ट्रीय समझौते


अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों में अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय के संबंध में विभिन्न प्रकार के समझौतों होते रहते है ये समझौते द्विपक्षीय या बहुपक्षीय हो सकते हैं। कई बार इन समझौते में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बारे मे भी कोई प्रावधान हो सकता है। वैश्विक कंपनिया कीमतें निर्धारित करते समय इन समझौतों को भी ध्यान में रखती हैं


(ज) अंतरराष्ट्रीय विपणन उद्देश्य:


अंतरराष्ट्रीय विपणन के विभिन्न उद्देश्य हो सकते हैं अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रवेश वहां के बाजार पर कब्जा करना अपने फालतू उत्पादन के लिए बाजार ढूंढना अपनी उत्पादन क्षमता का अधिकतम प्रयोग करना आदि।

ये उद्देश्य कीमता को प्रभावित करते हैं जैसे-यदि कंपनी का उद्देश्य बाजार में प्रवेश लेना है तो मूल्य कम निर्धारित किए जाते है। यदि उद्देश्य अपनी स्थापित उत्पादन क्षमता का अधिकतम प्रयोग करना है तो कीमत निर्धारण करते हुए यह सुनिश्चित किया जाता है कि सीमांत / परिवर्तनशील लागत अवश्य पूरी हो ।


(झ) अन्य घटक.


(i) मांग लोच. यदि उत्पाद की मांग बेलोच है, तो ऊंची कीमत निर्धारित की जाएगी। मांग की लोच अधिक होने पर कम कीमत निर्धारित की जाएगी।


(ii) मूल कंपनी व देश की छवि वैश्विक कंपनी की संस्थागत छवि भी कीमत निर्धारण को प्रभावित करती है। इसके अलावा वैश्विक कंपनी के मूल देश की छवि भी कीमत निर्धारण को प्रभावित करती है। विकासशील व अल्पविकसित देशों की कंपनियों विकसित देशों की कंपनियों की तुलना में निम्न कीमत निर्धारित करती है चाहे उनके उत्पाद विकसित देशों की कंपनियों से भी ज्यादा बेहतर क्यों न हो, क्योंकि विकासशील व अल्पविकसित देशों की वैश्विक छवि विकसित देशों की तुलना में कम अच्छी होती है।