विदेशी निवेश के लाभ - benefits of foreign investment

विदेशी निवेश के लाभ - benefits of foreign investment


(i) मेजबान देशों के आर्थिक विकास में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का योगदान -


(1) पूंजी की उपलब्धता - विश्व के बहुत से देशों में पूजी की कमी है। विकास की गति को तीव्र करने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। विदेशी पंजी ने इस कमी को पूरा किया है। अतएव पूजी की उपलब्धता को आवश्यकतानुसार बढ़ाने में विदेशी पूंजी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।


(2) आधुनिक तकनीक की उपलब्धता तीव्र विकास के लिए आधुनिक तकनीक का बहुत अधिक महत्व है। परंतु कुछ देशों में उपलब्ध तकनीक पुरानी तथा अकुशल है विदेशी पूंजी तथा सहायता के फलस्वरूप आधुनिक तकनीक प्राप्त करना संभव हो सका है। विदेशी पूंजी के साथ तकनीकी जानकारी,

व्यापारिक अनुभव तथा ज्ञान भी प्राप्त होते हैं। आधुनिक तकनीक के प्रयोग से अर्थव्यवस्था में उत्पादकता में वृद्धि होती है।


(3) प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग:- विभिन्न देशों में प्राकृतिक साधन जैसे खनिज, जल संसाधन आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन पूजी तथा तकनीकी ज्ञान के अभाव में उनका उचित उपयोग नही हो पा रहा है। विदेशी पूंजी के फलस्वरूप प्राकृतिक साधनों का उचित उपयोग संभव हो सका है।


(4) विदेशी विनिमय की उपलब्धता कुछ देशों का भुगतान शेष असंतुलित है तथा निर्यात की तुलना में आयात बढ़ते जा रहे हैं। इसके फलस्वरूप विदेशी विनिमय की बहुत कमी महसूस होती है।

विदेशी पूंजी के कारण विनिमय की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। इससे भुगतान शेष की समस्या के समाधान में सहायता मिली है। 


(5) पूजीगत पदार्थों की उपलब्धता- विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को अपने उद्योगीकरण की विस्तार करने के लिए विदेशों से पूंजीगत पदार्थों जैसे मशीनों, विभिन्न संयंत्रों का आयात करना आवश्यक हो जाता है। परंतु विदेशी विनिमय की कमी के कारण इन आवश्यक पदार्थों के आयात में कठिनाई उत्पन्न होती है। विदेशी पूंजी इस कठिनाई का समाधान करके आयायित पूंजी पदार्थो की उपलब्धता में सहायक सिद्ध हुई हैं।


( 6 ) जोखिम वाली पूंजी की उपलब्धता- घरेलू निजी निवेशक आधारभूत उद्योगों तथा नए क्षेत्रों में जहा जोखिम अधिक होता है।

पूंजी निवेश करना पसंद नहीं करते। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश जोखिम वाले क्षेत्रों में प्रवेश करके इस कमी को पूरा कर रहे हैं। विदेशी पूंजी के फलस्वरूप आधारभूत एवं अधिक जोखिम वाले उद्योगों, जैसे- इस्पात उद्योग, कोयला उद्योग, तेल शोधन उद्योग आदि का विकास हुआ है।


(7) आर्थिक और सामाजिक उपरि पूंजी की उपलब्धताः- कुछ देशों में आर्थिक तथा सामाजिक उपरि पूजी जैसे- रेलों, सड़कों, नहरों, ऊर्जा, संचार व्यवस्था की उपलब्धता अपर्याप्त है। विदेशी पूजी इन परियोजनाओं के विकास में सहायक सिद्ध हुई। इसका इन देशों की कृषि एवं उद्योगों के विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। इसके फलस्वरूप आर्थिक विकास की गति तीव्र हो सकी है ।


(8) रोज़गार में वृद्धि - विदेशी निवेश तथा विदेशी सहयोग की सहायता में मेजबान देशों में बहुत सी औद्योगिक इकाइयां लगी है। बहुराष्ट्रीय निगमों ने बहुत से देशों में अपनी शाखाए, कंपनिया लगाई है। इन सबसे मेजबान देशों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है ।


(9) मुद्रा स्फीति में कमी-विदेशी पूंजी के फलस्वरूप देश में आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त मात्रा आयात करना संभव हुआ है। इससे इन वस्तुओं की पूर्ति में वृद्धि होती है तथा मुद्रा स्फीति की दर में कमी आती है। विदेशी पूंजी के अंतरप्रवाह के फलस्वरूप देश के उत्पादन में वृद्धि हुई है तथा मांग के बढ़ने के बावजूद कीमतों में अधिक वृद्धि नही हुई है।


( 10 ) निर्यात संवर्धन में सहायक- कुछ देशों के निर्यात उसके द्वारा किए जाने वाले आयात की तुलना में कम है। इसलिए निर्यात में वृद्धि की जानी आवश्यक है। निर्यात में वृद्धि करने के लिए विदेशी पूंजी का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। मेजबान देश की सरकार कई विदेशी कंपनियों को देश में कारखाने स्थापित करने की स्वीकृति इसी शर्त पर देती है कि वे अपने उत्पादन के कुछ प्रतिशत हिस्से का निर्यात करेंगे। इस प्रकार विदेशी पूंजी निर्यात वृद्धि में सहायक सिद्ध हुई है।


(11) आधुनिकतम प्रबंध कौशल का ज्ञान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अपने साथ मूल देश के आधुनिकतम प्रबंध कौशल को भी मेजबान देश में लेकर आता है। मेजबान देश के प्रबंधक मूल देश के प्रबंधकों, तकनीकी विशेषज्ञों में संपर्क में आते है तथा वे उनसे उनके प्रबंध कौशल कार्य शैली, तकनीकी ज्ञान से अवगत होते हैं। इससे उनकी सोच व दृष्टिकोण अधिक व्यापक हो जाते हैं। मेजबान देश के वितरक, पूर्तिकर्ता, विपणन मध्यस्थ भी प्रबंध विशेषज्ञों से काम करने के बेहतर तरीके सीखते हैं।


(12) प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा:- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से मेजबान देश में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है। एम एन सी के उत्पाद मेजबान देश के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। प्रतिस्पर्धा के बढ़ने से कीमतों में गिरावट आती है, जैसे- भारत से दूर संचार उद्योग में विदेशी उत्पादों / सेवाओं जैसे वोडाफोन, नोकिया के प्रवेश से इस उद्योग में प्रतिस्पर्धा में बहुत वृद्धि हुई है। इससे भारतीय उपभोक्ताओं को बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि अब घरेलू कंपनियों ने भी दूरसंचार सेवाओं में बहुत सुधार किया है तथा अपने उत्पादों / सेवाओं की कीमतें कम दी है। विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के बढ़ने से उपभोक्ता वर्ग के कल्याण में वृद्धि हुई है।


(13) आर्थिक विकास को बढ़ावा बहुराष्ट्रीय कंपनिया कम श्रम लागत व कच्चे माल की कम - लागत के कारण अपना उत्पादन आधार मेजबान देश में हस्तांतरित करती हैं। उत्पादन आधार की स्थापना से सहायक इकाइयां भी आस पास के क्षेत्रों में स्थापित होने लगती हैं। इससे मेजबान देश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिलता है, जिससे आर्थिक विकास की गति में वृद्धि होती है।