सांयोगिक अनुबंध - contingent contract
सांयोगिक अनुबंध - contingent contract
प्रकृति की दृष्टि से अनुबंध शर्तरहित तथा शर्तसहित हो सकते हैं। जब एक अनुबंध शर्तरहित होता है तो उसका निष्पादन करना आवश्यक होता है। परन्तु यदि एक अनुबंध शर्तसहित हो तो उस अनुबंध का निष्पादन उस शर्त के पूरा करने पर ही किया जा सकता है। ऐसे अनुबंध को सांयोगिक अनुबंध कहते हैं । सांयोगिक अनुबंध का निष्पादन पूर्णतया किसी भावी स्थिति के आने अथवा न आने की शर्त पर निर्भर करता है। अतः यह किसी भविष्य की स्थिति के आने पर किसी कार्य के करने अथवा न करने के लिए या कसीस स्थिति के न आने पर किसी कार्य को करने के लिए हो सकता है।
इस प्रकार यह कह सकते हैं कि सांयोगिक अनुबंध का पालन होना या न होना किसी घटना स्थिति के घटने अथवा न होने की शर्त पर पूर्णतः आधारित है।
भारतीय अनुबंध की धारा 31 के अनुसार, “सांयोगिक अनुबंध किसी ऐसी घटना के गहितत होने अथवा न होने पर, जोकि अनुबंध के संपार्श्विक हो, किसी कार्य के करने अथवा न करने का अनुबंध है ।" उदाहरण के लिए, एक भवन निर्माण करने वाले ठेकेदार के बिल का भुगतान स्थानीय संस्था उसी समय करेगी जबकि वह प्रमाणित इंजीनियर का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करे कि सारा कार्य निर्धारित योजना के अनुरूप सही ढंग से हुआ है।
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